स्लीप एंग्जाइटी एक बेहद कॉमन मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर है। इस स्थिति में व्यक्ति को इस बात की चिंता होती है, कि क्या वे रात को सो पाएंगे या उन्हें पूरी रात जागना पड़ेगा। यह पूरी तरह से आपकी नींद के इर्द-गिर्द घूमता रहता है। स्लीप एंग्जाइटी की स्थिति में व्यक्ति पर्याप्त नींद नहीं ले पाता और इनसोम्निया का शिकार हो सकता है। जबकि बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो स्लीप एंग्जाइटी के शिकार होते हुए भी अपनी इस समस्या का पता नहीं लगा पाते। इस स्थिति में परेशानी बढ़ती जाती है और यह स्थिति और भी ज्यादा जटिल हो जाती है। इसलिए सबसे महत्वपूर्ण है, स्लीप एंग्जाइटी (Sleep Anxiety) के लक्षणों का पता लगाना।
इस विषय पर अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हेल्थ शॉट्स ने बेंगलुरु की कंसल्टेंट साइकेट्रिस्ट डॉक्टर पावणा एस से सलाह ली। डॉक्टर ने स्लीप एंग्जाइटी के लक्षण पर बात करते हुए इन्हें मैनेज करने के कुछ प्रभावित टिप्स सुझाए हैं। तो चलिए जानते हैं, वे कौन से लक्षण हैं, जो स्लीप एंग्जाइटी (sleep anxiety) की ओर इशारा करते हैं।
रात को सोने के समय यदि आप बार-बार किसी चीज के बारे में सोचती रहती हैं, या अपने मन में मन ग्रंथ कहानियां बनती रहती हैं, तो यह स्लिप एंग्जाइटी के लक्षण हो सकते हैं। प्रेजेंट, पास्ट और फ्यूचर को लेकर लगातार सोचते रहना, उन चीजों के बारे में ओवरथिंक करना, जो कभी हो ही नहीं सकती। यह सभी आपकी नींद की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती हैं। साथ ही साथ आपके माइंड को रिलैक्स नहीं रहने देती, जिससे कि आपको नींद प्राप्त हो सके।
स्लीप एंग्जाइटी से ग्रसित व्यक्ति अक्सर डरावने सपने देखा करते हैं। वहीं रात को डरकर उठ जाना, या अचानक से सोते हुए पसीना आना, यह सभी स्लीप एंग्जाइटी के लक्षण हैं। इनकी वजह से नींद की गुणवत्ता पर बेहद नकारात्मक असर पड़ता है। यदि आपके साथ भी ऐसा होता है, तो आपको इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
स्लीप एंग्जाइटी से पीड़ित लोगों को बेड पर लेटने के बाद लंबे समय तक नींद नहीं आती। चाहे वे जितनी भी कोशिश कर ले नींद को इनीशिएट करना उनके लिए बेहद मुश्किल होता है। ऐसे लोगों का एक लंबा समय खुद को समझने में निकल जाता है, कि अब उन्हें सो जाना चाहिए और इस दौरान वे करवटें बदलते रह जाते हैं।
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स्लीप एंग्जाइटी से ग्रसित लोगों को रात को बेड पर जाने के बाद कुछ शारीरिक लक्षणों का भी सामना करना पड़ता है। जैसे की दिल की धड़कनों का बढ़ जाना, मांसपेशियों में थकान महसूस होना, पसीना आना। कई बार सिर दर्द और हाथ एवं पैरों में कंपन महसूस होने जैसे लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं।
स्लीप एंजायटी की स्थिति में व्यक्ति को पहले से ही नींद प्राप्त करने में परेशानी होती है। ऐसे में यदि आप बेड पर जाने से पहले कैफीन और निकोटिन जैसे ट्रिगर्स लेती हैं, तो स्लीप एंजाइटी के लक्षण ट्रिगर हो सकते हैं वहीं यह आपको अधिक परेशान कर सकते हैं। तमाम कोशिशों के बाद भी आपको नींद प्राप्त करने में परेशानी आती है, इसलिए इस इन सभी प्रकार के ट्रिगर्स को पूर्ण रूप से अवॉइड करें।
रात को सोने से पहले ब्रीदिंग एक्सरसाइ, माइंडफूलनेस मेडिटेशन, मसल्स रिलैक्सेशन जैसी गतिविधियों में भाग लेकर आप अपने स्लिप एंग्जाइटी के स्तर को कम कर सकती हैं। इसके अलावा आप स्लीप एंग्जाइटी के लक्षण पर भी नियंत्रण पा सकती हैं। इन्हें अपनी नियमित रूटीन में शामिल करें।
अपने बेडरूम का एनवायरमेंट ऐसा रखें जिससे कि नींद खुद ब खुद अट्रैक्ट हो। डिम लाइट, डार्कनेस में आपका शरीर पूरी तरह से शांत हो जाता है और नींद प्राप्त करने में मदद मिलती है। इसके अलावा मैट्ट्रेस और तकिया का चयन भी सोच समझकर करना चाहिए, क्योंकि इनका हमारी नींद की गुणवत्ता पर एक बड़ा हाथ होता है। ऐसे में अपने कंफर्ट के अनुसार मुलायम गद्दा और तकिया चुने।
रात को सोने से पहले इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज के इस्तेमाल को जितना हो सके उतना सीमित रखें। आपकी मोबाइल फोन, लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज से निकलने वाले ब्लू लाइट मेलाटोनिन के प्रोडक्शन को डिस्टर्ब कर देते हैं। मेलाटोनिन स्लीप रेगुलेशन के लिए एक महत्वपूर्ण हार्मोन है, जब यह प्रभावित होता है, तो आपकी नींद की गुणवत्ता पर इसका बेहद नकारात्मक असर पड़ता है।
मेडिकल साइंस में कई ऐसी थैरेपीज हैं, जैसे की कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी फॉर इनसोम्निया, आदि जो स्लीप एंग्जाइटी और इनसोम्निया के कारण पर काम करती हैं। यह थैरेपी आपको ट्रिगर्स को समझने में मदद करती है और उनसे दूर होकर आप इस मेंटल डिसऑर्डर पर नियंत्रण पा सकती हैं।
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