मैं मातृसत्तात्मक समाज से हूं और मुझे अपना घर संभालना था, मिलिए मास्टरशेफ रनरअप नाम्बी जेसिका मारक से

इंजीनियरिंग के छात्रों को पढ़ाने से लेकर ईट योर कप्पा यूट्यूब चैनल खोलने तक नाम्बी का सफर संकल्पों को पूरा करने की कहानी कहता है। अब वे मास्टरशेफ में रनरअप बन गईं हैं। जानते हैं इस सफर की कहानी।
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जानते हैं ब्लैक राइस बनाने में महारत हासिल करने वाली नाम्बी जेसिका मराक का कुकिंग का सफर।
टीम हेल्‍थ शॉट्स Published: 14 Jan 2024, 14:00 pm IST
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मेघालय की नाम्बी जेसिका मराक खुद को एंटरप्रेन्योर एट हार्ट यानि दिल से एक एंटरप्रेन्योर मानती हैं, जो अपने बिजनेस से विशेष सफलता हासिल कर रही हैं। जेसिका न सिर्फ मास्टरशेफ इंडिया 2023 की फर्स्ट रनर.अप हैं, बल्कि अपने यूट्यूब चैनल “ईट योर कप्पा” के माध्यम से तकरीबन 50,000 लोगों के साथ भी जुड़ी हुई हैं। उन्हें अचार बनाने में गहरी दिलचस्पी है। इसके माध्यम से वे अपने गृह राज्य के वेस्ट खासी हिल्स के एक दूरदराज के गांव अपर रंगसा के लोगों को सशक्त बनाने का प्रयास कर रही हैं।

हेल्थ शॉट्स के साथ बातचीत में नाम्बी जेसिका मराक ने अपने खाना बनाने के सफर से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। चलिए जानते हैं ब्लैक राइस बनाने में महारत हासिल करने वाली नाम्बी जेसिका मराक का कुकिंग का सफर।

1. सबसे पहले मास्टरशेफ इंडिया 2023 के प्रथम रनर अप होने पर आपको बहुत बहुत बधाई। आप बताएं कि ये मकाम आपके लिए कितना मायने रखता है।

मास्टरशेफ इंडिया मेरे लिए अविश्वसनीय था। मैंने कभी यहां तक पहुंचने की उम्मीद नहीं की थी। मेरे लिए टॉप 12 में जगह बनाना एक बड़ी अचीवमेंट है। इसके बाद मुझे अपना लक्ष्य पूर्ण होता नज़र आ रहा है। इसके लिए मैंने कड़ी मेहनत की है और वह सफर अब भी जारी है।

2. बीते वर्ष मेघालय की सरकार ने प्रदेश के आदिवासी व्यंजनों को बढ़ावा देने के लिए सम्मानित किया था। मेघालय के लोगों की बेहतरी कि दिशा में आपको इसका कितना लाभ मिला?

मुख्यमंत्री व कला और संस्कृति विभाग की ओर से मिला सम्मान कुकिंग और कल्चरल एम्बेसडर का है। मेरा सपना है कि मेघालय के व्यंजनों को दुनिया के बाकी हिस्सों में भी ले जाया जाए। अधिकतर लोग भारतीय व्यंजनों के बारे में जब बात करते हैं, तो केवल बटर चिकन और बिरयानी का नाम ही उनकी जुबां पर आता है। कोई भी काले तिल चिकन के बारे में नहीं जानता है। बतौर पाक दूत अब ये जिम्मेदारी मेरे कंधों पर है।

मेरा मकसद अन्य देशों को हमारे भोजन और संस्कृति की सुंदरता से वाकिफ करवाना है। कुछ साल पहले, चेन्नई में नौकरी छोड़ कर मैं अपने होम टाउन वापिस लौट आई थी। मेरे पति जो तमिलनाडु से हैं, वे अपने और मैं अपने गांव के लोगों को सशक्त बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। उनके जीवन में खेती का खास महत्व है। वे अपनी उपज या उत्पादों को बेचने के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं। मैं अचार बनाती हूं, इसलिए मैं चाहती हूं कि किसान मेरे लिए सब्जियां उगाएं ताकि मैं खरीद सकूं।

Jaanein nambi ke jeevan se judi khaas batein
इंजीनियरिंग के छात्रों को पढ़ाने से लेकर ईट योर कप्पा यूट्यूब चैनल खोलने तक नाम्बी का सफर संकल्पों को पूरा करने की कहानी कहता है।

3. शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ी नौकरी छोड़कर आप अचार बनाने के काम से जुट गईं। ये ख्याल मन में कैसे आया?

अचार बनाने की कला मेरी मां से मुझे विरासत में मिली है। स्कूल के दिनों में मेरे मित्र मेरे बनाए खाने का आनंद लेते थे। गांव जाने के बाद मैंने देखा बहुत सी सब्जियां बर्बाद हो रही है। इसके चलते मैंने अचार बनाना शुरू कर दिया। हमें सस्टेनएबिलिटी की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके मद्देनज़र अचार बनाने के लिए लोकल सब्जियों और फलों का उपयोग करती हूं। अचार बनाने के लिए अभी सिर्फ सोशल मीडिया के माध्यम से ही ऑर्डर ले रही हूं। गुजरात, मुंबई, पुणे, टेक्सास, सिंगापुर और पेरिस समेत कई जगहों से ऑर्डर आते हैं। स्मॉल स्केल बिजनेस में मैं पर्सनली ग्राहकों से बात करती हूं।

4. मेघालय लौटने से पहले आप शिक्षा के क्षेत्र में थीं। क्या आपके मांइड में एजुकेशन फील्ड से संबधित किसी प्रकार की कोई योजना है।

मैं कुछ समय के लिए शिक्षा के क्षेत्र में थी। जहां कुछ वक्त के लिए फ्रीलांस ट्रेनर के रूप में काम किया। वहां इंजीनियरिंग के छात्रों को पढ़ाती थी। मैंने उन्हें सॉफ्ट स्किल और अंग्रेजी लैंग्वेज सिखाई। मैं एक मातृसत्तात्मक समाज से आती हूं इसलिए मुझे अपने परिवार की देखभाल करनी है।

मेघालय में बसने से पहले मेरी मां लकवाग्रस्त हो गई थी। कुछ साल बाद मेरे पति जो तमिलनाडु में एक कॉलेज में पढ़ा रहे थे, उन्होंने भी अपनी नौकरी छोड़ दी और हमने एक खेत पर काम करना शुरू किया। बीते वर्ष ग्राम प्रधान के अनुरोध पर एक स्कूल को हमने गोद लिया। दरअसल, पहले से ही हम मैं और मेरे पति मिलकर स्कूल खोलना चाहते थे। इसके चलते हमने स्कूल को अपनाने का फैसला लिया। इस वक्त हमारे स्कूल में 85 बच्चे हैं।

Nambie kaise masterchef mei pahunchi
स्कूल के दिनों में मेरे मित्र मेरे बनाए खाने का आनंद लेते थे।

5. साल 2016 में शुरू किए गए यूट्यूब चैनल ईट योर कप्पा से आपको खासी लोकप्रियता मिली। इस चैनल को शुरु करने के पीछे क्या लक्ष्य था?

ये बात उन दिनों की है, जब मैं चेन्नई में पढ़ने गई थी। वहां का मसाला डोसा और बिरयानी खाकर पूरी तरह से थक चुकी थी। इसलिएए मैंने घर के खाने को एक्सप्लोर करने की शुरूआत की। उस वक्त सीमित मात्रा में ऑनलाइन व्यंजन उपलब्ध थे। मैंने उस अवसर का लाभ उठाकर अंग्रेजी में मेघालय व्यंजनों और पूर्वोत्तर व्यंजनों पर वीडियो बनाना शुरू कर दिया, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया।

6. खाना बनाने के अलावा ऐसा कौन सा काम है, जिसमें आप खुद को व्यस्त रखती हैं

खाना बनाने के अलावा मेरा अधिकतर वक्त खेती, स्कूल और बेटी के साथ बीतता है। इसके अलावा किसी और चीज़ के लिए मेरे पास वक्त नहीं है। मैं खुद को 24X7 व्यस्त रखती हूं और इसी में खुश हूं।

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