योनि को हम शरीर का महत्वपूर्ण हिस्सा नहीं मानते हैं। इसलिए देखभाल की कोई विशेष कोशिश भी नहीं करते हैं। इसके कारण हम अनजाने में इन्फेक्शन के शिकार होते रहते हैं। जान लें कि वेजाइनल केयर के लिए कोई विशेष प्रोडक्ट की आवश्यकता नहीं होती है। सिर्फ पानी से भी इसकी सफाई की जा सकती है।प्राकृतिक रूप से योनि खुद को स्वच्छ करती रहती है। हमें सिर्फ कुछ बातों को ध्यान में रखना (healthy vagina) चाहिए। सप्से पहले जानें की योनि और वल्वा में क्या अंतर है।
कई महिलाएं वल्वा और वेजाइना को एक ही मान लेती हैं। ये महिला जनन अंग के दो अलग-अलग क्षेत्र हैं।
वल्वा बाहरी जननांगों को बनाती है। उनकी रक्षा करती है। इसमें प्यूबिक एरिया, क्लिटोरिस, लेबिया और युरीनरी ऑपनिंग भी शामिल हैं।
योनि वल्वा को सर्विक्स और बाद में यूटरस से जोड़ती है। यह केनाल है, जो माहवारी और प्रसव कराने में मदद करती है।
वल्वो वेजाइनल क्षेत्र को साफ करने के लिए प्रतिदिन गुनगुने पानी की मदद ले सकती हैं। साबुन की जरूरत नहीं पड़ती है। यदि साबुन का इस्तेमाल करना चाहती हैं, तो माइल्ड साबुन का प्रयोग किया जा सकता है। वॉशक्लॉथ की बजाय उंगलियों का उपयोग करना चाहिए। योनि के अंदर न धोएं। ऐसा करने से इसका नाजुक पीएच संतुलन बिगड़ सकता है। इससे जलन और संक्रमण हो सकता है। योनि आमतौर पर स्राव के साथ खुद को साफ कर लेती है।
विशेष स्क्रब, सुगंधित साबुन और डूशिंग का उपयोग करने से बचें। यहां तक कि ऐसे उत्पाद का भी प्रयोग नहीं करें, जो योनि देखभाल के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। ये प्राकृतिक पीएच संतुलन को बिगाड़ सकते हैं। इसके कारण संक्रमण हो सकता है। यदि योनि से दुर्गंध आती है, तो सबसे पहले याद रखें कि यह इन्फेक्शन के कारण हो सकता है। किसी प्रोडक्ट का इस्तेमाल करने की बजाय डॉक्टर से संपर्क करें। पूप या यूरीन पास के बाद आगे और फिर पीछे की ओर पोंछें। इसका उल्टा करने से बैक्टीरिया यूरीनरी ट्रैक्ट में जा सकते हैं। इसमें संक्रमण हो सकता है।
योनि सुख पाने का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। इसलिए इसे हानिकारक केमिकल और बैक्टीरिया से बचाना जरूरी है। ऐसे लुब्रिकेंट से बचें, जिसमें ग्लिसरीन, पेट्रोलियम उत्पाद, सुगंध, फ्लेवर, नॉन नेचुरल आयल, कलर हों। इसमें मौजूद अनहेल्दी तत्व पीएच संतुलन बिगाड़ सकते हैं। कंडोम के अवयवों की भी जांच करें।
कई ब्रांड स्पर्मीसाइड से बने होते हैं। ये योनि के अच्छे बैक्टीरिया को मार सकते हैं। पीएच संतुलन को बिगाड़ सकते हैं। जलन और संक्रमण का कारण बन सकते हैं।
यदि आप एनस और वेजाइनल सेक्स के बीच स्विच कर रही हैं, तो हर बार एक नए कंडोम का उपयोग करें। एनस में मौजूद बैक्टीरिया योनि में जलन पैदा कर सकते हैं। उसे संक्रमित कर सकते हैं। इसी तरह योनि में बैक्टीरिया होते हैं, जो गुदा में जलन पैदा कर सकते हैं।
कभी-कभी सेक्स के दौरान बैक्टीरिया यूरीनरी ट्रैक्ट में प्रवेश कर जाते हैं। इसलिए बैक्टीरिया को बाहर निकालने और यूरीनरी ट्रैक्ट को संक्रमण से बचाने के लिए सेक्स के बाद यूरीन पास करें। सेक्स के बाद गुनगुने पानी से योनि को साफ कर लें। उस क्षेत्र को अच्छी तरह से सुखा लें।
ऐसे कपड़े चुनें, जिसमें वल्वोवैजाइनल क्षेत्र आसानी से सांस ले सके और सूखा रहे। नमी बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा दे सकती है। इससे यीस्ट संक्रमण हो सकता है। रेशम या पॉलिएस्टर के बजाय सूती अंडरवियर पहनें। कॉटन में नमी बनाए रखने की संभावना कम होती है। इससे गंध पैदा करने वाले बैक्टीरिया का पनपना मुश्किल हो जाता है। टाइट-फिटिंग कपड़ों से बचें। वर्कआउट के बाद अपने कपड़े और अंडरवियर बदलें। गीला स्विमसूट पहनने से बचें।
यदि भारी योनि स्राव का अनुभव होता है, तो दिन में दो बार अपना अंडरवियर बदलें। रात में अंडरवियर उतार दें, ताकि योनि के आसपास पसीने का जमाव कम हो सके।
प्यूबिक हेयर वल्वा को बैक्टीरिया और वायरस से बचाते हैं। यह सेक्स के दौरान फ्रिक्शन से बचाता है। इसे नियमित रूप से साफ करने पर प्यूबिक हेयर से कोई स्वास्थ्य खतरा नहीं होता है। कुछ महिलाओं को प्यूबिक हेयर होने से अधिक नमी और दुर्गंध आती है। वे शेविंग, वैक्सिंग या इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से इसे पूरी तरह से हटाना पसंद करती हैं।
कुछ इसे काटने के लिए कैंची का उपयोग, तो कुछ महिलाएं इसे प्राकृतिक रूप में रहने देना चाहती हैं। वास्तव में चुनाव आपका है। शेविंग करने से रेज़र बर्न, रेडनेस, बाल आने पर खुजली और संक्रमण भी हो सकता है। कट और खरोंच से बैक्टीरिया ग्रो कर सकते हैं। हेयर रिमूवल क्रीम का उपयोग न करें, जो बालों को जला देती है। विशेष रूप से वल्वा की संवेदनशील त्वचा के लिए हार्ड हो सकती है।
माहवारी के दौरान अपना टैम्पोन दिन में 4 से 5 बार बदलें। यह पैड और लाइनर के लिए भी लागू होता है। पीरियड के दौरान क्षेत्र को नियमित रूप से धोएं या पोंछें। दही जैसे प्रोबायोटिक्स का सेवन यीस्ट संक्रमण को रोकने और योनि के पीएच स्तर को बनाये रख सकता है। इससे योनि की गंध कम हो पाएगी।
हालांकि दही को अपनी योनि में न डालें। इसमें मौजूद शुगर यीस्ट को बढ़ा सकता है। अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रहने से बैक्टीरिया की वृद्धि और तनाव से संबंधित पसीने को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है।
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