Breast Cancer : क्या टाइट ब्रा पहनना या निप्पल पियर्सिंग ब्रेस्ट कैंसर का कारण बन सकते हैं? आइए एक्सपर्ट से जानते हैं

महिलाओं की सेहत को ध्यान में रखते हुए हमने ब्रेस्ट कैंसर के बारे में प्रचलित कुछ भ्रामक अवधारणाओं की पड़ताल करनी शुरू की। आइए जानते हैं ब्रेस्ट हेल्थ और ब्रेस्ट कैंसर से जुड़े ऐसे ही कुछ मिथ्स की सच्चाई।
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ब्रेस्ट टिशु को सुरक्षा प्रदान करते हैं। चित्र : अडोबी स्टॉक
Published On: 14 Jul 2023, 09:30 am IST
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ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में होने वाला सबसे घातक कैंसर हैं। इसके मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इसी के साथ-साथ इससे संबंधी मिथ्स यानी भ्रामक बातें भी बढ़ने लगी हैं। स्तनों का आकार, ब्रा और ब्रेस्ट फीडिंग सहित कई चीजों को ब्रेस्ट कैंसर से जोड़ा जाने लगा है। जबकि यह कितने सच हैं और कितने झूठ, आम लोग नहीं जानते। इसलिए महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए हमने ब्रेस्ट कैंसर के बारे में प्रचलित कुछ भ्रामक अवधारणाओं की पड़ताल करनी शुरू की। आइए जानते हैं ब्रेस्ट हेल्थ और ब्रेस्ट कैंसर से जुड़े ऐसे ही कुछ मिथ्स की सच्चाई।

सालों से स्तन (breast) को लेकर ऐसी कई अवधारणाएं चली आ रही हैं, जिसकी वजह से महिलाएं कई गतिविधियों को नजरअंदाज कर देती हैं। टाइट ब्रा पहनने से लेकर, वायर वाली ब्रा पहनने तक, कई चीजों को ब्रेस्ट कैंसर का कारण बताया जाता है। इन सभी पर भरोसा करने से पहले इनकी सही जानकारी होना महत्वपूर्ण है। अन्यथा कई स्थितियां ऐसी भी होती हैं, जब हम सही चीजों को भी नजरअंदाज करना शुरू कर देते हैं।

ब्रेस्ट हेल्थ से जुड़ी कुछ भ्रामक अवधारणाओं के तथ्यों का पता लगाने के लिए हेल्थ शॉट्स ने मैत्री वुमन की संस्थापक, सीनियर कंसल्टेंट गायनोकोलॉजिस्ट और ऑब्सटेट्रिशियन डॉक्टर अंजलि कुमार से बात की। तो चलिए जानते हैं ब्रेस्ट से जुड़े कुछ जरुरी फैक्ट्स (myths about breast cancer)।

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ब्रेस्ट की जो भी साइज़ है, उसके साथ सहज रहना जरूरी है। कई योगासन हैं जो ब्रेस्ट को होने वाली बीमारियों के जोखिम को दूर रखकर स्वस्थ रखती हैं। चित्र : अडोबी स्टॉक

यहां हैं स्तन स्वास्थ्य से जुड़े कुछ मिथ्स और उनकी सच्चाई

मिथ 1 : दोनों स्तनों के आकार में अंतर किसी स्वास्थ्य जोखिम की ओर इशारा करता है!

फैक्ट – हर महिला के स्तन का आकार अलग-अलग होता है। इसी तरह दोनों स्तनों का आकार भी एक-दूसरे से अलग होता है। किसी में ज्यादा अंतर देखने को मिलता है, तो किसी में बहुत कम। यह पूरी तरह से सामान्य है और किसी भी तरह के स्वास्थ्य जोखिम को नहीं दर्शाता।

मिथ 2 : ब्रेस्टफीडिंग की वजह से स्तन ढीले पड़ जाते हैं!

फैक्ट – यह एक बहुत बड़ी और भ्रामक अवधारणा है। स्तनों के ढीला पड़ने के पीछे एजिंग प्रोसेस जिम्मेदार होता है। बढ़ती उम्र के साथ त्वचा अपनी इलास्टिसिटी खोने लगती है, जिसकी वजह से स्किन ढीली पड़ सकती है। इसके अलावा वजन का बढ़ना और घटना भी आपके ब्रेस्ट की सैगिंग के लिए जिम्मेदार हो सकता है।

मिथ 3 : अंडरवायर्ड ब्रा, डिओडरेंट या सेलफोन के इस्तेमाल से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है

फैक्ट : अंडरवायर्ड ब्रा हो या टाइट ब्रा, इनके स्तन कैंसर का कारण बनने के बारे में अभी तक किसी प्रकार का कोई साइंटिफिक शोध नहीं मिला है। जिससे कि यह पता लगाया जा सके कि यह कैंसर के जोखिम को बढ़ावा देती हैं। ठीक इसी प्रकार डिओडरेंट, डेरी प्रोडक्ट का सेवन, मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर भी किसी प्रकार का शोध नहीं आया है। यह सभी बातें अब तक केवल सुनी-सुनाई हैं।

इसके बावजूद आपको टाइट ब्रा पहनने से बचना चाहिए, क्याेंकि यह आपके लिए आरामदायक नहीं है। यह आपके स्तनों को संकुचित कर देती है, जिसकी वजह से आप असहज महसूस कर सकती हैं।

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प्रदूषण से बचने के लिए आप क्या करते हैं?

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शांति से काम लें और डॉक्टर से मिलकर इस समस्या का पता लगाएं। चित्र : एडॉबीस्टॉक

मिथ 4 : निप्पल पियर्सिंग से बढ़ जाता है ब्रेस्ट कैंसर का खतरा

फैक्ट – हालांकि निप्पल छिदवाना दर्दनाक और कई समस्याओं का कारण बन सकता है, पर अभी तक इसका ब्रेस्ट कैंसर से कोई संबंध सामने नहीं आया है। निप्पल पियर्सिंग ब्रेस्ट कैंसर नहीं, बल्कि विभिन्न प्रकार के ब्रेस्ट इंफेक्शन का कारण बन सकती है। इसकी वजह से निप्पल में पस भर सकता है।

वहीं निप्पल पियर्सिंग करवाने के बाद आपको ब्रेस्टफीडिंग में परेशानी आती है, यह मिल्क डक्ट को बंद कर सकता है। साथ ही नर्वस को भी नुकसान पहुंचाता है। इसलिए निप्पल पियर्सिंग नहीं करवानी चाहिए, परंतु इसका ब्रेस्ट कैंसर से सीधा संबंध नहीं होता।

मिथ 5 : निप्पल डिस्चार्ज हमेशा ब्रेस्ट कैंसर को दर्शाता है

फैक्ट – निप्पल डिस्चार्ज हमेशा ब्रेस्ट कैंसर के कारण नहीं होता, इसके कई अन्य कारण हो सकते हैं जैसे कि थायराइड की समस्या, पीसीओइस, इसके अलावा कुछ दवाइयां जैसे कि एंटीडिप्रेसेंट। इसलिए ब्रेस्ट डिस्चार्ज होने पर घबराए नहीं, शांति से काम लें और डॉक्टर से मिलकर इस समस्या का पता लगाएं।

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मिथ 6 : केवल अधिक उम्र की महिलाओं को ही ब्रेस्ट कैंसर का खतरा होता है

फैक्ट : डॉ बताती हैं कि उन्होंने 25 से 30 वर्ष की ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाओं की जांच की है। वहीं कई बार उन्होंने प्रेगनेंसी में भी महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर का शिकार होते देखा है। केवल बढ़ती उम्र की महिलाओं को ही नहीं, बल्कि सभी उम्र की महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर को लेकर सतर्क रहना चाहिए और उन्हें इसकी उचित समझ होनी चाहिए। डॉक्टर नियमित स्क्रीनिंग और सेल्फ एग्जामिनेशन की सलाह देती हैं।

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जानिए क्या निपल्स में दर्द का कारण केवल कैंसर होता है। चित्र : शटरस्टॉक

मिथ 7 : आईवीएफ से बढ़ जाता है ब्रेस्ट कैंसर का खतरा

फैक्ट : आईवीएफ में मरीज को ऐसी दवाइयां दी जाती है जो ओवरी को एग प्रोड्यूस करने के लिए स्टिम्युलेट करते हैं। यह प्रक्रिया एस्ट्रोजन हार्मोन की एक्टिविटी को प्रभावित करती है। ऐसे में कई लोगों को लगता है, कि यह ब्रेस्ट कैंसर को बढ़ावा दे सकता है। परंतु यह एक अवधारणा है। कई ऐसी स्टडी सामने आई हैं जिनके अनुसार आईवीएफ ब्रेस्ट कैंसर को बढ़ावा नहीं देता।

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लेखक के बारे में
अंजलि कुमारी
अंजलि कुमारी

इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट अंजलि फूड, ब्यूटी, हेल्थ और वेलनेस पर लगातार लिख रहीं हैं।

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