अभिनेत्री सेलिना जेटली तीन बच्चों की मां हैं। 2012 में दो लड़कों को जन्म देने के बाद वे 2017 में जुड़वां बच्चों को जन्म देने की तैयारी कर रही थीं। लेकिन उनकी यह गर्भावस्था अलग अनुभव वाली रही। उन्होंने दो प्रीमैच्योर बेबी को जन्म दिया। उनका एक बच्चा आर्थर तो जीवित रहने में सफल रहा, लेकिन दूसरे बच्चे को बचाया नहीं जा सका। इस घटना ने सेलिना और उनके परिवार को भावनात्मक रूप से बहुत कष्ट पहुंचाया था। उस घटना के पांच साल बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर लोगों को इन्सपायर करने वाला एक नोट लिखा है। नोट में उन्होंने इस कठिन घड़ी से उबरने के बारे में बताया (tips for preterm birth babies parents)। पूर्व ब्यूटी क्वीन ने ट्विटर और इंस्टाग्राम पर अपने बच्चे को गोद में लिए हुए एक तस्वीर पोस्ट की। इस तस्वीर में उनके पति पीटर हाग भी उनके बगल में खड़े हैं। उन्होंने नन्हे बच्चे की क्लोज़-अप तस्वीर भी साझा की।
सेलिना ने पोस्ट में बताया कि जब दूसरी बार उन्हें ट्विन प्रेगनेंसी थी, तो इसके अनुभव कड़वे साबित हुए। उनके दूसरे बच्चे शमशेर को जन्म के साथ दिल की बीमारी थी। इस कारण उसे बचाया नहीं जा सका। दरअसल, पिता के आकस्मिक निधन के सदमे के कारण उन्हें 32वें सप्ताह में प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। बच्चे का प्रीटर्म बर्थ हो गया। यह कपल के लिए एक कठिन दौर था। उनके एक बच्चे आर्थर को जन्म के तुरंत बाद तीन महीने के लिए इनक्यूबेटर में डाल दिया गया।
जब गर्भावस्था के 37 सप्ताह पूरे होने से पहले बच्चे पैदा हो जाते हैं, तो उसे प्रीटर्म बर्थ कहा जाता है। वे स्वतः स्फूर्त समय पूर्व प्रसव या सीज़ेरियन डिलीवरी के बाद समय से पहले पैदा हो सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 2020 में लगभग 13.4 मिलियन शिशुओं का समय से पहले प्रसव हुआ। 2019 में लगभग 900000 बच्चों ने समय से पहले बर्थ कॉम्प्लिकेशन के कारण अपनी जान गंवा दी। वास्तव में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में समय से पहले जन्म संबंधी जटिलता मृत्यु का एक प्रमुख कारण बनती है।
सेलिना के लिए अपने बच्चे को खोने के बारे में बात करना आसान नहीं था। उन्होंने कहा कि उन्हें अपने जीवन की इस घटना से उबरने में पांच साल लग गए। आखिरकार उन्होंने साहस जुटा कर इस समस्या के बारे में बात करने का विचार बनाया। इससे ऐसे कई माता-पिता की मदद की जा सकती है, जो बच्चे की प्रीटर्म बर्थ समस्या से जूझ रहे हैं।
सेलिना ने अपनी बातों से पेरेंट्स को आश्वासन दिया कि स्वयं के प्रति विश्वास जगाएं। इससे दर्दनाक समय से पार पाया जा सकता है। अपने व्यक्तिगत अनुभव से, वह कहती हैं कि वे “इस बात की गारंटी दे सकती हैं कि अपने प्रति विश्वास रखने से इस कठिन परिस्थिति से लड़ा जा सकता है। विश्वास और प्रार्थना की शक्ति की मदद सबसे बड़ी है। “याद रखें कि ज्यादातर मामले में प्रीटर्म बर्थ बेबी जीवित रहते हैं। वे पूरी तरह से सामान्य और स्वस्थ जीवन जीते हैं।”
सेलिना कहती हैं कि जितनी जल्दी माता-पिता यह स्वीकार कर लेंगे कि अच्छे दिन के साथ बुरे दिन भी आ सकते हैं, उतना ही उनके लिए इससे मुकाबला करना आसान होगा। सेलिना और उनके पति कुछ महीनों के लिए दुबई के एक अस्पताल में रहने लगे, क्योंकि शमशेर की मृत्यु ने उन्हें आर्थर के बारे में बेहद चिंतित कर दिया था। वे दोनों मिलकर हताशा, उदासी, घबराहट, निराशा, अपराधबोध, क्रोध और प्रेम की भावनाओं से गुज़रे। लगभग हर पेरेंट्स किसी न किसी समय सुख और दुःख दोनों तरह की भावनाओं से गुजरते हैं।
ऐसे समय में यह याद रखना जरूरी है कि “आप व्यक्तिगत रूप से एक टीम के रूप में अधिक प्रभावी हो सकते (tips for preterm birth babies parents) हैं। इसलिए पेरेंट्स के रूप में टीम की तरह काम करें।”
वह आगे कहती हैं, ‘एनआईसीयू में समय से पहले जन्मे बच्चे से धीरे से बातें करना और गाना गाना उनसे जुड़ने और करीब महसूस करने का सकारात्मक तरीका है। आप बच्चे को गॉड में नहीं ले सकती हैं, उस समय भी ये काम कारगर हैं।”
एक सकारात्मक संदेश साझा करते हुए सेलिना कहती हैं कि इस समस्या से मुकाबला करते हुए आपको सब कुछ असंभव लग सकता है । यह दुनिया दुखों से भरी है, लेकिन उस पर काबू भी पाया जा सकता है।”
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