मेटाबॉलिज़्म बूस्ट करने में भी मददगार है ‘फास्टिंग’, डायटीशियन से जानिये क्या है व्रत रखने का सही तरीका

स्वास्थ्य की दृष्टि से भी 'फास्टिंग' का विशेष महत्व है। फास्टिंग एक प्रकार की आहारिक प्रवृत्ति होती है, जिसमें व्यक्ति नियमित खाने-पीने की प्रक्रिया को कुछ समय के लिए बंद करता है।
sehat ke lie achhi hai fasting
स्वास्थ्य के लिए हेल्दी है 'फास्टिंग'। चित्र-अडॉबीस्टॉक

तमाम सांस्कृतिक मूल्यों से भरे भारत में खुशियों और उत्सवों की कोई कमी नहीं हैं। साल की शुरुआत से लेकर अंत तक महाशिवरात्रि, जन्माष्टमी, सावन और नवरात्रि जैसे अनेक तीज-त्योहार पड़ते हैं, जिसमें आध्यत्मिक तौर पर व्रत और उपवास का बहुत अधिक महत्व होता है। भारतीय संस्कृति में विशेष महत्वों वाले व्रत और उपवासों के आध्यात्मिक फायदों के साथ-साथ स्वास्थ्य को बेहतर बनाने वाले कई फायदे भी शामिल है।

स्वास्थ्य की दृष्टि से भी ‘फास्टिंग’ का विशेष महत्व है। फास्टिंग एक प्रकार की आहारिक प्रवृत्ति होती है, जिसमें व्यक्ति नियमित खाने-पीने की प्रक्रिया को कुछ समय के लिए बंद करता है। आम तौर पर फास्टिंग के इंटरमिटेंट फास्टिंग, निर्जला फास्टिंग, और नॉर्मल फास्टिंग जैसे कई प्रकार होते हैं। इनमें से व्यक्ति को किस तरह की फास्टिंग करनी चाहिए और फास्टिंग का क्या तरीका होना चाहिए यह जानना भी बेहद आवश्यक है।

फास्टिंग के लिए सही पैटर्न बनाना है जरूरी

फास्टिंग को लेकर तमाम सवालों का जवाब लेने के लिए हेल्थशॉट्स ने मुंबई स्थित नानावटी मैक्स हॉस्पिटल की डाइटीशियन और क्लिनिकल न्यूट्रिशनिस्ट डॉ.उषाकिरन सिसोदिया से बात की। उन्होंने बताया कि धार्मिक और प्राचीन प्रथा से जुड़े व्रत-उपवासों के लिए लोगों की लोकप्रियता एक बार फिर से उभरी है।

खुद के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए लोग ‘फास्टिंग’ का ही सहारा ले रहें हैं। डॉ. सिसोदिया बतातीं हैं कि इन दिनों स्वस्थ रहने के लिए ‘इंटरमिटेट फास्टिंग’ का बहुत चलन है।

साथ ही वे बतातीं हैं कि इंटरमिटेट फास्टिंग की तरह की ‘साधारण फास्टिंग’ के भी कुछ पैटर्न बनाना जरूरी है। उनके अनुसार ‘इंटरमिटेट फास्टिंग’ में व्यक्ति 16/8 विधि और 5:2 आहार जैसे लोकप्रिय मॉडलों और पैटर्न के साथ उपवास करते है ।

एक्सपर्ट डाइटीशियन बताती है कि, यदि व्यक्ति सही पैटर्न से व्रत या उपवास करे तो व्यक्ति को वजन घटाने, मानसिक स्पष्टता और कई लाभ हो सकते है।

16/8 पैटर्न के तहत करनी चाहिए ‘फास्टिंग’

डॉ. सिसोदिया ने बताया कि यदि व्यक्ति ‘फास्टिंग’ करता है, तो स्वाभाविक तौर पर उसका ‘मेटाबॉलिज़्म’ मज़बूत होता है और साथ ही रुक-रुक कर उपवास करने से वजन घटाने में मदद भी मिल सकती है। इसके लिए व्यक्ति यदि 16/8 पैटर्न की फास्टिंग करें तो वह बेहतर रहेगा।

अच्छे परिणामों के लिए ‘फास्टिंग पैटर्न’ जरूरी होता है। चित्र-अडोबीस्टॉक

आमतौर पर हिन्दू धर्म के अनुसार सूर्योदय से सूर्यास्त तक व्रत किया जाता है, लेकिन यदि यह व्रत 16 से 24 घंटे तक चलता है तो उसमें भी कोई समस्या नहीं हैं।

वहीं, 16/8 फास्टिंग पैटर्न एक प्रकार की इंटरमिटेंट फास्टिंग होती है, जिसमें आप दिन को 16 घंटे के लिए उपवास करते हैं और केवल 8 घंटे के लिए खाना-पीना खा सकते है। यह फास्टिंग पैटर्न बहुत ही पॉप्युलर है और इन दिनों लोग इसे वजन प्रबंधन और स्वास्थ्य लाभों के लिए अपना रहे हैं। 16/8 फास्टिंग का मुख्य लाभ वजन प्रबंधन में मदद करना है, क्योंकि यह खाने पीने की समयगति को सीमित करके कैलोरीज का संभावना कम करता है।

किस तरह की ‘फास्टिंग’ करने से अच्छा होता है मेटाबॉलिज़्म ?

स्वास्थ्य के मामले में व्रत करने का सही तरीका व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियों, आदतों और आपके शारीरिक और मानसिक स्थिति के आधार पर अलग हो सकता है, लेकिन यदि आप अपने मेटाबॉलिज़्म को बूस्ट करना चाहते हैं, तो इन तरीकों को ध्यान में रख कर व्रत कर सकते है।

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1 संतुलित दृष्टिकोण जरुरी

डॉ. सिसोदिया बताती हैं कि हम अक्सर देखते हैं कि उपवास करने वाले ज्यादातर लोग विशेष व्यंजनों का सेवन करते हैं, जिनमें नियमित आहार की तुलना में कैलोरी अधिक हो सकती है। उपवास वाले भोजन के अधिक सेवन से अत्यधिक कैलोरी की मात्रा बढ़ सकती है, जिससे वजन बढ़ सकता है और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए हमें एक संतुलित दृष्टिकोण रखना महत्वपूर्ण है और उपवास को अधिक खाने से क्षतिपूर्ति करने का अवसर नहीं मानना ​​चाहिए।

2 शरीर के संकेतों को समझें

डॉ.सिसोदिया के अनुसार व्रत में सक्रिय रहना बहुत आवश्यक है, इसके लिए सैर करना या दौड़ लगाना बेहद जरूरी है। लेकिन वे बतातीं हैं कि इन सभी चीज़ों के बीच हमेशा अपने शरीर के संकेतों को सुनना आवश्यक है। यदि आपको अत्यधिक थकान, चक्कर आना या बेचैनी जैसे किसी भी तरह के लक्षण दिखते हैं, तो इसको गंभीरता से लें और यदि समस्या ज्यादा हो तो तुरंत किसी डॉक्टर से कंसल्ट करें।

3 डाइट का रखें विशेष ध्यान

व्रत के समय में संतुलित आहार लें, जिसमें पर्याप्त प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स, फाइबर, और आवश्यक न्यूट्रिएंट्स हों। सही आहार से शरीर को उचित पोषण मिलेगा और स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद मिलेगी।

व्रत के दौरान संतुलित आहार लेना चाहिए। चित्र-अडोबीस्टॉक

4 सीमित रखें खाने की मात्रा

डॉ. सिसोदिया के अनुसार ‘फास्टिंग’ के दौरान खाने की मात्रा सीमित रखनी चाहिए। कुछ लोग व्रत-उपवास के दौरान आलू या चीनी का सेवन अधिक मात्रा में करते है, जिससे उन्हें कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं।

डॉ.सिसोदिया बताती है कि अत्यधिक चीनी के सेवन से ब्लड शुगर में वृद्धि और गिरावट हो सकती है, जिससे भूख बढ़ सकती है और संभावित वजन बढ़ सकता है। समय के साथ, यह टाइप 2 मधुमेह और हृदय रोगों के खतरे को भी बढ़ा सकता है। जबकि आलू विटामिन और खनिजों का एक अच्छा स्रोत हैं, इनका अधिक मात्रा में सेवन (खासकर तले हुए या वसा से भरपूर) कैलोरी से भरपूर होता हैं और वजन बढ़ाने में योगदान करता हैं।

5 हाइड्रेटेड रहना है सबसे ज्यादा जरूरी

व्रत के समय में पर्याप्त पानी पिएं ताकि आपका शरीर हाइड्रेटेड रहे और आपका शारीरिक संतुलन बना रहे। साथ ही हाइड्रेट रहने से आपकी बॉडी सेल्स अच्छे से काम कर पाएंगे, जिससे आपको पूरे दिन ताज़गी का अनुभव होगा और आप हेल्दी करेंगे।

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लेखक के बारे में

पिछले कई वर्षों से मीडिया में सक्रिय कार्तिकेय हेल्थ और वेलनेस पर गहन रिसर्च के साथ स्पेशल स्टोरीज करना पसंद करते हैं। इसके अलावा उन्हें घूमना, पढ़ना-लिखना और कुकिंग में नए एक्सपेरिमेंट करना पसंद है। जिंदगी में ये तीनों चीजें हैं, तो फिजिकल और मेंटल हेल्थ हमेशा बूस्ट रहती है, ऐसा उनका मानना है। ...और पढ़ें

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