कभी-कभी बातों-विचारों को लेकर किसी से भी कॉन्फ्लिक्ट हो जाते हैं। हमें लगता है कि हम सही हैं और सामने वाले को लगता है वे सही हैं। कंफ्लिक्ट होना आम बात है। जरूरी नहीं कि हर बात हर किसी पर फिट बैठे ही। सामने वाले का जैसा भी बर्ताव या व्यवहार रहा हो, खुद का इससे तुरंत निकलना जरूरी है। यह प्रोफेशनल और पर्सनल दोनों फ्रंट के लिए जरूरी है। अब सवाल यह भी हो सकता है कि इस कोंफ्लिक्ट या संघर्ष से कैसे निकला जाए। इसे कैसे खत्म किया जाए। विशेषज्ञ बताते हैं कि कनफ्लिक्ट मैनेजमेंट (Conflict management) की मदद से इसे सॉल्व किया जा सकता है। लोगों से कनफ्लिक्ट खत्म कर बातचीत करने की अपील करता है वर्ल्ड हेलो डे।
विश्व हैलो दिवस या वर्ल्ड हैलो डे (world Hello Day) हर साल 21 नवंबर को मनाया जाता है। यह इस बात पर बल देता है कि कॉन्फ्लिक्ट बढाने की बजाय कम्युनिकेशन के माध्यम से हल करना चाहिए। शांति बनाए रखने के लिए आगे बढ़कर लोगों से हैलो कहें।
कनफ्लिक्ट को मैनेज करना जरूरी है। यह सच है कि सामने वाला व्यक्ति आपकी सही बात को भी गलत कह सकता है। लेकिन यहां पर आपको सही तरीके से कनफ्लिक्ट को मैनेज करने आना जरूरी है। किसी भी प्रकार की असहमति और विवाद को प्रबंधित करने के लिए रचनात्मक और सम्मानजनक तरीके खोजना जरूरी है। इसके लिए प्रक्रिया, तकनीक और स्किल का उपयोग करने आना चाहिए। सक्रिय रूप से सुनने और पॉजिटिव तरीके से अपनी बात बोलने के अलावा, संघर्ष को सहयोगात्मक रूप से हल करना जरूरी है।
यदि शारीरिक हिंसा का कोई ख़तरा नहीं है, तो सीधे उस व्यक्ति से बात करें जिससे आपको समस्या है। पत्र लिखने, मैसेज करने, दूसरों के द्वारा संवाद देने, हर किसी से शिकायत करने की तुलना में सीधी बातचीत कहीं अधिक प्रभावी है। आप उचित अवसर देखकर सीधी बातचीत करें। इसके लिए पहले से योजना बनाना जरूरी है। गहन चर्चा के लिए पर्याप्त समय लें। जब सामने वाला व्यक्ति अपने पर्सनल काम में लगा हुआ है, तो संघर्ष या विवाद या कनफ्लिक्ट के बारे में बात करना शुरू न करें। किसी शांत जगह पर बात करने का प्रयास करें, जहां चर्चा के दौरान आप दोनों सहज और शांत रह सकें।
समय से पहले यह जरूर सोचें कि आप क्या कहना चाहती हैं। उन्हें बताएं कि समस्या क्या है और यह आपको कैसे प्रभावित करती है। अपनी बात सामने वाले को नाराज़ करने की कोशिश नहीं करें। इससे उन्हें बात सुनना और चिंताओं को समझना कठिन हो जाता है। हर बात के लिए दूसरे व्यक्ति को दोष न दें। क्या किया जाना चाहिए इस पर अपनी राय से बातचीत शुरू न करें।
दूसरे व्यक्ति के व्यवहार की व्याख्या न करें। भावनात्मक बातों को कहने की बजाय सही बात की जानकारी दें। दूसरे व्यक्ति को संघर्ष के बारे में अपना पक्ष पूरी तरह से बताने का मौका दें। आराम से हर बात सुनें। यह जानने का प्रयास करें कि दूसरा व्यक्ति कैसा महसूस करता है। आपको जो कहा जा रहा है, आप उससे सहमत नहीं हो सकती हैं। दूसरे व्यक्ति को बताएं कि आप उसे सुनती हैं और खुश हैं कि आप समस्या पर एक साथ चर्चा कर रही हैं।
एक बार जब आप शुरू करें, तो सभी मुद्दों और भावनाओं को खुलकर सामने लायें। उस हिस्से को न छोड़ें जिस पर चर्चा करना बहुत मुश्किल या बहुत महत्वपूर्ण नहीं लगता है। यदि सभी मुद्दों पर गहन चर्चा की जाए, तो समाधान सबसे अच्छी तरह सामने आयेंगे।
किसी एक निश्चित बिंदु पर पहुंचने के बाद समाधान पर काम करना शुरू करें। एक व्यक्ति द्वारा दूसरे को बदलाव के लिए कहने की तुलना में दो या दो से अधिक लोगों का सहयोग लेना या करना कहीं अधिक प्रभावी होता है। बातचीत से समाधान निकलना जरूरी है।
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