कभी-कभी रिप्रोडक्टिव ऑर्गन में किसी तरह की कोई खराबी नहीं होती। इसके बावजूद प्रेगनेंसी में दिक्कत होती है। प्रेगनेंसी प्लान करने के बावजूद दोनों पार्टनर को निराश होना पड़ता है। जिन्हें प्रेगनेंसी में दिक्कत होती है, उन्हें दोस्त सलाह देते हैं कि इंटरकोर्स के बाद कुछ देर तक लेटे (lying down after sex to conceive) रहें। क्या यह सचमुच में कारगर होता है? क्या यह सिर्फ मिथ है या इसके पीछे कोई साइंटिफिक साक्ष्य है? यहां प्रसिद्ध गाइनेकोलॉजिस्ट और ऑब्सटेट्रिशियन डॉ. रिद्धिमा शेट्टी अपने इन्स्टाग्राम पोस्ट में बता रही हैं प्रेगनेंसी के इस तरीके (lying down after sex to conceive) के पीछे की सच्चाई को।
डॉ. रिद्धिमा बताती हैं, ‘जब प्रेगनेंसी किन्हीं कारणों से लेट होने लगती है, तो डॉक्टर भी सेक्स के बाद 15- 20 मिनट तक बेड पर लेटे (lying down after sex to conceive) रहने की सलाह देते हैं। दरअसल, सेक्स के बाद स्पर्म का बाहर निकलना सामान्य है। ऐसा ग्रेविटी के कारण होता है।
सेक्स के बाद स्पर्म का बाहर निकलने से गर्भधारण की संभावना कम नहीं होती। हालांकि खड़े होने या बाथरूम जाने से गुरुत्वाकर्षण शुक्राणु को गर्भाशय ग्रीवा (Cervix) से खींच कर दूर ले जा सकता है। इसलिए इस मामले में ज्यादातर डॉक्टर सलाह देते हैं कि सेक्स के बाद कम से कम 5 मिनट तक लेटे रहें। इससे गर्भधारण की संभावना (lying down after sex to conceive) बढ़ जाती है।‘
विशेषज्ञ इस बात की सलाह देते हैं कि अगर आप कंसीव करना चाहती हैं, तो सेक्स के बाद अपने हिप्स के नीचे एक तकिया लगा लें। इससे सीमेन को गर्भाशय की ओर ले जाने में गुरुत्वाकर्षण की मदद मिलती है। इस अवस्था में 10 – 15 मिनट (Pregnant hone ke liye kitni der tak lete rahna chahiye) रहने की सलाह दी जाती है। यह अवधि स्पर्म के लिए पर्याप्त होती है।
इस विधि के अलावा विशेषज्ञ पैर ऊपर करने की भी सलाह देते हैं। पैरों को एक साथ उठाकर दीवार से लगा दें। इस अवस्था में आराम करें। इस विधि में भी गुरुत्वाकर्षण को शुक्राणु की सहायता करने का अवसर मिलता है। यह भी एक कारगर तरीका है।
यदि शुक्राणु के मूवमेंट की बात की जाए, तो शुक्राणु को फैलोपियन ट्यूब के भीतर अपने गंतव्य तक पहुंचने में 2 मिनट से भी कम समय लग सकता है। अक्सर शुक्राणु अंडाशय से एग जारी होने तक धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करते हैं। ये शरीर में लगभग पांच दिनों तक जीवित रह सकते हैं। इसका मतलब हुआ कि गर्भाधान वास्तव में सेक्स के कई दिनों बाद भी हो सकता है।
जो महिलाएं अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान (Intrauterine Insemination) से गुजरती हैं, उनमें स्पर्म की बड़ी संख्या को गर्भाशय के नजदीक छोड़ दिया जाता है। इससे ओव्यूलेशन (Ovulation) के दौरान एक अंडा स्पर्म से मिलकर जायगोट बना लेता है। इसमें भी ग्रेविटी के रूल को ही फ़ॉलो किया जाता है।
जर्नल ऑफ़ सेक्सुअल मेडिसिन के तहत की गई एक स्टडी में यह बात सामने आई कि 15 मिनट तक लेटने से गर्भधारण की दर 27% तक बढ़ जाती है। जबकि इंटरकोर्स के तुरंत बाद उठने वाले लोगों में प्रेगनेंसी की दर 18% थी।
अगर आप प्रेगनेंट नहीं होना चाहतीं, और सेक्स के दौरान स्पर्म अंदर चला गया है, तो डॉक्टर आपको तुरंत यूरीन पास करने की सलाह देते हैं। यही वजह है कि प्रेगनेंसी को रोकने के तरीके के रूप में सेक्स के बाद यूरीन पास करने की सलाह दी जाती है। सेक्स के बाद पेशाब करने से यूटेरिन ट्रैक्ट इन्फेक्शन से बचाव हो सकता है।
इसके कारण सेक्सुअली ट्रांसमिट होने वाले कुछ संक्रमण को रोकने में भी मदद मिल सकती है। ग्रेविटी फ़ोर्स के कारण सीमेन वेजाइना के अंदर नहीं जा सकते हैं। लेकिन सभी को यह बात जान लेनी चाहिए कि यूरीन एक छोटे से छेद से निकलता है, जिसे यूरेथरा (Urethra) कहा जाता है। सेक्स के बाद पेशाब करने से योनि से शुक्राणु नहीं निकल पाते हैं।
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