पेट को जब भूख का एहसास होता है, तो मन धीरे-धीरे कुछ खाने के लिए उकसाता है। पर कभी-कभी पेट भरा होने के बावजूद आपको कुछ खास खाने का मन करने लगता है। इसी को क्रेविंग कहा जाता है। क्रेविंग या कुछ खाने की तलब के लिए शारीरिक और मानसिक दोनों कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि महिलाओं को पुरुषों की तुलना में ज्यादा क्रेविंग होती है और इसी कारण वे अनहेल्दी मंचिंग की शिकार हो जाती हैं। आइए आहार एवं पोषण विशेषज्ञ अनुभव सक्सैना से जानते हैं क्रेविंग के बारे में विस्तार से।
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आहार विशेषज्ञ अनुभव कहते हैं पुरुषों की तुलना में महिलाओं को जंक, मसालेदार या प्रोसेस्ड फूड की क्रेविंग ज्यादा होती है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि उनके स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव का ज्यादा होना। हर माह पीरियड्स के कारण, फिर प्रेगनेंसी और उसके बाद मेनोपॉज महिलाओं में हार्मोनल में उतार-चढ़ाव के प्रमुख पड़ाव हैं। इन सभी स्थितियों में उनका मन कुछ मनचाही चीजों को खाने का कर सकता है।
पोषण विशेषज्ञ कहते हैं जब किसी को शरीर की भूख मिटाने वाले फूड्स का खाने का मन हो और वह फूड आपके पहले से ही डिसाइड कर लिया है, तो इसे सलेक्टिव क्रेविंग्स की कैटेगरी में रखा जाता है। अपका मन किसी रेस्तरां का पिज्जा खोन का है, शाही पनीर खाने का है, पेटीज या आलू की रेसिपी से बना कोई खाद्य पदार्थ खाने का हो सकता है।
इसलिए जब भी भूख लगे, तब यह भी ख्याल करना चाहिए कि शरीर को क्या खाने से भरपूर मात्रा में पोषक तत्व मिलेंगे। क्रेविंग मिटाने के लिए जंक फूड का सेवन करना आपको अनहेल्दी बना सकता है। इससे बचना जरूरी है।
नॉन सेलेक्टिव क्रेविंग का मतलब हुआ जब आपको तेज भूख लगी हो और यह निश्चित नहीं हो पा रहा है कि भूख मिटाने के लिए क्या खाना उचित रहेगा। ऐसी स्थिति में अधिकांश जल्दबाजी में आप कुछ भी खा लेते हैं। पोषण विशेषज्ञ कहते हैं कि जब इस प्रकार की क्रेविंग हो, तो पहले पेट भर पानी पी लेना चाहिए। आप कुछ पेय पदार्थ भी ले सकती हैं। जिससे बॉडी को हानिकारक तत्व की पहुंच से बचाया जा सके।
प्रेगनेंसी यानी गर्भावस्था के दौरान होने वाले हॉर्मोनल बदलाव के कारण महिलाओं के संघने और स्वाद में फर्क हो सकता है। इस दौरान उन्हें कुछ खाने का मन भी करेगा। जिससे आप चाह कर भी रोक नहीं पाएंगे।
एक्सपर्ट बता रहे हैं कि पीरियड्स से पहले बॉडी में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोजन में बदलाव होने के कारण शरीर को कार्ब्स का सेवन करने की क्रेविंग बढ़ जाती है। जिससे आप अधिक मात्रा में कार्ब्स का सेवन करने लगते हैं।
जब भी आप सोने का प्रयास करेंगे तो नींद नहीं आएगी, या जब आएगी तो अच्छी गुणवत्ता नहीं होगी। नींद के लिए जिम्मेदार हॉर्मोन आपकी नींद को खराब केविंग्स के कारण कर सकते हैा विशेष रूप से यह शाम के समय होगा, जब भूख अधिक लगी होगी।
स्ट्रेस बॉडी में हार्मोन कोर्टिसोल के लेवल को बढ़ा देता है। कोर्टिसेल अधिक होने से भूख, लालसा, किसी चीज़ को जानने की की जिज्ञासा बढ़ जाती है। इसे रोकने के लिए खुद पर कंट्रोल करना जरूरी है।
जब आप कोई काम कर रहे होंगे, तो भूख अधिक लगेगी। इस दौरान आपका खाने का तरीका बदला हुआ रहेगा। जो खाने का मन होगा, उसे खाए बगैर मन नहीं भरेगा। इसे रोकने के लिए दिमाग से और संतुलन का सहयोग लें।
स्वभाविक है कि खाने की इच्छा इस बात की ओर इशारा करती है कि शरीर में कुछ पोषक तत्वों की कमी है। उदाहरण के लिए नमक की क्रेविंग होने पर सोडियम का सेवन करने का मन करता है। वहीं, अधिकतर लोग नमकीन खाने के लिए ललायित रहते हैं, लेकिन उनमें पोषक तत्व की कमी नहीं होती।
इसके अलावा अगर पोषक तत्वों की कमी के कारण क्रेविंग हो रही है, तो जरूरी है कि आप पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों जैसे सब्जियों, फलों, साबुत अनाज या फलियों की तरफ आकर्षित हों।
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