सूजन शरीर के किसी भी हिस्से पर हो सकती है। शरीर में सूजन के बढ़ने के यूं तो कई कारण हो सकते हैं। मगर अस्त व्यस्त लाइफ स्टाइल इसका मुख्य कारण साबित होता है। इसके चलते शरीर में दर्द की समस्या बनी रहती है। इसके अलावा शरीर का तापमान भी इससे प्रभावित होने लगता है। सूजन शरीर के इंटरनल और एक्सटरनल दोनों हिस्सों को प्रभावित करती है। जानते है इंफ्लामेशन क्या है और शरीर में बढ़ने वाली सूजन के संकेत भी।
एनसीबीआई के अनुसार जब शरीर के किसी अंग में होने वाला घाव सूजकर लाल हो जाता है और उसमें धीरे धीरे दर्द बढ़ने लगता है, तो ये सूजन का ही संकेत है। आम तौर परए शरीर में बैक्टीरियल इंफे्क्शन सूजन की प्रतिक्रिया को बढ़ाने लगता है। शरीर में इंजरी और इंफैक्शन से सूजन की समस्या बढ़ने लगती है। शरीर जैसे जैसे ठीक संक्रमण के प्रभाव से मुक्त हो जाता है। वैसे वैसे सूजन कम होने लगती है।
आर्टिमिस अस्पताल गुरूग्राम में सीनियर फीज़िशियन डॉ पी वेंकट कृष्णन के अनुसार शरीर में क्रानिक और एक्यूट इंफ्लामेशन अलग अलग प्रकार से शरीर को प्रभावित करते हैं। जहां हल्की फुल्की चोट या घाव के चलते एक्यूट इंफलामेश का सामना करना पड़ता है। वहीं टीवी या कोई इंजरी के चलते क्रानिक इंफ्लामेशन शरीर को प्रभावित करने लगती है। इसमें व्यक्ति को अधिकतर वेटलॉस, लॉस ऑफ एपिटाइट, टायरडनेस और बुखार व कमजोरी का सामना करना पड़ता है।
संक्रमण के कारण बढ़ने वाली सूजन एक्यूट इंफ्लामेशन कहलाती है। इससे ग्रस्त व्यक्ति के शरीर से हीट प्रोड्यूस होती है और संक्रमित जगह पर गर्माहट बनी रहती है। वायरल इंफे्क्शन, स्किन इंफे्क्शन और ब्रोंकाइटिस में एक्यूट इंफ्लामेशन का खतरा रहता है। इसके अलावा बुखार का जोखिम भी बढ़ जाता है।
क्रानिक इंफ्लामेशन शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर देती है। पुरानी सूजन को स्लो इंफ्लामेशन सूजन के रूप में भी जाना जाता है। ये समस्या कुछ दिनों से महीनों तक और फिर सालों साल जारी रहती है। दरअसल, सूजन का संबध समस्या पर निर्भर होता है। समस्या जब तक शरीर में रहती है, क्रानिक इंफ्लामेशन भी बनी रहती है।
एक्यूट और क्रानिक इंफ्लामेशन दोनों ही शारीरिक अंगों में दर्द का कारण बनने लगती हैं। सूजन के चलते जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द होने लगता है। शरीर में जैसे जैसे सूजन क्रानिक रूप लेने लगती है। गंभीरता उतनी ही बढ़ जाती है। इससे चलने फिरने में दर्द का अनुभव होता है और रात को देर तक नींद नहीं आती है।
शरीर में रक्त प्रवाह के बढ़ जाने से सूजन वाली जगह पर गर्माहट महसूस होने लगती है। घुटनों में होने वाली दर्द व सूजन के चलते इंफ्लामेशन बढ़ने लगती है। जोड़ों के आसपास की त्वचा गर्म रहती है। कई बार शरीर में बुखार की समस्या से भी ग्रस्त होने लगता है।
जर्नल ऑफ फ्रनटियर इन मेडिसिन के अनुसार शरीर के जिन अंगों में सूजन की समस्या बढ़ने लगती है। उन जगहों पर लालिमा बढ़ने लगती है। दरअसल, सूजन वाले क्षेत्र की ब्लड वैसल्स शरीर के अन्य अंगों की अपेक्षा अधिक चौड़ी हो जाती हैं।
अगर शरीर के एक हिस्से में सूजन है, तो उससे अन्य हिस्से भी प्रभावित होने लगते हैं। दरअसल, शरीर में वॉटर रिटेंशन से स्वैलिंग की समस्या बढ़ने लगती है। टिशूज में फ्लूइड की मात्रा बढ़ने से इस समस्या का सामना करना पड़ता है। स्वैलिंग बढ़ने से जोड़ों और शरीर के अन्य अंगों में दर्द बढ़ने लगता है।
सूजन के चलते चलने फिरने और उठने बैठने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। इससे शरीर में गतिविधि करने में थकान का अनुभव होता है। इसके अलावा नींद भी बाधित होती है।
कुछ देर व्यायाम के लिए निकालें। इससे शरीर में बढ़ने वाली स्टिफनेस को नियंत्रित किया जा सकता है।
भरपूर मात्रा में पानी पीएं। इससे शरीर निर्जलीकरण की स्थिति से बच पाता है और शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह उचित बना रहता है।
पैरों में बढ़ने वाली सूजन से बचने के लिए दिनभर जूते पहनने से बचें। इसके अलावा कॉटन सॉक्स पहनें
सर्दी के मौसम में बहुत ज्यादा हीटर या ब्लोअर का इस्तेमाल करने से बचें। शरीर के तापमान को सामान्य बनाकर रखें।
क्रानिक सूजन की समस्या से उबरने के लिए डाइट में एंटी इंफ्लामेट्री फूड को शामिल करें। ग्रीन टी, गाजर, टमाटर, चुकंदर और दालों का सेवन करें।