जब एक साथ तीन-चार छुट्टियां मिल रहीं, तो लोग उनका इस्तेमाल अपने परिवार या दोस्तों के साथ सैर सपाटे के लिए करना चाहते हैं। उनमें भी समुद्र के किनारे और पहाड़ सबसे ज्यादा पसंदीदा यात्राओं में शामिल रहते हैं। इन जगहों पर जाना रोमांचक तो हो सकता है, पर यह आपकी सेहत के लिए कुछ चुनौतियां भी पैदा करते हैं।
पिछले दिनों पेपरफ्राई के सह-संस्थापक अंबरीश मूर्ति का लेह में कार्डियक अरेस्ट से निधन हो गया। जीवन में रिस्क लेने और हमेशा कुछ नया करने में विश्वास रखने वाले अंबरीश शायद नहीं जानते थे कि यह उनकी आखिरी यात्रा साबित होगी। वास्तव में आप जितनी ऊंचाई पर पहुंचते हैं आपके स्वास्थ्य खासतौर से हार्ट हेल्थ के लिए जोखिम बढ़ते जाते हैं। अगर आप भी ऊंचाई वाले पहाड़ों की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो आपको कुछ अलार्मिंग साइन्स और उससे बचाव (how to avoid cardiac arrest at high altitude) के बारे में जान लेना चाहिए।
वास्तव में हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट दोनों ही हृदय संबंधी बीमारियां हैं। मगर दोनों में ही अंतर है। कभी-कभी आपको लग सकता है कि कोई व्यक्ति एकदम फिट था, तो फिर उसका निधन कैसे हो सकता है।
कार्डियक अरेस्ट तभी होता है जब आपके दिल को किसी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता है, जिसे वह संभाल नहीं पाता और अचानक काम करना बंद कर देता है। जबकि हार्ट अटैक समय के साथ बढ़ने वाली समस्या का परिणाम होता है, जिसमें हृदय शरीर की आवश्यकताओं के अनुसार ब्लड पंप नहीं कर पाता।
हृदय संबंधी बीमारियां भारत में इतनी तेजी से बढ़ रहीं हैं कि दुनिया भर में होने वाली हार्ट डिजीज का 60 फीसदी अकेले भारत में ही होता है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार कार्डियक अरेस्ट की सबसे ज्यादा घटनाएं सर्दियों में होती हैं, जब हृदय ऑक्सीजन के कम दबाव का सामना करता है। यही स्थिति ऊंचाई वाले पहाड़ों और जिम में ओवर वर्कआउट के समय भी हो सकती है।
मणिपाल अस्पताल, बानेर, पुणे में कार्डियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष एवं सलाहकार डॉ अभिजीत जोशी कहते हैं, “अकसर रोमांचक यात्राओं में हम जोखिम उठाने से नहीं डरते। पर चुनौतियां लेने और सेहत के लिए जोखिम बढ़ना, इन दोनों के बीच महीन अंतर होता है। जिसे हमें समझना चाहिए। ट्रैकिंग पर जाना, ऊंचाई वाले पहाड़ों की यात्रा करना या बाईकिंग ये सभी रोमांचक हो सकता है, पर इनके लिए खुद को उतना ही पुश करें, जितना सेहत इसके लिए अनुमति दे।”
वे हाई एल्टीट्यूड पर हार्ट हेल्थ के लिए खतरे के बारे में बात करते हुए कहते हैं, “जब हम ऊंचाई पर जाते हैं, तो वहां ऑक्सीजन की कमी होती जाती है। इसके कारण ब्रीिदंग रेट और हार्ट रेट बढ़ जाता है। इसके बावजूद अगर थकान की परवाह किए बगैर आप खुद को आगे बढ़ाते रहते हैं, तो यह कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकता है।”
डॉ अभिजीत जोशी कहते हैं, हालांकि कार्डियक अरेस्ट अचानक होता है। पर आपका शरीर सबसे बेहतर मशीनरी है। यह अपनी थकान और असमर्थ होने के संकेत देता है। आपको कार्डियक अरेस्ट के इन चेतावनी संकेतों को इग्नोर नहीं करना है। इस दौरान –
डॉ अभिजीत सलाह देते हैं, “हाई ऑल्टीट्यूड या ऊंचाई वाले क्षेत्रों की यात्रा करने से पहले आपको इसके लिए खुद को तैयार करना सबसे जरूरी है। किसी भी यात्रा पर लगातार चढ़ाई न करें। फिर चाहें आप ट्रैकिंग कर रहे हों या बाइकिंग। पहले थोड़े कम ऊंचाई वाले क्षेत्र में जाएं, वहां खुद को एक्लेमेटाइज करें। कम से कम 12 घंटे वहां गुजारें और अपने स्वास्थ्य का मुआयना करें। अगर सब ठीक है, उसके बाद ही और ऊंचाई की यात्रा की योजना बनाएं।”
अक्यूट पल्मोनरी एडेमा (acute pulmonary edema) के संकेत दो से चार दिन पहले से महसूस होने लगते हैं। अगर ऐसा महसूस होता है, तो डायमॉक्स या अपने डॉक्टर से परामर्श कर ऐसी ही कोई दवा अपने साथ रखें। यह लंग्स के ऊपर पानी बढ़ने नहीं देती। यात्रा से पांच से सात दिन पहले भी आप इन दवाओं का सेवन शुरू कर सकते हैं।
किसी भी यात्रा के दौरान पानी पीना न भूलें। पानी के माध्यम से भी आप अपने शरीर को आवश्यक ऑक्सीजन की सप्लाई कर सकते हैं।
अगर यात्रा के दौरान, सीढ़ियां चढ़ते हुए, दौड़ते हुए आपको थकान महसूस हो रही है, तो रुकें और अपने शरीर को आराम दें। किसी भी चुनौती को पूरा करने के लिए उसे जबरदस्ती पुश न करें।
एस्पिरिन जैसी ब्लड थिनर दवाएं इन यात्राओं में आपके लिए मददगार साबित हो सकती हैं। यह खून के थक्के नहीं जमने देतीं, जिससे शरीर के सभी अंगों को पर्याप्त ऑक्सीजन की सप्लाई होती रहती है।
अगर आप लेह-लद्दाख जैसे पहाड़ों की यात्रा करने वाले हैं, तो आप ऑक्सीजन का पोर्टेबल सिलैंडर भी अपने साथ रख सकते हैं। इन्हें कैरी करना ज्यादा मुश्किल नहीं होता। ज्यादातर बाइकर इसे रखते हैं। ताकि जरूरत पड़ने पर इनका इस्तेमाल किया जा सके।
अकसर ठंडे इलाकों में लोग खिड़की दरवाजे पूरी तरह बंद करके सोते हैं। पर यह हृदय स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। सिर्फ अंगीठी ही नहीं, बंद कमरे में मोमबत्ती जलाकर सोना भी आपके लिए खतरनाक हो सकता है। इसलिए सोते समय कोई एक खिड़की खोलकर सोएं, जिससे कमरे में ऑक्सीजन का स्तर बना रहे। लाइट जाने की स्थिति में मोमबत्ती या दीया जलाने से बेहतर है टॉर्च की रोशनी का इस्तेमाल करना।
इसके बावजूद अगर किसी भी तरह की इमरजेंसी हो, मसलन चक्कर आ रहा है, घबराहट हो रही है, होंठ या नाखून नीले पड़ रहे हों या सांस लेने में दिक्कत हो रही हो, जो तुरंत नजदीकी हॉस्पिटल में संपर्क करें। ये सभी ऑक्सीजन की कमी के संकेत हैं। जिसमें ह्यूमिडिफिकेशन की जरूरत महसूस हो सकती है। इसमें डॉक्टर ही आपकी मदद कर सकते हैं।
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