कई बार आप बहुत सारे लोगों से घिरी होती हैं। हर कोई एक दूसरे से मेलजोल कर रहा होता है। सभी अच्छा समय बिता रहे होते हैं। सिर्फ आप एक किनारे पर अकेलीखड़ी होती हैं। आपको लोगों से मिलने-जुलने में शर्मिंदगी महसूस होती हैं। सामाजिक कार्यक्रम में आप लोगों से मिलने और छोटी-मोटी बातचीत करने के लिए भी खुद को तैयार नहीं कर पाती हैं। यह शायनेस है। यह व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करता है। जानते हैं 5 उपायों को, जिन्हें आजमाकर शर्मिंदगी को दूर (Tips to overcome shyness) किया जा सकता है।
जर्नल ऑफ़ रिलेशनशिप के अनुसार, शर्मीलापन दूसरों से खुद को दूर रखने और सामाजिक स्थितियों से बचने का कारण बनता है। यह दूसरों के साथ सामाजिक संपर्क के दौरान सेल्फ अवेयरनेस या असुरक्षित महसूस करा सकता है। इसके कारण व्यक्ति को चक्कर आ सकते हैं, पसीना आ सकता है, पेट में मरोड़ महसूस हो सकता है। शब्द भी लड़खड़ा सकते हैं।
शर्मीलापन जीवन के सभी हिस्सों पर प्रभाव डाल सकता है। यह कार्यस्थल पर, निजी जीवन में और बीच में कहीं भी घुस सकता है। यह आत्म-सम्मान या आत्मविश्वास पर असर डाल सकता है। शर्मीले लोगों को नए दोस्त बनाने में परेशानी होती है।
जर्नल ऑफ़ रिलेशनशिप के अनुसार, शर्म की भावना को स्थायी रूप से साथ रहने की जरूरत नहीं है। इन 5 उपायों का अभ्यास करने से अपने शर्मीलेपन पर काबू पाने में मदद मिल सकती है। इन उपायों को लागू करने से सामाजिक मेलजोल में व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ सकता है।
कोजी फील्ड से तुरंत बाहर निकलना भारी पड़ सकता है। इसलिए सीधे सार्वजनिक रूप से बोलने की कोशिश न करें। इसके बजाय खुद को अपने दायरे से बाहर निकालने के लिए छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करें। परिवार के किसी सदस्य से बात करके या किसी सहकर्मी से छोटी-छोटी बातें करके शुरुआत करें। ये चीज़ें आत्मविश्वास बढ़ाने और शांत करने में मदद कर सकती हैं।
यदि शर्मीलापन सफलता के आड़े आ रहा है, तो कोई भी जीवन में नए अवसरों से चूक सकते हैं। खुद की खूबियों के बारे में नहीं जाना जाता है, तो व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत वृद्धि को रोक सकता है। अपनी शक्तियों की खोज करने से किसी भी तरह का आत्म-संदेह कम करने में मदद मिल सकती है। खुद पर विश्वास बढ़ सकता है। नई चीजों को आजमाने में व्यक्ति अधिक आश्वस्त महसूस कर सकता है।
लोग हर कदम पर ध्यान नहीं देते हैं। शर्मीलापन के कारण व्यक्ति को लग सकता है कि हर कोई गलतियों को नोटिस करता है, लेकिन यह सच नहीं है।
किसी सामाजिक कार्यक्रम या भीड़ में कोई भी किसी पर ध्यान नहीं देता है। किसी को यह नहीं सोचना चाहिए कि उसके सामाजिक कौशल पर हर समय नजर रखी जा रही है।
जर्नल ऑफ़ कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी के अनुसार, हम स्वयं अपने सबसे बड़े शत्रु हो सकते हैं। जब इसे सुधारने की कोशिश की जाती है, तो सामाजिक परिस्थितियों में सेल्फ टॉक के प्रति सचेत रहें। सोशल गैदरिंग से नहीं बचें। शर्मीलेपन को दूर करने और आत्मविश्वास बढ़ाने की हर सम्भव कोशिश करें। अपने भीतर के आलोचक को कुछ न कहने दें, ताकि इससे शर्मीलेपन पर काबू पाया जा सके। जब मेलजोल नहीं बढ़ाया जाता है, तो खुद को अवसाद और सामाजिक अलगाव के खतरे में डाला जा सकता है। लोगों से मिलने का प्रयास करना चाहिए।
जर्नल ऑफ़ कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी के अनुसार, किसी भी प्रकार का झटका लगना यात्रा का अंत नहीं है। यदि शर्मीलापैन दूर करने में किसी भी प्रकार की असफलता हाथ लगती है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि सामाजिक परिवेश में अधिक सहज होना कठिन है।
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