कभी-कभी रिश्ते में तनाव आ जाता है। इसके कारण टकराव की संभावना बढ़ जाती है। किसी एक व्यक्ति की गलती के कारण भावनात्मक दर्द और तनाव बढ़ जाता है। यदि माफी मांग ली जाए, तो यह तनाव खत्म हो सकता है। यह जानना जरूरी है कि कैसे और कब माफी मांगी जाए। माफी किसी रिश्ते में हुए नुकसान की भरपाई कर सकता है। यहां यह जानना जरूरी है कि माफी ईमानदारी से मांगी जानी चाहिए। सबस पहले यह जानना जरूरी है कि माफी क्यों मांगी (how to apologize genuinely) जाए।
एक ईमानदार और प्रभावी माफी वह है, जो सहानुभूति, पछतावे के साथ-साथ गलतियों से सीखने का वादा भी कम्यूनिकेट करती है। यह विश्वास करना जरूरी है कि आपने कुछ गलत किया है। इससे सामने वाले व्यक्ति को जो ठेस पहुंची है, उसके लिए खेद महसूस करना होगा।
हार्वर्ड हेल्थ की स्टडी के अनुसार, जब आपने कोई गलती की है या किसी अन्य व्यक्ति को ठेस पहुंचाई है, तो माफी मांगने के कई कारण हो सकते हैं।
• स्वीकार करें कि आप गलत थे
• इस बात पर चर्चा करें कि आपसे किस तरह यह गलती हो गयी
• अपना खेद और पछतावा व्यक्त करें
• अपनी गलतियों से सीखें और कठिन परिस्थितियों से निपटने के नए तरीके खोजें
• दूसरे व्यक्ति के साथ बातचीत का रास्ता खोलें
जर्नल ऑफ़ सायकोलोजी एन्ड कम्युनिकेशन के अनुसार, माफी मांगते समय “मुझे खेद है” या “मैं क्षमा चाहती हूं” शब्दों का प्रयोग करें। इसकी बजाय “मुझे खेद है” या “जो हुआ उसके बारे में मुझे बुरा लगता है” जैसे वाक्यांशों का चयन करने से अक्सर माफी नहीं मिलती है। इसमें “माफी की अस्पष्ट रूपरेखा होती है। वास्तव में यह ईमानदार कोशिश नहीं होती है। पीड़ित व्यक्ति से बातचीत करते समय उनकी भावनाओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
यदि गलती आप दोनों की है, तो आपको माफ़ी क्यों मांगनी चाहिए? इस सवाल से बहुत से लोग जूझते हैं। बड़प्पन इसी में है कि थोड़ी बहुत गलती होने के बावजूद आप माफी मांग लें। यदि आप आगे बढ़कर जिम्मेदारी स्वीकार कर लेती हैं, तो आप खुद तनाव मुक्त हो जाएंगी। सामने वाला व्यक्ति भी आपके व्यवहार से खुश हो जायेगा।
माफी मांगते समय हमेशा अपने शब्दों का चयन सावधानी से करें। शर्त बताने या जताने वाले शब्दों से बचें। जैसे “अगर” या “हो सकता है” – जैसे शब्द से बचें। यह आपके संदेश को कमज़ोर करता है। यदि आप खुद को विनम्र व्यक्ति के रूप में पेश करेंगी, तो सामने वाले व्यक्ति पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा। आपकी विनम्रता उन्हें पॉज़िटिव रूप से प्रभावित करेगी।
यदि हम अपनी बातचीत से नेगेटिविटी फैलाते हैं, तो माफी मांगने का कोई मतलब नहीं है। हमेशा पॉजिटिव कम्युनिकेशन करने की कोशिश करें। आपकी बात से दम्भ या ईर्ष्या नहीं झलकनी चाहिए। पॉजिटिव कम्युनिकेशन बिगड़े बात को भी बना देता है।
माफ़ी मांगना जरूरी है। उसपर ईमानदारी से वर्क करना भी जरूरी है। लेकिन यह निश्चित नहीं है कि आपको माफी मिल ही जाए। विशेष रूप से गंभीर अपराधों में। जिस व्यक्ति के साथ अन्याय हुआ है, उसे ठीक होने के लिए अक्सर समय और स्थान की आवश्यकता होती है। यह महत्वपूर्ण है कि उन पर दबाव न डाला जाए। सिर्फ अपनी तरफ से कोशिश की जाए।
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