बाकी सभी रिश्तों की तरह बच्चे और पेरेंटस के रिश्ते में मज़बूती बरकरार रखने के लिए उनका एक दूसरे से कनेक्टिड रहना बहुत ज़रूरी है। अगर पेरेंटस बच्चों को पूरा समय देंगे, तो वे अपनी हर छोटी बड़ी बात उनसे डिस्कस कर पाएंगे। उसी वक्त आप अपने लिटिन चैम्प्स (Little champs) में मोरल वैल्यूज़ (Moral values) को बिल्ड कर सकते हैं। दरअसल, चाइल्ड अपब्रिंगिंग के वक्त बच्चे में जीत के अलावा फेलियर और रिजेक्शन जैसे बिल्डिंग ब्लॉक्स (Building blocks) को क्रिएट करके उन्हें कॉफिडेंट और इंटेलिजेंट बनाया जा सकता है। साथ ही इससे पेरेंटस और बच्चों के रिश्ते में मज़बूती भी बढ़ने लगती है। जानते हैं वो कौन सी टिप्स है, जिनकी मदद से पेरेंटस और बच्चों में एक मज़बूत बॉडिंग (Parent child relation) क्रिएट हो सकती ।
नेशनल सेंटर ऑफ बायोटेक्नालॉजी इंफोरमेंशन के मुताबिक केयर गिविंग (Care giving) और सेंसिटिव पेरेंटिंग (Sensitive parenting) बच्चे के अंदर मुश्किलात से लड़ने और आगे बढ़ने की क्षमता को पैदा करती है। बच्चे के प्रति अगर पेरेंटेस का रैवया हार्श और अग्रेसिव होगा, तो इससे बच्चे में तनाव बढ़ने का खतरा रहता है। बच्चो हर वक्त सहमा और डरा हुआ सा रहने लगता है। तनाव का मुख्य कारण पेरेंटस के सपोर्ट की कमी को माना जाता है। इससे बच्चे के अंदर डिप्रेशन भी बढ़ने लगता है।
बच्चों के नज़दीक आने के लिए कुछ वक्त उनके साथ बिताएं। उनके साथ खेलें और मौज मस्ती करें। इससे बच्चों में आपके लिए प्यार की भावना पैदा होने लगती है। साथ ही वे आपसे मन की बात आसानी से कर पाते है और घुल मिल जाते हैं। डेली रूटीन में बच्चों के लिए समय निकालना बहुत ज़रूरी है। इससे बच्चों के अंदर खुशी और पेरेंटस के प्रति अटैचमेंट बढ़ने लगता है। साथ ही उस दौरान आप उनके अंदर सोशल स्किल्स और अच्छे संस्कार पैदा कर सकते हैं। इसके अलावा खेल के दौरान उन्हें हार और जीत दोनों का महत्व भी समझाएं।
बच्चों को गले लगाएं और कुछ देर अपने पास बैठाएं। उसे आप जितना प्यार करेंगे, वो उतना ही आपसे जुड़ता चला जाएगा। अधिकतर पेरेंटस बच्चों की गलती पर उन्हें डांटने लगते हैं और कभी कभार हाथ भी उठा देते हैं। इससे बच्चे में आपके प्रति प्यार कम होने लगता है और एक फासला बन जाता है। ऐसे में एक दूसरे को प्यार करें। जैसे ही बच्चा स्कूल से आए या शाम को जब आप बच्चे से मिलें, तो सबसे पहले उसे गले लगाएं और उसके साथ कुछ देर बैठें। इससे बच्चा अपने दिनभर की बातें आपके साथ शेयर करता है।
बच्चों को कहानी सुनना बेहद पसंद होता है। रात के वक्त अक्सर आप उन्हें कोई भी कहानी सुनाते हैं, तो वो पूरी तरह से अटैंटिव होकर उसका आनंद लेते हैं और आराम की नींद सो जाते हैं। इससे बच्चों को आप मोरल वैल्यूज की जानकारी दे सकते हैं। अगर आप वर्किंग हैं, तब तो बेड आइम स्टोरीज़ आपके लिए एक आसान और बेहतरीन विकल्प है। इसके ज़रिए आप बच्चे के इमोशंस से जुड़ सकते हैं। स्टोरीज़ सुनाने के साथ आप बच्चे में रीडिंग की हैबिट भी मेंटेन कर सकते हैं।
हर दम अपनी इच्छा उन पर थोपने की बजाय बच्चों के बारे में भी सोचें। उनके मन की बात को पढ़े और समझें। कई बार बच्चों के हिसाब से खुद को ढ़ालने से वे आसानी से आपके नज़दीक आने लगते हैं। इससे आपका संबध बच्चों से मधुर बना रहेगा और आप एक मज़बूत बॉन्ड क्रिएट कर पाएंगे। एनीबीआई के एक रिसर्च के मुताबिक माता.पिता से दूरी और प्यार की कमी बच्चों के अंदर मेंटल डिसऑर्डर का कारण बन जाती है। इससे बच्चे का ओवरऑल पोटेंशियल और हैप्पीनेस में कमी आने लगती है।
जब आप बच्चे को अपने साथ मदद के लिए बुलाते हैं, तो इससे धीरे धीरे उनके अंदर एक कांफिडेंस बिल्ड होने लगता है। बच्चे से मदद लेने के बाद उसे एपरीशिएट अवश्य करें। इससे बच्चे के अंदर ग्रेटीटयूट की भावना बढ़ने लगती है। आप दोनों में बढ़ रहा कम्यूनिकेशन गैप खत्म हो जाता है। बच्चा खुद को पावरफुल महसूस करता है और आपसे अपने आइडियाज़ और ओपीनियन शेयर करने लगता है। आप भी उनसे ज़रूर सलाह लें। इससे बच्चे को अपनी इम्पॉरटेंस का एहसास होता है।
ये भी पढ़ें- अपने प्रीटर्म बेबी को खोने के ग़म से उबरने में मुझे 5 साल लग गए : सेलिना जेटली