स्वास्थ्य के प्रति सजग होना जरूरी है। सजगता की कमी के कारण ही स्तन कैंसर का खतरा बढ़ता है। कुछ जोखिम जैसे कि अधिक उम्र होना से बचाव संभव नहीं है। कुछ जोखिम के प्रति सावधान रहने या जागरूक रहने पर कैंसर से बचाव किया जा सकता है। कुछ महिलाओं को बिना किसी जोखिम कारक के भी स्तन कैंसर हो जाता है। जोखिम कारक होने का मतलब यह नहीं है कि आपको बीमारी हो जाएगी। साथ ही सभी जोखिम कारकों का प्रभाव समान नहीं हो सकता है।यहां सबसे पहले तो यह जानना जरूरी है कि कौन-कौन सी चीज़ें स्तन कैंसर का जोखिम (breast cancer risks) बढ़ा सकती हैं।
भारत के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एन्ड प्रिवेंशन के अनुसार, स्तन कैंसर का खतरा कई कारकों के संयोजन से बढ़ सकता है। ज्यादातर स्तन कैंसर 50 वर्ष या उससे अधिक उम्र की महिलाओं में पाया जाता है। यदि किसी भी महिला को स्तन कैंसर के किसी भी तरह के लक्षण का एहसास हो रहा हो, तो जोखिम को कम करने के तरीकों और स्तन कैंसर की जांच के बारे में तुरंत अपने डॉक्टर से बात करे।
उम्र के साथ स्तन कैंसर का खतरा बढ़ता जाता है। अधिकांश स्तन कैंसर 50 वर्ष की आयु के बाद डायग्नोज होता है।
जिन महिलाओं को बीआरसीए1 और बीआरसीए2 जैसे कुछ जीनों में परिवर्तन (Genetic mutations)) विरासत में मिला है, उनमें ब्रैस्ट और सर्वाइकल कैंसर का खतरा अधिक होता है।
12 साल की उम्र से पहले मासिक धर्म शुरू होने और 55 साल की उम्र के बाद मेनोपॉज शुरू होने से महिलाएं लंबे समय तक हार्मोन के संपर्क में रहती हैं। इससे उनमें स्तन कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
डेंस स्तनों में वसायुक्त ऊतक की तुलना में अधिक कनेक्टिव टिश्यू होते हैं। इससे कभी-कभी मैमोग्राम पर ट्यूमर को देखना कठिन हो सकता है। डेंस ब्रेस्ट वाली महिलाओं को स्तन कैंसर होने की संभावना अधिक होती है।
जिन महिलाओं को स्तन कैंसर हो चुका है, उनमें दूसरी बार स्तन कैंसर होने की संभावना अधिक होती है। कुछ नॉन-कैंसरयुक्त स्तन रोग जैसे एटिपिकल डक्टल हाइपरप्लासिया या लोब्यूलर कार्सिनोमा इन सीटू स्तन कैंसर होने के हाई रिस्क से जुड़े होते हैं।
यदि किसी महिला की मां, बहन या बेटी (फर्स्ट-डिग्री रिश्तेदार) या परिवार में मां या पिता की ओर से कई सदस्यों को ब्रेस्ट या सर्वाइकल का कैंसर हुआ हो, तो स्तन कैंसर का खतरा अधिक होता है। (फर्स्ट-डिग्री के मेल मेंबर को स्तन कैंसर होने से भी महिला में इसका खतरा बढ़ जाता है।
जिन महिलाओं को 30 वर्ष की आयु से पहले छाती या स्तनों पर रेडिएशन ट्रीटमेंट (उदाहरण के लिए हॉजकिन के लिंफोमा ट्रीटमेंट ) हुआ था, उन्हें जीवन में बाद में स्तन कैंसर होने का खतरा अधिक होता है।
जो महिलाएं शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं होती हैं, उनमें स्तन कैंसर होने का खतरा अधिक होता है।शारीरिक रूप से सक्रिय रहने से स्तन कैंसर होने का खतरा कम करने में मदद मिल सकती है।
अधिक वजन वाली या मोटापे से ग्रस्त बड़ी उम्र की महिलाओं में स्वस्थ वजन वाली महिलाओं की तुलना में स्तन कैंसर होने का खतरा अधिक होता है।
मेनोपॉज के दौरान ली जाने वाली हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी के कुछ रूप जिनमें एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन दोनों शामिल होते हैं। इन्हें पांच साल से अधिक समय तक लेने पर स्तन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। कुछ ओरल कंट्रासेप्टिव पिल्स स्तन कैंसर के खतरे को बढ़ाते हुए पाए गए हैं।
30 साल की उम्र के बाद पहली बार गर्भधारण करना, स्तनपान न कराना भी स्तन कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है।
कुछ अध्ययन बताते हैं कि कि महिलाओं के अधिक शराब पीने पर स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। धूम्रपान, कैंसर पैदा करने वाले रसायनों के संपर्क में आना और नाइट शिफ्ट में काम करने के कारण हार्मोन में बदलाव आ सकते हैं। ये कारक भी स्तन कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
पारिवारिक इतिहास (family history for breast cancer risk) होने से दोनों लिंगों में कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। यदि परिवार में स्तन कैंसर का इतिहास है या बीआरसीए1 और बीआरसीए2 जीन में वंशानुगत परिवर्तन हैं, तो स्तन कैंसर होने का हाई रिस्क हो सकता है। सर्वाइकल कैंसर का भी जोखिम बढ़ सकता है।
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