सेफ सेक्स के लिए जितना ज़रूरी कंडोम का इस्तेमाल करना है। ठीक उतना ही ज़रूरी इसका सही प्रकार से प्रयोग करना भी है। उचित प्रकार से इसका प्रयोग करने से न केवल सेक्सुअल लाइफ में रोमांच बढ़ने लगता है बल्कि अनचाही प्रेगनेंसी और सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन से भी बचा जा सकता है। वर्ल्ड कंडोम डे के मौके पर जानते हैं कैसे करें कंडोम का इस्तेमाल (6 tips to use condom safely)।
हर साल 13 फरवरी को वर्ल्ड कंडोम डे के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का मकसद लोगों को सुरक्षित सेक्स की जानकारी देने और इसके फायदे समझाने के लिए मनाया जाता है। इसकी मदद से गर्भधारण से लेकर यौन संचारित रोगों से खुद का बचाव करने में मदद मिलती है। एड्स हेल्थकेयर फाउंडेशन ने साल 2009 में इसकी शुरूआत की थी। इसका मकसद तेज़ी से बढ़ रहे यौन संचारित रोगों की रोकथाम कर कंडोम के इस्तेमाल को लेकर लोगों के अंदर जागरूकता पैदा करना है।
इस बारे में बातचीत करते हुए मदरहुड हॉस्पिटल, पुणे की ऑब्सटेट्रिशियन और गाइनेकोलॉजिस्टए डॉ स्वाति गायकवाड ने कंडोम के इस्तेमाल जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी साझी की। उन्होंने बताया कि कुछ लोग सेक्स के दौरान छोटी छोटी गलतियां कर बैठते है, जिसके चलते यौन रोगों का सामना करना पड़ता है। जानें कैसे करें कंडोम का सही इस्तेमाल।
सबसे पहले कंडोम के रैपर को सावधानीपूर्वक हटाएं। इसे उचित तरीके से हटाने से कंडोम को सही प्रकार से प्रयोग कर पाते हैं।
अब कंडोम की ताज़गी को जांचने के लिए फिल एयर बबल को महसूस करें। इसे पैकेट के बीचों बीच उंगली से दबाकर जांच सकते हैं।
इसके बाद कंडोम को खोले और उसकी टिप का फिंगरकी मदद से पुश करें और उसे पीनस पर उचित प्रकार से लगाएं।
सेक्स के बाद इसे सावधानी से हटाएं और सेनेटरी पैड के समान कागज़ में रैप करके इसे फेंक दें।
सेफ सेक्स तभी संभव है, जब तब कण्डोम एक्सपायर नहीं हुआ है। कंडोम को खरादते वक्त कंडोम के पैकेट पर एक्सपायरी डेट चेक करना न भूलें। साथ ही वेजाइनल इन्फेक्शन का कारण साबित होता है और सेक्सुअल ट्रांसमिटेड डिजीज से बचाने की क्षमता भी कम होने लगती है।
कंडोम के रैपर को किसी चाकू, कैंची या दांतों समेत किसी नुकीली चीज़ से काटने से बचें। इससे कंडोम के कटने का खतरा बना रहता है। पैकेट को काटने से पहले कंडोम की रिब को हाथों से महसूस करें और फिर उसे काटने की कोशिश करें। इससे कंडोम के खराब होने की संभावना कम हो जाती है।
सुरक्षित सेक्स के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कण्डोम आसानी से डैमेज हो सकते हैं। ऐसे में इन्हें किसी गर्म स्थान या पॉकेट, पर्स या बैग में रखने से बचें। इससे इसका लेटेक्स डैमेज होने की संभावना रहती है। इसके चलते शरीर किसी प्रकार के संक्रमण और प्रेगनेंसी को रोक पाने में कारगर साबित नहीं होता है।
एनल सेक्स से वेजाइना सेक्स की ओर बढ़ते वक्त अगर आप कंडोम को बदल रहे हैं, तो उससे संक्रमण का जोखिम कम हो़ जाता है। वे लोग जो एनल सेक्स से वेजाइनल सेक्स में कंडोम को नहीं बदलते हैं, तो इससे रेक्टम में मौजूद बैक्टीरिया वेजाइना में प्रवेश कर लेता है, जिससे संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ने लगता है।
कंडोम का इस्तेमाल करने से शरीर एसटीआई के खतरे से मुक्त रहता है। सेक्स के बीचों बीच कंडोम को उतारने से एसटीआई और प्रैगनेंसी का खतरा ज्यों का त्यों बना रहता है। ऐसा सेक्स सुरक्षित सेक्स नहीं कहलाता है।
एक ही कंडोम को एक से ज्यादा बार प्रयोग में लाने से यौन रोगों का खतरा बढ़ने लगता है। एक ही कंडोम के साथ ज्यादा बार सेक्स करने से महिलाओं और पुरूषों दोनों में यौन समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है । साथ ही उसे सेफ सेक्स नहीं माना जाता है।
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