हमारा शरीर कई तरह के हॉर्मोन्स रिलीज करता है जो शरीर के भिन्न प्रतिक्रियों को व्यक्त करने के लिए जाने जाते हैं। एंडोर्फिन, ऑक्सीटोसिन और सेरोटोनिन नामक हॉर्मोन्स सकारात्मक भावनाओं को व्यक्त करते हैं। इन्हें आमतौर पर हैप्पी हॉर्मोन्स कहा जाता है। हैप्पी हॉर्मोन्स अलग अलग कंडीशन में रिलीज़ होते है। कभी खुशी की भावना को व्यक्त करने के लिए तो कभी एक्साइटमेंट और संतुष्टि की। यह केवल भावनात्मक रूप से ही नहीं बल्कि शारीरिक शक्ति को भी बढ़ावा देते हैं।
यह हॉर्मोन्स दर्द और तनाव से निपटने में मदद करते हैं। यदि आप चाहें तो आसानी से इनके प्रोडक्शन को बूस्ट कर सकती हैं। इन्हें डाइट समेत कई अन्य तरीकों से बढ़ाया जा सकता है। अगर आप खुद को मानसिक, शारीरिक थता भावनात्मक रूप से स्वस्थ रखना चाहती हैं, तो शरीर में इन हॉर्मोमस की एक उचित मात्रा का होना बहुत जरूरी है।
भारतीय योगा गुरु, योगा इंस्टीट्यूट की डायरेक्टर और टीवी की जानी-मानी हस्ती डॉक्टर हंसाजी योगेंद्र ने हैप्पी हॉर्मोन्स को बूस्ट करने के कुछ प्रभावी टिप्स बताये हैं। तो चलिए जानते हैं आखिर किस तरह हैप्पी हॉर्मोन्स के उत्पादन को बढ़ा सकते हैं (How to boost happiness)।
एक्सरसाइज आपके हार्ट रेट को बढ़ा देता है। इससे आपके शरीर में एक पॉजिटिव फीलिंग आती है। शारीरिक सक्रियता एंडोर्फिन के प्रोडक्शन को बूस्ट कर देता है। यह हॉर्मोन आपको तनाव में बेहतर महसूस करने में मदद करता है। इसकी मदद से तनाव और दर्द से राहत मिलती है और यह आपको खुश और शांत रहने में मदद करता है। जरुरी नहीं है की आपको कठिन एक्सरसाइज करनी है आप चाहें तो अपनी मनपसंदीदा खेल कूद और अन्य शारीरिक गतिविधियों में खुदको व्यस्त रखते हुए शरीर में हैप्पी हॉर्मोन्स को बूस्ट कर सकती हैं।
अपने सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ावा देने के लिए बाहर, धूप में कुछ समय बिताएं। रिसर्च के अनुसार सूरज की किरणों के संपर्क में आने से सेरोटोनिन का स्तर बढ़ता है। हर रोज कम से कम 20 मिनट के लिए घर से बाहर खुले वातावरण में जरूर निकलें। जरुरी नहीं की आप कहीं दूर घूमने जाएं घर का गार्डन, आस पास का पार्क या कोई भी वैसी जगह जो आपको अच्छी लगती हो।
यदि आप पुराने जगहों पर जा कर थक चुकी हैं तो एक नया पार्क तलाशने का प्रयास करें। हालांकि, सुबह के समय बाहर निकल रही हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि यूवी एक्सपोज़र त्वचा को नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए सनस्क्रीन लगाना न भूलें।
यह कहावत सभी ने सुनी होगी “लाफ्टर इज द बेस्ट मेडिसिन”। आपकी मुस्कान और हसी चिंता और तनाव की भावनाओं को दूर करने में मदद कर सकती है। यह डोपामाइन और एंडोर्फिन के स्तर को बढ़ा देती है। यह दोनों हॉर्मोन खराब मूड में सुधार करने के लिए जाने जाते हैं।
पब मेड सेंट्रल द्वारा 2017 में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार हंसी एंडोर्फिन रिलीज को ट्रिगर कर देती है। ऐसे में हर दिन काम से लौटने के बाद अपने दोस्तों के साथ या अपने किसी भी मनपसंदीदा व्यक्ति के साथ कुछ वक़्त बिताएं और उस दौरान हसी ठिठोली जरूर करें।
इसके अलावा अपनी मनपसंदीदा वीडियों देखें और मजाकियां किताबे पढ़ सकती हैं। कॉमेडी वीडियों देखना भी एक अच्छा ऑप्शन है।
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ऑक्सीटोसिन को “लव हार्मोन” के रूप में जाना जाता है। किसी के भी प्रति आकर्षित होने से ऑक्सीटोसिन का उत्पादन बढ़ जाता है। साथ ही किसिंग, कुड्लिंग और सेक्स सहित फिजिकल अफेक्शन भी ऑक्सीटोसिन के उत्पादन को बढ़ावा देता है।
बस किसी ऐसे व्यक्ति के साथ समय बिताना जिसकी आप परवाह करते हैं, ऑक्सीटोसिन उत्पादन को बढ़ाने में मदद कर सकता है। ऑक्सीटोसिन की उचित मात्रा खुश और आनंदित रहने में मदद करती है। इस प्रकार आपका मानसिक स्वास्थ्य भी सामान्य रहता है।
यदि आप वास्तव में हैप्पी हॉर्मोन्स को महसूस करना चाहती हैं, तो डांस और सेक्स दोनों ही एंडोर्फिन रिलीज कर सकते हैं। साथ ही आपकी सेक्स डिजायर भी हैप्पी हॉर्मोन्स को बढ़ावा देती हैं।
एक उचित गुणवत्ता वाली नींद आपकी समग्र सेहत पर सकारात्मक प्रभाव डालती है। उचित नींद विशेष रूप से डोपामाइन को संतुलित रखती है। डोपामाइन आपके मूड के साथ-साथ आपके शारीरिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। 7 से 9 घंटे की रात की नींद आपके मूड को बेहतरन रखने के साथ आपको पुरे दिन फ्रेश रहने में मदद करती है।
रात की बेहतर नींद के लिए बिस्तर पर जाने का एक निश्चित समय तय करें साथ ही हर दिन लगभग एक ही समय पर उठने की कोशिश करें। एक शांत, आरामदायक नींद का वातावरण बनाएं। सोने से 5 से 6 घंटे पहले से कैफीन के सेवन से पूरी तरह से परहेज रखें।
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