मानसून बारिश का मजा लेने का मौसम है। इस दौरान गर्म और ताज़ा भोजन हम लेते हैं। भारत में जब भी बारिश होती है, तो हमारा मन चाय या कॉफी के साथ अलग –अलग तरह के गर्म स्नैक्स लेने का करने लगता है। मानसून अपने साथ कई मौसमी बीमारियां भी अपने साथ लाता है। सर्दी, फ्लू, टाइफाइड, हैजा और हेपेटाइटिस ए के अलावा उमस और बारिश से अस्थमा के रोगियों की परेशानी बढ़ जाती है। उन्हें अस्थमा के दौरे (Asthma Attack in Monsoon) का अनुभव हो सकता है। अस्थमा का दौरा हल्का या गंभीर भी हो सकता है। इससे गतिविधियों में बाधा उत्पन्न हो सकती है। आइए जानें कि मानसून अस्थमा को कैसे प्रभावित (asthma in monsoon)करता है?
गुरुग्राम के पारस हॉस्पिटल में हेड एंड सीनियर कन्सल्टेंट (पल्मोनरी एंड रेस्पिरेटरी मेडिसिन) डॉ. अरुणेश कुमार बताते हैं, अस्थमा या ब्रोन्कियल अस्थमा एक पुरानी श्वसन बीमारी (Chronic Breathing Disease) है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। सामान्य रूप से सांस लेने की प्रक्रिया में सांस मार्ग के आसपास की मांसपेशियां आराम की स्थिति में होती हैं। इससे आसानी से हवा सांस मार्ग में आती जाती रहती है। दमा होने पर ये कुछ प्रभाव देखे जा सकते हैं।
डॉ. अरुणेश कहते हैं , ‘अस्थमा के दौरे में एयरवेज को घेरने वाली चिकनी मांसपेशियों की परत का निर्माण होता है, जिससे इसमें संकुचन होता है। इससे हवा के आने-जाने में कठिनाई होती है।’
अस्थमा के दौरान फेफड़ों में ब्रोन्कियल ट्यूबों की अंदरूनी परत में सूजन हो जाती है। यह सूजन हवा के प्रवाह को कम कर देती है।
अस्थमा के दौरे के दौरान बलगम (Cough)एयरपाथ को अवरुद्ध कर देता है। यह हवा के प्रवाह को रोक देता है।
अस्थमा के दौरे तनाव, बहुत अधिक थकान, एलर्जी और मौसम में बदलाव होने के दौरान बढ़ जाते हैं।
डॉ. अरुणेश के अनुसार, अस्थमा किसी भी उम्र में किसी को भी प्रभावित कर सकता है। मानसून अस्थमा को ट्रिगर कर सकता है।
ठंडा मौसम (Cold Weather Causes Asthma): लगातार बारिश से मौसम ठंडा हो जाता है। ठंडक एयरपाथ में हिस्टामाइन के स्राव का कारण बनती है। इसके कारण अस्थमा के कारण होने वाली घरघराहट ट्रिगर हो जाती है।
पोलेन ग्रेन का स्तर बढ़ना: बरसात के मौसम में वातावरण में परागकण बढ़ जाते हैं। ये दमा के दौरे को ट्रिगर करते हैं।
नमी (Humidity Causes Asthma):लगातार बारिश और सूर्य की किरणों की कमी के कारण वातावरण में नमी बढ़ जाती है। धूप की कमी के कारण विटामिन डी की कमी हो जाती है। नमी फंगस और एल्गी के विकास को बढ़ावा देता है। इससे अस्थमा और अन्य सांस संबंधी बीमारियां बढ़ जाती हैं।
एलर्जी और वायरल संक्रमण (Allergy and Viral Infection Cause Asthma): बारिश के मौसम में विभिन्न प्रकार के वायरस और बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं। नम वातावरण में घर में धूलकण भी बढ़ जाते हैं। इनसे एलर्जी हो सकती है और अस्थमा के दौरे का खतरा बढ़ सकता है। उत्तेजना, क्रोध, भय, अवसाद जैसे भावनात्मक कारक और खराब प्रतिरक्षा प्रणाली भी अस्थमा को ट्रिगर कर सकते हैं।’
अस्थमा क्रोनिक डिजीज है, जो ख़त्म नहीं होती है। मौसमी बदलाव इसके दौरे को बढ़ा सकते हैं है। कुछ घरेलू उपाय इसे बढ़ने से रोक सकते हैं।
अस्थमा से बचाव के लिए गर्म पेय और ताज़ा और गर्म भोजन लें। ब्राउन राइस, प्रोटीन युक्त भोजन, हरी पत्तेदार सब्जियां, बीन्स, गाजर, पत्तागोभी, फूलगोभी, प्याज, शकरकंद, इडली, डोसा, किमची, अंकुरित अनाज और अंडे मानसून के दौरान अस्थमा से राहत दिलाने में सहायक हो सकते हैं।
जीरा, तुलसी, या आवश्यक तेलों के साथ उबले हुए पानी के वाष्प को अंदर लेने से ब्रोन्कोडायलेशन होता है और सांस लेने में आसानी होती है।
घर की धूल कण और नम दीवारें अस्थमा फैलने का कारण बनती हैं। जितनी जल्दी हो सके, इससे निपटने का उपाय करें। साप्ताहिक रूप से बिस्तर की चादरें और तकिए के कवर बदलना चाहिए। सप्ताह में कम से कम दो बार कालीन को वैक्यूम क्लीन करना चाहिए।
बारिश के मौसम में प्रदूषण युक्त क्षेत्रों, धूम्रपान क्षेत्र, धूल भरे क्षेत्रों और पोलेन ग्रेन युक्त पौधों से दूर रहें। मानसून के दौरान इन सावधानियों के अलावा, अपनी अस्थमा की दवाएं (Asthma Medicine) नियमित रूप से लेती रहें।
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