इंटरनेट की दुनिया में भले ही आप सोशल मीडिया पर ज्यादा एक्टिव न रहती हों, लेकिन सोशल लाइफ में एक्टिव रहना बेहद जरूरी है। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में व्यक्ति को ‘सोसेलाइजेशन’ करने के लिए भी अलग से समय निकालना पड़ता है। लेकिन वहीं, कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें लोगों से घुलना-मिलना और उनसे बात करने में घबराहट होती है या डर लगता है।
घर की चाहरदीवारी में बंद रह के खुद को कम्फर्टेबल फील करने वाले इस तरह के लोग ‘सोशल फोबिया’ या ‘सोशल एंग्जायटी नामक बीमारी से पीड़ित होते है। सोशल एंग्जायटी को मात्र एक साधारण समस्या समझ के छोड़ने वाले लोगों के लिए यह जानना बेहद आवश्यक है कि यह मात्र एक समस्या नहीं बल्कि एक बहुत बड़ी बीमारी है।
जर्नल ऑफ एंग्जाइटी डिसऑर्डर की एक रिपोर्ट के अनुसार, सोशल एंग्जायटी डिसऑर्डर टॉप 3 मानसिक बीमारियों में आता हैं। साथ ही रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि दुनिया भर में कुल 7 प्रतिशत लोग ‘सोशल एंग्जायटी डिसऑर्डर’ से पीड़ित है। वहीं, यदि आपको या आपके आस-पास किसी को ‘सोशल एंग्जायटी’ की समस्या हैं, तो उसे ठीक करना संभव है।
सोशल एंग्जायटी पर काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट और साइकोथेरेपिस्ट चारवी जैन बताती हैं कि, सोशल एंग्जायटी एक तरह का सामाजिक भय है, जिसमें व्यक्ति लोगों से बात करने या उनसे मिलने पर घबराता है और उस स्थिति से संबंधित नकारात्मक अतार्किक चीज़ें सोच लेता है, जिसके कारण व्यक्ति को पब्लिक में खुद को एक्सप्रेस करना चुनौतीपूर्ण लगता है , और उसकी सोशल लाइफ प्रभावित होती है।
आम भाषा में समझें तो ‘सोशल एंग्जायटी’ एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति सामाजिक तौर पर खुद को व्यक्त करने में सक्षम नहीं होता और सोशल सर्किल में आने के कारण उसे शारीरिक और मानसिक रूप से परेशानी होने लगती है। जिसके कारण व्यक्ति तमाम लोगों से दूर होकर, अकेले ही समय बिताना उचित समझता है।
सोशल एंग्जायटी के लक्षण के बारे में साइकोथेरेपिस्ट बतातीं हैं कि ,ऐसे कई कारण हैं, जिनसे आप समझ सकती हैं कि आप सोशल एंग्जायटी से पीड़ित है।
सोशल एंग्जायटी से ग्रस्त व्यक्ति किसी ग्रुप के सामने या कोई प्रेजेंटेशन देते वक़्त बहुत डरता है । अधिकतर केसेज़ में ऐसे स्थिति में कांपना, पसीना आना और दिल का तेज़ धड़कना जैसे शारीरिक लक्षण दिखाई देने लगते है ।
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कस्टमाइज़ करेंसोशल एंग्जायटी से ग्रसित व्यक्तियों के लिए पार्टी, मीटिंग, सोशल गैदरिंग या अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेना बहुत चुनौतीपूर्ण कार्य होता है । ऐसी स्थिति में उन्हें ‘सेंटर ऑफ अट्रेक्शन’ बनने और दूसरे के द्वारा खुद को जज करे जाने का भय लगातार बना रहता है।
अक्सर सोशल एंग्जायटी से पीड़ित लोग बात करते समय एक-दूसरे से आंख मिलाने से बचते हैं, क्योंकि उनका मानना होता है कि यह उन्हें और अधिक संवेदनशील बनाता है।
सोशल एंग्जायटी के कारण सामाजिक स्थितियों में व्यक्ति को कुछ शारीरिक लक्षण भी दिखाई पड़ते है। जिनमें शर्माना, पसीना आना, कांपना और पेट ख़राब होना जैसी स्थितियां दिखाई पड़ सकती है।
सोशल एंग्जायटी की समस्या को दूर करने के लिए साइकोथेरेपिस्ट बतातीं हैं कि, ऐसे कई रास्ते हैं, जिनसे इस समस्या को कम करने में मदद मिल सकती है। चूंकि यह एक मानसिक स्थिति है, इसलिए इसे तुरंत खत्म नहीं किया जा सकता लेकिन जीवनशैली में साधारण बदलाव लाकर इस समस्या को धीरे-धीरे खत्म किया जा सकता है।
किसी भी चीज़ को सही करने के लिए यह स्वीकार करना आवश्यक है कि आपको किस तरह की समस्या है। सोशल एंग्जायटी को खत्म करने के लिए स्वीकार करें की आपको सोशल एंजाइटी है और जिन चीज़ों से आपको समस्या होती है, उन्हें ठीक करने की कोशिश करें ।
सोशल एंग्जायटी की समस्या से बचने के लिए यह समझना बहुत जरूरी है कि आप किसी साधारण स्थिति में नहीं हैं, बल्कि मानसिक समस्या से ग्रसित है। इसीलिए किसी मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सक या मनोचिकित्सक से कंसल्ट करें।
अक्सर सोशल एंग्जायटी से ग्रसित लोग पब्लिक में जाने से पहले ही अपने मन में कई तरह के नकारात्मक विचार ले आते है। जैसे उन्हें लगता है कि लोग उन्हें जज कर लेंगे या उनका मजाक बनाएंगे। सोशल एंग्जायटी अक्सर नकारात्मक और अवास्तविक विचारों से प्रेरित होती है , इसलिए कोशिश करें कि आप नकारात्मक विचारों को से दूर रहें।
साइकोथेरेपिस्ट चारवी जैन बतातीं हैं कि कैफीन और अल्कोहल भी व्यक्ति में एंग्जायटी की समस्या को बढ़ाता है, इसलिए उनका सेवन सीमित करें और खासकर सामाजिक कार्यक्रमों से पहले या उसके दौरान उनको पूर्णतः छोड़ दें ।
बातचीत करने का तरीका, सही शब्दों का प्रयोग, फ्रेंडली ह्यूमन गेस्चर्स , यह वे तमाम चीज़े हैं जो व्यक्ति को अच्छी सोशल लाइफ में रहने के लिए बहुत आवश्यक है। इसलिए लोगों के सामने रहने और अपनी कमी को दूर करने के लिए सोशल स्किल्स डेवलप करें।
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