दो लोगों का रिश्ता कई वजहों से बिखर सकता है। बावजूद इसके कई बार हम उसे फिर से वही प्यार और विश्वास को पैदा करने की कोशिश करते है। अगर आप उस रिश्ते को दोबारा पहले जैसा मज़बूत और लॉग लास्टिंग बनाना चाहती हैं, तो सबसे पहले खुद को उसके लिए तैयार करें। इस बात को याद रखें कि पहले जैसा विश्वास दूसरी बाद संजोने में वक्त लगेगा, मगर कोई भी चीज़ नामुमकिन नहीं है। अगर आप रिश्ते में विश्वास को फिर एक बार कायम करना चाहते हैं, तो इन बातों का अवश्य ध्यान रखें (how to rebuild trust in a friendship)।
इस बारे में राजकीय मेडिकल कालेज हल्दवानी में मनोवैज्ञानिक डॉ युवराज पंत बता रहे हैं कि रिलेशनशिप में आने वाली कड़वाहट के लिए दोनो लोग बराबर जिम्मेदार होते है। ऐसे में दोनों को आगे बढ़कर सबसे पहले समस्या को समझने की ज़रूरत है और फिर उसे सुलझाने की। दूसरों की बातों को सुनकर किसी रिश्ते को तोड़ना समझदारी नहीं कहलाती है। एक्सपर्ट के मुताबिक अगर आपसे रिश्ते में कोई भी उंच नीच हो गई है, तो उसे एक्सेप्ट करें और उसे दोबारा न दोहराने का भरोसा दिलाएं। इससे आपका पार्टनर आपको न केवल अपना लेग बल्कि आपकेप्रति उनका विश्वास हमेशा बना रहेगा।
रिश्तों में मान सम्मान और विश्वास का होना ज़रूरी है। अगर फिर भी किसी कारण से कड़वाहट आ जाती है, तो उसे सुलझाना हमारी जिम्मेदारी है। ऐसा देखा गया है कि जब हम लोग अपनी गलती को मान लेते हैं, तो सामने वाला व्यक्ति भी गिल्ट फील करने लगता है। अगर आप इस बात को स्वीकार लेते हैं कि आधी गलती मेरी भी थी, तो समस्या अपने आप हल हो जाती है। हांलाकि विश्वास एक बार टूटने के बाद दोबारा बनना आसान नहीं हैं। बावजूद इसके हमें हर रिश्ते को एक दूसरा मौका देना ज़रूरी है।
अगर आप झूठ बोलते हैं या दो लोगों के रिश्ते में कोई तीसरा भी है, तो ऐसी सिचुएशन को छुपाने की बजाय अपने पार्टनर से बातचीत करें। इस बात को जान लें कि अगर आप खुद को एक बेहतर इंसान बना लेंगे, तो उसके बाद सभी रिश्तों को निभाना आसान हो जाएगा। आपके अंदर जो भी कमियां है, उसके लिए आप खुद ही जिम्मेदार है। अगर आप उन्हें दूर कर लेते हैं, तो किसी भी रिश्ते में कोई गड़बड़ी नहीं होगी।
ज्यादातर लोग सिर्फ अपने बारे में ही सोचते हैं। वे इस बात को जान नहीं पाते है कि दूसरे व्यक्ति की मनोस्थ्ति कैसी हो सकती है। अगर आप एक रिश्ते में हैं और अपने र्पाटनर के विश्वास को दोबारा पाना चाहते हैं, तो उसे समझने का प्रयास करें। खुद को उसकी जगह पर रखकर देंखें।
जब दो लोग एक दूसरे के साथ होते हैं, तो आप आसानी से एक दूसरे की सोच को जांच और परख सकते है। दरअसल, किसी भी इंसान की बॉडी लैंग्वेज उसके व्यवहार को दर्शाने में अहम रोल अदा करती है। अकेले में आप आसानी से न केवल एक दूसरे को समझ पाएंगे बल्कि बीते वक्त में हुई गलतियों पर मंथन करने का भी ये एचित वक्त होता है। आप चाहे डिनर पर जाएं या फिर लॉग डाइव पर। बातचीत से ही किसी भी समस्या का सॉल्यूशन निकलना तय है।
हर व्यक्ति के आसपास कुछ ऐसे लोग होते हैं, जो हमें कई प्रकार के सजेशन्स देते हैं। हमें भी लगने लगता है कि इन्हें हमारी कितनी चिंता है। वास्तव में वो सलाह कई बार आपकी निजी जिंदगी में दरार का काम भी कर सकती है। किसी भी रिश्ते को दोबारा संजोने के लिए किसी तीसरे व्यक्ति को अपने मध्य जगह न दें। बैठे, विचार करें और लोगों के दिखाए मार्ग पर चलने की बजाय अपने और अपने परिवार के हित को जानें।