समय के साथ साथ महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव आते रहते हैं। वे महिलाएं जो 45 के नज़दीक है या उसे पार कर रही हैं वो मेनोपॉज (menopause) फेस से होकर गुज़रती है। रजोनिवृत्ति (menopause) वो दौर होता है, जिसमें महिलाएं स्वास्थ्य को लेकर कई प्रकार के उतार चढ़ाव महसूस करती है। शारीरिक और मानसिक बदलाव महिलाओं की परेशानी का कारण बनने लगते हैं। जानते है मेनोपॉज (menopause) के वो 5 अर्ली सांइस (early signs of menopause), जो महिलाओं की चिंता का कारण बनने लगते हैं।
इस बारे में बातचीत करते हुए स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ रितु सेठी का कहना है कि जब आप मेनोपॉज (menopause) के नज़दीक होते हैं, तो इस वक्त शरीर में कई बदलाव महसूस होते हैं। इसका प्रभाव हमारी मेंटल हेल्थ (mental health) पर भी दिखने लगता है। दरअसल, इस दौरान हार्मोनल चेंजिंज (hormonal changes) के चलते शरीर के तापमान में उतार चढ़ाव आता है और हमारा मस्तिष्क उसको रेगुलेट करने में सक्षम नहीं होता है। इसके चलते महिलाओं को हॉट फलशिज़ (Hot flashes) और मूड स्विंग (mood swing) की समस्या का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा इस बात का पता लगाना भी मुश्किल हो जाता है कि आपको अगला पीरियड कब होगा और वो कब तक चलेगा।
इस बारे में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ रितु सेठी के मुताबिक शरीर में रजोनिवृत्ति (menopause) के नज़दीक होने पर हॉट फलेशिज़ का होना सामान्य लक्षण है। बार बार गर्दन और चेहरे पर पसीना आने लगता है। दरअसल, शरीर में हार्मोंनल असंतुनित होना इस समस्या का कारण बनने लगता है। शरीर में एस्ट्रोजन के स्तर में गिरावट आने से मेनोपॉज (menopause) के लक्षण दिखने लगते है।
अगर आपको वेजाइना में सूखापन और इचिंग महसूस हो रही हैं, तो ये मेनोपॉज (menopause) का भी एक लक्षण हो सकता है। इसके चलते इंटरकोर्स के दौरान महिलाओं को दर्द का अनुभव होता है। वे खुद को कंफर्टेबल महसूस नहीं करती है।
एनसीबीआई के अनुसार मेनोपॉज (menopause) के नज़दीक पहुंचते ही महिलाओं की पीरियड साइकिल (period cycle) डिसटर्ब होने लगती है। एक ही महीने में एक से ज्यादा बार पीरियडस होने लगते हैं। तो वहीं कभी किसी महीने नहीं भी होते हैं। इसके अलावा ब्लड फ्लो भी बढ़ता घटता रहता है। जो स्पॉटिंग का कारण भी बन सकता है। इन दिनों में महिलाओं को अतिरिक्त केयर की आवश्यकता होती है।
शरीर में हो रहे हार्मोनल बदलाव का असर महिलाओं के मूड पर भी दिखने लगता है। महिलाएं कभी बेहद खुश होती हैं, तो कभी एकदम उदास महसूस करने लगती है। इसके अलावा व्यवहार में चिड़चिड़ापन भी बढ़ने लगता है। इस दौरान डिप्रेशन का शिकार होने का भी जोखिम बढ़ने लगता है। ऐसे में अपनी मेंटल हेल्थ (mental health) को बनाए रखने के लिए सेल्फ केयर (self-care) बेहद ज़रूरी है।
मिडल एज में पहुंचकर बातों को भूलना एक आम बात है। अक्सर मोबाइल या फिर वॉलेट रखकर भूल जाना या फिर बात करते करते भूल जाना महिलाओं में सामान्य तौर पर देखने को मिलता है। अगर आप भी इस तरह की परेशानी से जूझ रही हैं। तो ये मेनोपॉज (menopause) का एक शुरूआती लक्षण हो सकता है।
शरीर में एस्ट्रोजन होर्मोन (estrogen hormone) का लेवल कम होने से पैल्विक ऑर्गन्स वीक होने लगते हैं। ऐसे में महिलाएं यूरिन नियंत्रित नहीं कर पाती है और उन्हें बार बार यूरिन फीलिंग का अनुभव होने लगता है। अधिकतर महिलाएं इस परेशानी से होकर गुज़रती है। इसके चलते महिलाएं बाहर आने जाने में भी कतराने लगती है। योनि सूखापन पेरिमेनोपॉज़ लक्षणों में से एक है जो ज्यादातर महिलाएं अनुभव करती हैं।
अपने डेली रूटीन में कुछ वक्त एक्सरसाइज़ के लिए अवश्य निकालें।
गर्मी में बाहर निकलने से परहेज़ करें और नाइट स्वैट से बचाव के लिए कमरे में कूलिंग रखें।
सेक्स के दौरान ल्यूब्रिकेंटस का प्रयोग करें, जो आपको दर्द से बचाएंगे।
एंटीऑक्सीडेंटस से भरपूर फूड डाइट में शामिल करें और फ्राइड व स्पाइसी फूड खाने से बचें।
हल्के और सिंगल लेयर कॉटन के कपड़े ही पहनें।
मूड स्विंग से बचने के लिए किसी न किसी एक्टिविटी में खुद को एगेंज करके रखें।
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