डिमेंशिया कोई विशिष्ट बीमारी नहीं है, बल्कि यह याद रखने, सोचने या निर्णय लेने की खराब क्षमता के लिए एक सामान्य शब्द है। यह रोजमर्रा की गतिविधियों में बाधा उत्पन्न करता है। अल्जाइमर डिजीज डिमेंशिया का सबसे आम प्रकार है। डिमेंशिया ज्यादातर ओल्ड एडल्ट को प्रभावित करता है। हालिया शोध बताते हैं कि एक ख़ास प्रकार का ब्लड टेस्ट किसी व्यक्ति में इसके होने का पता 15 साल पहले दे सकता है। जानते हैं यह किस तरह का शोध (blood tests for dementia) है?
नेचर एजिंग में प्रकाशित शोध निष्कर्ष की तलाश वैज्ञानिक दशकों से कर रहे थे। स्टडी में यह बात सामने आई है कि ब्लड टेस्ट अल्जाइमर और डिमेंशिया का पता (blood tests for dementia) बहुत पहले के चरणों में लग सकता है। शोधकर्ताओं ने यूके बायोबैंक में 50,000 से अधिक हेल्दी एडल्ट के ब्लड सैम्पल की जांच की। इनमें से 14 साल की अवधि में 1,417 लोगों में डिमेंशिया विकसित हुआ। यूके बायोबैंक यूनाइटेड किंगडम में लॉन्ग टर्म में चलने वाला बड़ा बायोबैंक स्टडी सेंटर है। यह रोग के विकास में आनुवंशिक प्रवृत्ति और पर्यावरणीय जोखिम से संबंधी योगदान की जांच कर रहा है।
इसके तहत पाया गया कि ब्लड में चार प्रोटीन- जीएफएपी, एनईएफएल, जीडीएफ15 और एलटीबीपी2 का हाई लेवल मजबूती के साथ डिमेंशिया (blood tests for dementia) से जुड़ा हुआ है। वैज्ञानिक इस बात पर जोर देते हैं कि यदि डिमेंशिया के शुरुआती चरण में इस रोग का उपचार करना है, तो इस तरह के अध्ययन की बहुत अधिक आवश्यकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वर्तमान में दुनिया भर में 5. 5 करोड़ से अधिक लोग मनोभ्रंश से पीड़ित हैं। अक्सर लोगों में इस रोग का निदान तभी होता है जब उन्हें स्मृति संबंधी समस्याएं या अन्य लक्षण दिखाई देते हैं। उस समय तक यह रोग वर्षों तक प्रगति कर चुका होता है। जब इसका पता चलता है, तो लगभग बहुत देर हो चुकी होती है। फिर इसे रिवर्स करना असंभव होता है।
52,645 लोगों के ब्लड सैम्पल में 1,463 लोगों में प्रोटीन का हाई लेवल पाया गया। जीएफएपी, एनईएफएल, जीडीएफ15 और एलटीबीपी 2 प्रोटीन के बढ़े हुए स्तर को डिमेंशिया और अल्जाइमर से जुड़ा हुआ पाया गया। डिमेंशिया विकसित करने वाले कुछ प्रतिभागियों में लक्षण शुरू होने से पहले दस साल से अधिक समय तक इन प्रोटीनों का ब्लड लेवल सामान्य सीमा से बाहर था।
जीएफएपी प्रोटीन एस्ट्रोसाइट्स नाम की न्यूरॉन सेल को संरचनात्मक सहायता प्रदान करता है। इस प्रोटीन को पहले से ही अल्जाइमर डिजीज के लिए एक क्लिनिकल मार्कर के रूप में बताया जा चुका है। जीडीएफ15 प्रोटीन भी क्लिनिकल मार्कर हो सकता है।
यह नया अध्ययन बताता है कि जिन लोगों के ब्लड में जीएफएपी का हाई लेवल है, उनमें सामान्य स्तर वाले लोगों की तुलना में डिमेंशिया विकसित होने की संभावना दोगुनी से अधिक है। इमनें अल्जाइमर विकसित होने की संभावना लगभग तीन गुना अधिक होती है।
इस अध्ययन में आयु, लिंग, शिक्षा स्तर और पारिवारिक इतिहास जैसे जनसांख्यिकीय कारकों को भी ध्यान में रखा गया। इसके साथ चार प्रोटीन बायोमार्कर के स्तर को मिलाकर एल्गोरिदम डिजाइन (blood tests for dementia) करने के लिए मशीन लर्निंग का उपयोग किया गया। मॉडल ने प्रतिभागियों के आधिकारिक तौर पर निदान किए जाने से पहले दस साल से अधिक के डेटा का उपयोग करते हुए लगभग 90% सटीक रिजल्ट के साथ, अल्जाइमर रोग सहित डिमेंशिया के तीन सबटाइप होने की बात कही।
अध्ययन के निष्कर्षों का उपयोग ब्लड टेस्ट विकसित (blood tests for dementia) करने के लिए किया जा सकता है। यह डिमेंशिया विकसित होने के जोखिम वाले लोगों की पहचान करेगा। साथ ही शोधकर्ता चेतावनी देते हैं कि नए बायोमार्कर को क्लिनिकल स्क्रीनिंग टूल के रूप में उपयोग करने से पहले और अधिक टेस्ट किया जाना जरूरी है।
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