ज्यादातर लोगों के शरीर में किसी न किसी प्रकार के पोषक तत्व की कमी जरूर होती है। परंतु जब यह अधिक बढ़ जाती है, तो शरीर कई संकेत देता है, जिसे हम अक्सर पहचान नहीं पाते। कुछ ऐसे सामान्य शारीरिक संकेत है जो बताते हैं कि आपके शरीर में पोषक तत्वों की कमी है। हम सभी को क्रेविंग्स होती है, किसी को मीठा खाने की तो किसी को साल्टी खाने की तो कुछ लोगों को तली हुई चीजें खाने की इच्छा होती है। यदि आपके साथ भी ऐसा होता है, तो आपको बताएं कि ये सभी संकेत न्यूट्रीशन डिफिशिएंसी (Nutritional deficiency) के हो सकते हैं।
वहीं प्रेगनेंसी, हार्मोनल इंबैलेंस, स्ट्रेस इत्यादि भी फूड क्रेविंग्स का कारण हो सकती हैं। इस बारे में अधिक विस्तार से समझने के लिए हमने अपोलो स्पेक्ट्रा दिल्ली की डाइटिशियन दीक्षा अरोड़ा से बात की। एक्सपर्ट ने बताया जब शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, तो बॉडी उसे पूरा करने की कोशिश करती है, इसलिए लोगों को क्रेविंग्स होती है। शरीर उन खाद्य पदार्थ और पोषक तत्वों के लिए क्रेव करता है, जिसकी कमी होती है। इसलिए इसे नजरअंदाज किए बगैर अपनी क्रेविंग्स को समझें और शरीर की आवश्यकता को पूरा करें (Food cravings in Nutritional deficiency)।
चॉकलेट की क्रेविंग एक सबसे कॉमन क्रेविंग है, जो शरीर में मैग्निशियम डिफिशिएंसी को दर्शाती है। मैग्नीशियम एनर्जी प्रोडक्शन, मसल फंक्शन से लेकर मूड रेगुलेशन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसे में यदि आपको अधिक फ्रिक्वेंटली चॉकलेट खाने का मन कर रहा है, तो मैग्नीशियम युक्त खाद्य पदार्थ जैसे कि नट्स, सीड्स, हरी पत्तेदार सब्जियों को अपनी नियमित डाइट में शामिल करें। यह आपकी चॉकलेट की क्रेविंग्स को नियंत्रित करेगा और आपको एक बेहतर सेहत प्रदान करेगा।
यदि आप साल्टी फूड्स जैसे की चिप्स, फ्रेंच फ्राइज, आदि के लिए क्रेव कर रही हैं, तो यह सोडियम डिफिशिएंसी का संकेत हो सकता है। सोडियम एक बहुत महत्वपूर्ण इलेक्ट्रोलाइट है, जो शरीर में फ्लूइड बैलेंस को मेंटेन रखना है और आपके नर्व एवं मसल्स के फंक्शन को सपोर्ट करता है। अमेरिकन जर्नल ऑफ़ क्लीनिकल न्यूट्रीशन द्वारा प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार सोडियम की क्रेविंग तब होती है, जब शरीर इलेक्ट्रोलाइट मेंटेन करने की कोशिश करता है। इसलिए आपको साल्टी फूड्स खाने की इच्छा होती है। हालांकि, सोडियम को मॉडरेशन में लेने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इसकी अधिकता से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है।
बहुत से लोगों को शुगर क्रेविंग्स की शिकायत रहती है। यदि आपके साथ भी ऐसा हो रहा है, तो यह कई महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की कमी की ओर इशारा करता है। शुगर की क्रेविंग होने से शरीर में क्रोमियम, कार्बन, फास्फोरस, सल्फर और ट्रिप्टोफैन की कमी हो सकती है। खासकर क्रोमियम की कमी सूगर क्रेविंग्स को बढ़ा देती है। क्रोमियम ब्लड शुगर लेवल को रेगुलेट करने में मदद करता है, इसलिए इसे मेंटेन रखना जरूरी है।
खासकर डायबिटीज के मरीजों को इसका ध्यान रखना चाहिए। शुगर क्रेविंग को कम करने के लिए कंपलेक्स कार्बोहाइड्रेट जैसे कि अनाज, फल, सब्जी एवं अन्य ऊर्जा के स्रोत का सेवन करें। यह सभी आपकी शुगर क्रेविंग्स को कंट्रोल करने के साथ ही आपके शरीर को पर्याप्त पोषण प्रदान करेंगे।
आमतौर पर बर्फ खाने की क्रेविंग्स होना आयरन डिफिशिएंसी की ओर इशारा करती है। इस प्रकार की क्रेविंग में व्यक्ति को नॉन फूड आइटम्स की क्रेविंग्स होती है। जर्नल ऑफ़ अमेरिकन बोर्ड का फैमिली मेडिसिन में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार बर्फ चबाने से मुंह से संबंधित दर्द और इन्फ्लेमेशन कम हो जाता है। जो आमतौर पर आयरन डिफिशिएंसी के कारण होता है। इस स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए आयरन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे की पालक, चुकंदर आदि को अपनी डाइट में शामिल करें।
मीट की क्रेविंग जैसी की चिकन खाने का मन होना आयरन डिफिशिएंसी के ओर इशारा करता है। आयरन समग्र शरीर में ऑक्सीजन ट्रांसफर करता है और बॉडी में ऊर्जा शक्ति को बनाए रखना है। ब्रिटिश जर्नल ऑफ़ न्यूट्रिशन के अनुसार आईरन डिफिशिएंसी में व्यक्ति को मीट खाने की इच्छा हो सकती है। वहीं यह क्रेविंग काफी इंटेंस होती है, जिस पर नियंत्रण पाना थोड़ा मुश्किल होता है। इस स्थिति को बैलेंस रखने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां, दाल और अन्य फलों को अपनी डाइट में शामिल करें, इससे बॉडी में आयरन लेवल को मेंटेन रखने में मदद मिलेगी।
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