सड़क पर चलते हुए अचानक जानकर के काटने या खरोंच आने से रेबीज़ जैसी गंभीर बीमारी व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकती है। दरअसल, रेबीज़ एक ऐसा संक्रमण है, जो संक्रमित जानवरों की लार से लोगों में फैलता है। इससे बचाव के लिए रेबीज़ की वैक्सीन लगाई जाती है। दरअसल, वो जानवर जिनमें रेबीज़ वायरस है, उनके काटने से मनुष्य में इस बीमारी का जोखिम बढ़ जाता है। इससे ग्रस्त व्यक्ति में बुखार, थकान, खांसी, गला खराब और मांसपेशियों में दर्द जैसे लक्षण पाए जाते हैं। आइए जानते है एक्सपर्ट आर्टिकल में डायरेक्टर एवं हैड इंटरनल मेडिसिन, फोर्टिस हॉस्पीटल, नोएडा में डॉ अजय अग्रवाल से रेबीज़ (rabies disease) के कारणों से लेकर उपाय तक सब कुछ।
रेबीज़ एक वायरल रोग है जो तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। इस बीमारी का मुख्य कारण किसी संक्रमित पशु का काटने या पंजा मारना होता है। दरअसल, गर्मियों के मौसम में पशुओं के काटने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है। समर्स में लोग आउटडोर एक्टिविटीज़ के चलते अधिकतर समय पार्क में बिताते हैं। इससे पशुओं के काटने का जोखिम अपने आप बढ़ने लगता है। इसके अलावा भीषण गर्मी की वजह से जानवरों के व्यवहार में भी चिड़चिड़ापन नज़र आने लगता हैं। इसके चलते वे आस पास नज़र आने वाले लोगों को काटने लगते हैं।
रेबीज़ का वायरस त्वचा में कटने, छेद होने या फिर आंख, नाक और मुंह के इंफैक्टिड एनिमल के कॉटेक्ट में आने पर फैलने लगता है। अक्सर रैबिड पशु रेबीज़ वायरस का कैरियर बनकर लोगों तक इस बीमारी को पहुंचाता है। ऐसे बेहद कम मामले पाए जाते हैं, जिनमें त्वचा के छिलने या खुले जख्मों पर रैबिड पशु की लार या अन्य किसी संक्रमित सामग्री के संपर्क में आने पर रेबीज़ हो सकता है। रेबीज़ एक खतरनाक बीमारी है। समय पर इलाज न मिल पाने के कारण भी मौत की संभावना बनी रहती है। हांलाकि इस बीमारी से बचाव संभव है।
इस बात को ध्यान में रखें कि आप जिन पेट एनिमल्स जैसे कुत्ते और बिल्लियां की केयर कर रहे हैं, वो पूरी तरह से वैक्सीनेटेड हों।
सड़क पर आते जाते आवारा पशुओं के संपर्क में आने से बचें।
इसके अलावा रोड साइड नज़र आने वाले कुत्तों या बिल्लियों को खाना खिलाते या दूध पिलाते वक्त उन्हें दूर खड़े होकर खिलाएं।
इसके अलावा अनजाने जानवरों से खेलने से भी बचना चाहिए।
अगर कोई आवारा जानवर अजीबोगरीब हरकतें करते दिखे, तो फौरन स्थानीय एनीमल कंट्रोल या पब्लिक हैल्थ डिपार्टमेंट को रिपोर्ट भेजें।
ये रेबीज़ के संभावित जोखिमों से बचाव के लिए आवश्यक कार्रवाई करेंगे।
अगर किसी पशु ने आपको काटा या खरोंच मारी है तो तत्काल घाव को साबुन और
पानी से धो लें। इसके अलावा मेडिकल सहायता भी ज़रूरी है।
रेबीज़ एक मेडिकल इमरजेंसी है और इसका तत्काल इलाज आपको नया जीवन दे सकता है।
जितना जल्दी संभव हो रेबीज़ वैक्सीनेशन लें और यदि जरूरी हो तो रेबीज़ इम्युनोग्लोब्युलिन भी दिया जा सकता है।
कैडिला ने हाल में रेबीज़ के टीके थ्राबिस का परीक्षण किया है जिसकी 3 खुराक 0, 3 से लेकर 7 दिनों पर लगायी जाती हैं।
इससे पहले उपलब्ध टीकों की खुराक 0, 3, 7, 14 और 21 दिनों की थी।
थ्राबिस दुनिया की पहली तीन खुराक वाली नैनोपार्टिकल आधारित रेबीज़ जी प्रोटीन वैक्सीन है। हालांकि रेबीज़ के अन्य टीकों का पूरा कोर्स 28 दिनों की अवधि में किया जाता है।
थ्राबिस इस मामले में काफी आसान और सुविधाजनक है कि इसकी सिर्फ तीन खुराक ही जरूरी होती हैं।