गर्दन का दर्द (Neck Pain) सिर के नीचे रीढ़ की हड्डी में या उसके आसपास दर्द होता है। इसे सर्वाइकलगिया (cervicalgia) भी कहा जाता है। गर्दन सरवाइकल स्पाइन (Cervical Spine) के रूप में भी जाना जाता है। गर्दन का दर्द कई अलग-अलग चोटों और मेडिकल कंडीशन के कारण भी हो सकता है। यदि इसका इलाज नहीं किया गया, तो गर्दन का दर्द या नेक पेन दैनिक गतिविधियों में बाधा डाल सकता है। इससे लाइफ क्वालिटी भी प्रभावित हो सकती है। हालांकि गर्दन के दर्द के ज्यादातर कारण गंभीर नहीं होते हैं। दर्द की दवा, एक्सरसाइज और तनाव प्रबंधन (Stress Management) से इसे (Neck Pain) ठीक किया जा सकता है।
दिल्ली के वेलनेस सेंटर के फाउंडर और फिटनेस एक्सपर्ट राजेश कुमार के अनुसार, खराब पोश्चर के अलावा, उम्र बढ़ने, शारीरिक तनाव, मानसिक तनाव, चोट लगने पर भी गर्दन का दर्द हो सकता है। ओस्टीओपोरोसिस, बोन का द्रव्यमां घटने, ट्यूमर, सिस्ट के साथ-साथ गर्दन के नसों पर दबाव बढ़ने पर भी गर्दन में दर्द हो सकता है। कुछ गंभीर स्वास्थ्य कारणों जैसे कि मेनिनजाइटिस, रुमेटीइड अर्थराइटिस और कैंसर के कारण भी गर्दन का दर्द हो सकता है।
नेक पेन होने पर गर्म स्नान करें। गर्दन दर्द वाली जगह पर हर कुछ घंटों में 15 मिनट के लिए गर्म तौलिया या हीटिंग पैड रखें। पैड को सबसे कम सेटिंग पर रखें। हीट मसल्स को ढीला करती है। यह ब्लड फ्लो को बढ़ावा देती है।
हर कुछ घंटों में 15 मिनट के लिए कोल्ड पैक गर्दन पर रखें। तौलिये में लपेटा हुआ आइस क्यूब भी रखा जा सकता है। ठंड ब्लड वेसल्स को संकीर्ण कर देती है। इससे जलन और सूजन कम हो जाती है। चोट लगने के तुरंत बाद गर्मी की बजाय ठंडक का प्रयोग करें।
हेल्थकेयर प्रोवाइडर की सलाह पर नेक एक्सरसाइज करें। यदि गर्दन में गंभीर चोट है या नस दब गई है, तो व्यायाम करने का प्रयास न करें।
माइंडफुलनेस, ध्यान, सांस लेने के व्यायाम और योग शरीर में तनाव को दूर करने में मदद कर सकते हैं। ये गर्दन दर्द से भी राहत दिला सकते हैं।
दिल्ली के वेलनेस सेंटर के फाउंडर और फिटनेस एक्सपर्ट राजेश कुमार के अनुसार, डॉक्टर की सलाह पर दर्द निवारक दवाएं भी ली जा सकती हैं। गर्दन के दर्द और सूजन को कम करने के लिए नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं ली जा सकती हैं। गर्दन की मांसपेशियों को ठीक करने में मदद करने वाली दवाएं, मांसपेशियों को आराम देने वाली दवाएं गर्दन के दर्द के लिए सही हो सकती हैं।
व्यायाम और गतिविधियों को सीखने के लिए फिजिकल थेरेपिस्ट या फिटनेस ट्रेनर कि मदद ली जा सकती है। इससे गर्दन की मांसपेशियों और टेंडन मजबूत होते हैं और लचीलेपन में सुधार होता है। पीठ की एक्सटेंसर मांसपेशियों का व्यायाम करें।
अच्छी मुद्रा का अभ्यास करें (Good Posture) : कंप्यूटर और फोन जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को सही स्थिति में रखें। उनका उपयोग करते समय गर्दन को झुकाना या तनाव न उठाना पड़े। बैठते समय कंधे एक सीध में और पीठ सीधी रखें, ताकि गर्दन पर दबाव न पड़े। यात्रा के दौरान भी पोश्चर का ध्यान रखें।
दिल्ली के वेलनेस सेंटर के फाउंडर और फिटनेस एक्सपर्ट राजेश कुमार के अनुसार, अच्छी मुद्रा के साथ नींद लें। यदि पीठ या बाजू के बल सोती हैं, तो सिर को सहारा देने के लिए तकिये का उपयोग करें, ताकि सिर और गर्दन शरीर के बाकी हिस्सों के साथ एक सीध में रहे। यदि पीठ के बल सोती हैं, तो पीठ के निचले हिस्से से अतिरिक्त दबाव हटाने के लिए घुटनों के नीचे एक तकिया रखें।
लंबे समय तक बैठने पर कभी-कभी ब्रेक भी लें। घूमें-फिरें और गर्दन की मांसपेशियों सहित पूरे शरीर को फैलाएं। कंधों पर भारी वजन न उठाएं। किताबों के बैग या सूटकेस जैसी भारी वस्तुएं कंधे पर ले जाने से बचें। इसके बजाय पहियों वाले सामान या बैग का उपयोग करने पर विचार करें।
उम्र बढ़ने के साथ पीठ के ऊपरी हिस्से की ताकत कम होना सामान्य है। परिणामस्वरूप कंधे आगे की ओर झुकते हैं। आपका सिर रीढ़ की हड्डी के सामने की स्थिति में आगे की ओर झुका होता है। यह स्थिति गर्दन और पीठ के ऊपरी हिस्से पर अतिरिक्त दबाव डालती है। व्यायाम इसमें मदद कर सकते हैं।
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