घर और ऑफिस में कई तरह की समस्याओं से सामना करना पड़ता है। दिन भर हम अपने दिमाग में एक पर एक बातें ठूंसते चले जाते हैं। नतीजा हमारा मन और दिमाग अव्यवस्था का शिकार हो जाता है। इस अव्यवस्था से हम परेशान हो उठते हैं। यदि जल्दी इसके उपाय नहीं किये जाएं, तो समस्या और अधिक बढ़ जाती है। इसे व्यवस्थित करना बहुत जरूरी होता है। पर मन को व्यवस्थित कैसे किया जाए(how to declutter your mind)? पर इससे पहले जानते हैं माइंड को डीक्लटर करने के उपाय आजमाने से क्या फायदे हो सकते हैं।
बैरी डेवनपोर्ट और एस.जे. स्कॉट अपनी किताब डीक्लटर योर माइंड: हाउ टू स्टॉप वरीइंग, रीलीव एंग्जाइटी में कहते हैं, ‘ मन में यदि ढेर सारे विचार गड्मगड्ड हों, तो आपको अपना लक्ष्य कभी स्पष्ट नहीं दीखता है।आपको अपना लक्ष्य तभी स्पष्ट हो पाता है, जब आप अपने मन को डीक्लटर कर लेते हैं।’ वहीं कंट्रोल योर माइंड एंड मास्टर योर फीलिंग ऑडियो बुक के लेखक एरिक रोबर्टसन कहते हैं, ‘ किसी भी विषय पर बहुत सोचना-विचारना छोड़ दें। अपनी भावनाओं पर नियन्त्रण रखें। तभी आप अपने मनोनुकूल क्षेत्र में सफलता अर्जित कर सकते हैं।
नींद के कई फायदे हैं, जिसमें मेंटल हेल्थ को मजबूती भी शामिल है। यदि आपको
पर्याप्त नींद नहीं मिल रही है, तो आपकी सोचने-समझने की शक्ति प्रभावित हो सकती है। इससे संवाद करने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है। यदि आप अपने दिमाग को व्यवस्थित करना चाहती हैं, तो सबसे पहले साउंड स्लीप लेने की आदत विकसित करें। नींद में आनेवाली बाधा को दूर करने की कोशिश करें।
यदि आपका दिमाग कई साड़ी बातों में अटका रहता है, तो निश्चित तौर पर आप तनाव में रहती होंगी। तनावमुक्त होने के लिए सबसे पहले मेडिटेशन करना शुरू करें। इसकी शुरुआत करने पर आप शांत और सहज होती जाएंगी।
आप भ्रम में जीने की बजाय अपनी प्राथमिकताओं पर स्पष्ट होना सीख जाएंगी। इससे आपकी व्याकुलता भी खत्म हो जाएगी। अपने लक्ष्य पर दिमाग को केंद्रित करना सीख जाएंगी।
जो भी विचार आपके दिमाग में घूम रहे हैं, उन्हें लिखने की आदत डाल लें। विचारों को कागज पर लिखने से आप विचारों के जाल से निकल सकेंगी। एक छोटी नोटबुक भी अपने साथ रख सकती हैं। इसमें आप अपने ताज़ा विचारों को संक्षेप में लिख सकती हैं। यह आपको उन्हें याद रखने की जिम्मेदारी से मुक्त होने की अनुमति देगा।
आपके पास एक लंबी टू-डू सूची हो सकती है। आपको कहां से शुरू करना है, इस पर आपको बहुत अधिक सोचना-विचारना नहीं है। सबसे पहले आप यह देखें कि कौन सा काम सबसे अधिक जरूरी है।
किस काम की डेडलाइन नजदीक है। उसी के अनुरूप काम करने की कोशिश करें। आप पाएंगी कि जैसे ही आप प्रायोरिटी के अनुरूप काम करना शुरू करती हैं, आपका दिमाग डीक्लटर होना शुरू हो जाता है।
हम खुद को सर्वश्रेष्ठ साबित करने के लिए अपने ऊपर कई तरह के काम लाद लेते हैं। यह मल्टीटास्किंग हमारे दिमाग को प्रभावित करने लगता है। मल्टीटास्किंग सुनने में तो अच्छा लगता है, पर हुमेन बिहेवियर पर हुई स्टडी बताती है कि वास्तव में यह व्यक्ति की प्रोडक्टिविटी को कम कर देता है। इसलिए कई काम में हाथ डालने की बजाय अपना ध्यान 1 काम पर केंद्रित करें। आप टाइमर सेट कर सकती हैं कि आप किसी दिए गए कार्य पर कितना समय व्यतीत करना चाहती हैं।
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