स्ट्रीट डॉगस को लेकर अक्सर लोग सतर्क रहते हैं। अगर फिर भी कोई स्ट्रीट डॉग काट लेता है, तो आप रेबीज़ की चपेट में आ सकते हैं। कुत्ता, बिल्ली, लोमड़ी और चील के काटने से हाने वाले इस रोग से शरीर में कई प्रकार के लक्षण दिखने लगते हैं। दरअसल, गर्मियों में खासतौर से पशुओं के व्यवहार असमानता दिचाने लगती है, जो बाइटिंग का मुख्य कारण बन जाती है। इसके अलावा कुछ लोग अगर राह चलते हुए कुत्तों को छेड़ते हैं या फिर कुत्तों को आक्रमण का भय होता है, तो वो काटने के लिए दौड़ते हैं। जानते हैं रेबीज़ क्या हैं और जानवर के काटने पर क्या प्राथमिक उपचार लेना ज़रूरी है (dog bite treatment) ।
इस बारे में जानकारी देते हुए मेदांता मेडिसिटी, गुरूग्राम से एमबीबीएस व एम डी डॉ नेहा वार्ष्णेय बताती हैं कि किसी पशु के काटने पर डॉक्टरी सलाह बहुत ज़रूरी है। उनके मुताबिक डॉगी चाहें घरेलू हो या बाहर का, उसके काटने से रेबीज़ (rabies) का जोखिम बढ़ सकता है। यह एक ऐसी बीमारी है, जो डोमेस्टिक और वाइल्ड डॉग के काटने से फैलती है। ये बीमारी कुत्ते के काटने, स्क्रेचिज और उसके स्लाइवा के टांसमिशन से होती है। ये एक जूनॉटिक वायरल डिज़ीज है। जो कुत्ते, बिल्ली, लोमड़ी या चील के काटने से फैलती है। कुत्ते के काटने के बाद उसके संकेत नज़र आने तक का समय 2 से 3 सप्ताह तक का होता है।
डॉग स्किन को लिक कर सकता है
स्किन पर खरोंच आ सकती है
डीप बाइट करना
बार-बार बुखार आना
खाना खाने का मन न करना
वॉमिटिंग और डायरिया की समस्या होना
नाक का लगातार बहना और छींकना
हाथों और पैरों में स्वैलिंग का आना
बर्निंग सेंसेशन का महसूस होना
कुत्ते के काटने (dog bite) के बाद तुरंत जख्मी हुई जगह को कपड़े से साफ करें। उसके बाद 10 से 15 मिनट तक उसे एंटीसेप्टिक सोप व पानी से अच्छी तरह से धोएं, ताकि बैक्टीरियल इंफैक्शन का जोखिम कम हो पाए। घाव को क्लीन करने के बाद उस पर एंटीसेप्टिक सॉल्यूशन को लगाएं।
अगर जख्म को धोने के बाद भी खून बंद नहीं हो रहा है, तो उसे किसी कपड़े की मदद से रोकने का प्रयास करें। कपड़े से स्किन को दवाएं। इसके बाद कोई लोशन अवश्य लगाएं और बैडिड से कवर करें।
खून के बहाव को रोकने और शरीर को संक्रमण को बचाने के लिए डॉक्टरी चेकअप ज़रूरी है। उसके बाद एंटी रेबीज का इंजेक्शन (Anti rabies injection) ज़रूर लगवा लें। इसके अलावा ज़रूरत के मुताबिक एंटी रेबीज इम्यूनोग्लोबिलिन भी दिया जाता है। रेबीज के बाद शरीर एंटीबॉडीज़ को बनाने में समय लेती है। ऐसे में इम्यूनोग्लोबिन इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करते हैं।
अगर घाव बहुत गहरा है, तो उसे पूरी तरह से क्लीन करके और ब्लड रूकने के बाद टांके यानि सर्जिकल सूचर की सलाह दी जाती है। इससे जख्म आसानी से भर जाता है।
रेबीज़ की अन्य दवाओं का कोर्स 28 दिनों में पूरा किया जाता है। वहीं अगर डॉक्टर से सलाह के बाद थ्राबिस का कोर्स करते हैं, तो ये दवा 3 खुराक में पूरी हो जाती है। जो घायल व्यक्ति को पहले, तीसरे और फिर सातवें दिन लगाई जाती है। पहले इसकी पूरी डोज़ 5 खुराक में पूरी होती थी।
घाव होने पर नमक, मिर्च, नींबू और हल्दी को अप्लाई करने से बचें। इससे जलन की संभावना बनी रहती है। ये स्किन के लिए इरिटेंटस का काम करते हैं।
सड़क पर जाते वक्त किसी कुत्ते को तंग करने की कोशिश न करें
स्ट्रीट डॉग्स (street dogs) को खाना खिलाने या पानी पिलाने के लिए उनके नज़दीक न जाएं और उन्हें सहलाने का प्रयास न करें।
गली में घूमने वाले डॉग्स के साथ खेलने से बचें।
कुत्ते के काटने के बाद वैक्सीनेशन ज़रूर लगवाएं। इसमें आनाकानी करने से आप गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकते है। जो मौत का भी कारण बन सकती है।
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