क्या रात में सोने से पहले टीवी या मोबाइल स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताती हैं? आप स्ट्रेस में ज्यादा रहती हैं? देर तक बिस्तर पर करवट बदलने के बावजूद नींद नहीं आती है। नींद की गोलियां लेनी पड़ती हैं। अगर इन सभी का जवाब हां है, तो सावधान हो जाएं। क्योंकि ये सभी एक्टिविटीज आपको नींद से दूर ले जाती हैं। कुछ उपाय अपनाकर आप बेड पर जाते ही तुरंत सो (fall asleep instantly) सकती हैं।
नर्सिंग फोरम जर्नल के अनुसार, एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए सात से आठ घंटे की नींद आवश्यक है। रिपोर्ट्स बताते हैं कि जापान के बाद भारत में सबसे अधिक नींद की समस्या से लोग जूझ रहे हैं। खासकर भारतीय शहरी महिलाओं में स्लीप डिसॉर्डर की प्रॉब्लम अधिक गंभीर हो गई है। साउंड स्लीप नहीं होने के कारण लोग मूड स्विंग, सिर में दर्द, आलस्य जैसी समस्याओं से जूझने लगते हैं। इससे दैनिक कामकाज प्रभावित होने लगते (fall asleep instantly) हैं। सीखने की क्षमता व याद्दाश्त पर भी गहरा असर पड़ता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि कुछ होम रेमेडीज अपनाकर तुरंत नींद लाई जा सकती है।
जर्नल ऑफ़ स्लीप मेडिसिन एन्ड रिसर्च में प्रकाशित हुए शोध के अनुसार, सोने का कोई निर्धारित समय नहीं होने से बॉडी का सर्केडियन रिद्म गड़बड़ाने लगता है।स्लीपिंग पैटर्न डिस्टर्ब हो जाता है। दरअसल, सर्केडियन रिद्म सोने और जागने के चक्र को कहते हैं। इसे मस्तिष्क में मौजूद 24 घंटे की एक घड़ी (बॉडी क्लॉक) भी कह सकते हैं, जो बाहरी वातावरण के साथ तालमेल बिठाकर चलती है। सर्केडियन रिद्म का प्राथमिक कार्य यह निर्धारित करना है कि शरीर नींद के लिए तैयार है या नहीं। जब आप एक निश्चित समय पर सोती हैं, तो यह बॉडी क्लॉक आपको अलर्ट करता है।
लाइट्स या कमरे में रौशनी भी सर्केडियन रिद्म को प्रभावित करती है। इसलिए अच्छा होगा कि सोने के समय लाइट्स बंद कर दें।
स्टडीज बताती हैं कि हफ्ते में चार से पांच बार एक घंटे की एक्सरसाइज करने से इनसोमनिया की समस्या पर काबू पाया जा सकता है। ध्यान रखें कि सोने से पहले एक्सरसाइज न करें।
जर्नल ऑफ़ स्लीप मेडिसिन एन्ड रिसर्च में प्रकाशित हुए शोध के अनुसार, दिन में आठ घंटे से अधिक और देर रात तक मोबाइल पर हर प्रकार के कंटेंट देखना, नींद न आने का एक प्रमुख कारण बन चुका है। अच्छा होगा कि सोने से पहले मोबाइल फोन से दूरी बना लें। उसे साइलेंट मोड पर डाल दें या बेड से काफी दूर रख दें।
पूरे दिन हमारे मन में अनेक प्रकार के विचार चलते रहते हैं। कई प्रकार की नकारात्मक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। सोते समय भी उन्हीं के बारे में सोचते रहने से नींद प्रभावित हो सकती है। ऐसे में जब आप कोई प्रेरक, मोटिवेशनल किताब पढ़ती हैं, तो इससे मन रिलैक्स होता है और आपको अच्छी नींद आती है।
नर्सिंग फोरम जर्नल के अनुसार, मेडिटेशन या माइंडफुलनेस की प्रैक्टिस से मन शांत (fall asleep instantly) होता है। बेचैनी दूर होती है। विचारों पर नियंत्रण होने से नींद जल्दी और आसानी से आती है।
नर्सिंग फोरम जर्नल के अनुसार, आप शाम या रात में जो खाती हैं, उसका नींद पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जैसे-सोने से एक घंटे पहले अगर आप फ्राइड चीजें, कार्बोहाइड्रेट युक्त हेवी मील लेती हैं, तो उससे नींद गायब हो सकती है। इसलिए आठ बजे तक डिनर करने की कोशिश (fall asleep instantly) करें। इससे खाने को डाइजेस्ट करने के लिए समय मिल जाएगा। पेट भारी नहीं होगा, तो नींद अच्छी आएगी।
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