कभी-कभी योगासन के बावजूद वजन कम करने में परेशानी होती है। मोटापा बीमारी के समान होता है। इसके कई कारण हो सकते हैं। मोटापा के पीछे फैमिली हिस्ट्री भी हो सकती है। वहीं अत्यधिक प्रोसेस्ड फ़ूड, चीनी और वसा से भरपूर आहार और फिजिकल एक्टिविटी में कमी भी वजन बढ़ाने में योगदान दे सकते हैं। तनाव और मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम के इलाज के लिए ली जाने वाली दवाएं, खराब नींद और हार्मोनल परिवर्तन भी वेट गेन के कारण हो सकते हैं। एक्सपर्ट कहते हैं कि कुछ नियम का पालन करने से वजन घटाने में योग मददगार हो सकते (yoga help in weight loss) हैं।
वजन घटाने के कई तरीके हो सकते हैं। इसका कोई एक समाधान नहीं हो सकता है। यदि आप अपना वजन कम करने की कोशिश करती हैं, तो योग कर सकती हैं। योग पर किये गये कई शोध के निष्कर्ष भी दावा करते हैं कि योग तनाव को प्रबंधित करने, मूड स्विंग में सुधार करने, अधिक खाने पर अंकुश लगाने में मदद कर सकता है। ये सभी कारक वजन घटाने और शरीर को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं।
योग कैलोरी जलाने के साथ-साथ मांसपेशियों को टोन करने में भी मदद करता है। योग जोड़ों के दर्द को कम कर सकता है, जिसके कारण एक्सरसाइज करने और दैनिक गतिविधियों को बढ़ाने में मदद मिलती है।
योग टीचर और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर डॉ. स्मृति अपने इन्स्टाग्राम पोस्ट में कहती हैं, ‘यदि आप पहले से कोई शारीरिक गतिविधि नहीं कर रही हैं और अब आसन और सांस पर नियन्त्रण के लिए किये जाने वाले प्राणायाम से वजन घटाना चाहती हैं, तो आपका शरीर फैट मोलिक्यूल और कैलोरी को जलाने में सक्षम नहीं हो सकता है। आप यदि इस बात की उम्मीद कर रही हैं कि योग से बहुत जल्द फैट कम हो जायेगा, तो ऐसा नहीं हो सकता है।’
डॉ. स्मृति कहती हैं, ‘आपने 2 या 1 वर्षों में अपना वजन बढ़ा लिया है और अब चुटकियों में वजन घटाना चाहती हैं, तो यह संभव नहीं है। जिस तरह वजन बढ़ने में समय लगा, उसी तरह योग से शरीर को वजन घटाने के लिए भी समय दें। इससे सही तरीके से वजन कम हो सकेगा। किसी विशेष कारण से वजन कम न करें। योग को वजन घटाने का माध्यम नहीं, इसे अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनायें। फिर अपने शरीर से एक्स्ट्रा वेट घटते हुए देखें।’
किसी भी आसन का अभ्यास करने से पहले कुछ नियम को जानें। उनका अभ्यास और पालन करना जरूरी है।
शौच (Saucha) – शरीर और मन की स्वच्छता सबसे जरूरी है।
संतोष (Santosha) – स्वस्थ शरीर के लिए अपना 100 प्रतिशत देने के बाद अपनी वर्तमान स्थिति से संतुष्ट होना भी आवश्यक है।
तप (Tapa)- कठिन परिस्थितियों के बीच मन को शांत रखना और अपना कर्म करते जाना हर इंसान का उद्देश्य होना चाहिए।
स्वाध्याय (Swadhyaya)- स्वयं का निरीक्षण करें। आप जो गलतियां करती हैं, उसे नहीं दोहराने पर खुद को बेहतर बनाया जा सकता है।
फल की चिंता नहीं करना – स्वस्थ शरीर के लिए फल की चिंता किये बिना अपने कर्म को करते जाना जरूरी है।
एक बार जब आप इन नियमों को अपने जीवन में लागू कर लेती हैं, तो ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे आपका उद्देश्य पूरा नहीं हो सके। आपका वजन और आपकी छोटी-मोटी बीमारी भी ठीक हो जाएगी। शरीर और मन दोनों स्वस्थ होगा।
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