दुख प्रकट करने के लिए हम रोते हैं। जब हमें किसी की बात बुरी लगती है या व्यवहार बुरा लगता है, तो हम रोने लगते हैं। भारतीय परिवेश में माना जाता है कि पुरुषों को रोना नहीं चाहिए। यह उनकी कमजोरी की निशानी हो सकती है। लेकिन शोधकर्ता मानते हैं कि स्त्री हो या पुरुष स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से दोनों को रोना चाहिए। रोने के बाद हम अकसर कहते हैं कि मन हल्का हो गया। वास्तव में रोना मेंटल हेल्थ और शारीरिक स्वास्थ्य (Crying effect on health) दोनों के लिए फायदेमंद है।
वर्ष 2021 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा अमेरिकी लोगों पर की गई रिसर्च में सामने आया कि औसतन अमेरिकी महिलाएं हर महीने 3.5 बार रोती हैं। जबकि अमेरिकी पुरुष हर महीने लगभग 1.9 बार रोते हैं। शोधकर्ताओं ने माना कि लोगों ने न सिर्फ गहरी उदासी और दुख में, बल्कि अत्यधिक खुश होने पर भी अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए आंसू बहाए। ये रिसर्च बताती हैं कि रोना सेहत के लिए अच्छा है। प्राचीन यूनान और रोम के विचारकों और चिकित्सकों का मानना था कि आंसू एक रेचक की तरह काम करते हैं, जो हमें इनर लेवल पर शुद्ध करते हैं।
आज का मनोविज्ञान भी इसे मानता है। रोने के फायदों के बारे में जानने के लिए हमने सर गंगाराम हॉस्पिटल में कंसल्टेंट सीनियर क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. आरती आनंद से बात की।
वैज्ञानिक रोने के लिक्विड प्रोडक्ट को तीन अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित करते हैं: रिफ्लैक्स टीयर्स, कंटीन्यूअस टीयर्स और इमोशनल टीयर्स।
रिफ्लैक्स टीयर्स और कंटीन्यूअस टीयर्स हमारी आंखों से धुएं और धूल जैसे मलबे को हटाने और संक्रमण से बचाने में मदद करने के लिए हमारी आंखों को चिकनाई प्रदान करते हैं। आंसू में लगभग 98% पानी होता है।
डॉ. आरती आनंद कहती हैं, ‘रोना अपने पेन और स्ट्रेस को रिलीज करने का एक नेचुरल तरीका है। रोने से मन हल्का हो जाता है और मूड अच्छा। रोने के बाद आप अपने आपको अच्छी तरह एक्सप्रेस कर पाती हैं। क्योंकि इस प्रक्रिया के बाद आपके थॉट क्लियर हो जाते हैं। आप अपनी समस्या पर अच्छी तरह सोच-विचार करने और उसके समाधान ढूंढने में सक्षम हो जाती हैं।’
डॉ. आरती जोर देकर कहती हैं, रोने से गुड फील हार्मोन एंडोर्फिन रिलीज होते हैं। फीलगुड हार्मोन पॉजिटिव थिंकिंग को बढ़ावा देते हैं। अक्सर जब आप कोई मूवी देखती हैं, तो इमोशनल सीन आने पर आपकी आंखों से आंसू निकलने लगते हैं।
दरअसल, इसके माध्यम से आप अपनी भावनाओं को आंसू के जरिये बाहर निकालती हैं, जिन्हें आपने किसी कारणवश सप्रेस कर दिया था। यह आपको असीम शांति का एहसास कराता है।
कई बार बॉडी में स्ट्रेस इतना अधिक होता है और आपको पता ही नहीं चलता है। स्ट्रेस से कई शारीरिक समस्याएं जुड़ी होती हैं। रोने से मसल्स स्ट्रेन रिलैक्स हो जाता है। यह एक ऑटोमेटिक प्रक्रिया है।
मूवी देखते समय यदि आप रोती हैं, तो आप जानती हैं कि उस समय कोई आपको देख नहीं रहा है। कोई जज नहीं कर रहा है। इसलिए आप तनाव मुक्त महसूस करती हैं और सिर्फ अपने ऊपर ध्यान दे पाती हैं।
रोने के बाद अच्छी नींद आती है। हमें सावधान रहना चाहिए कि हम ज्यादा रोते हैं या घंटों रोते रहते हैं, तो यह मेंटल डिसऑर्डर, एंग्जायटी, डिप्रेशन की निशानी हो सकती है। यह मानसिक रूप से बीमार होने का भी संकेत दे सकती है।
इसलिए लंबे समय तक नहीं रोना चाहिए। रोने के बाद हमारी ब्रीदिंग और हार्ट रेट डिक्रीज हो जाती है।
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