लाइफस्टाइल में गड़बड़ी के कारण कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो जाती हैं। इनमें से एक है इंसुलिन रेसिस्टेंस या इंसुलिन प्रतिरोध। इंसुलिन रेसिस्टेंस के कारण ही डायबिटीज होता है। इसे रिवर्स करना संभव है। पोषक तत्वों से भरपूर इंसुलिन प्रतिरोध-अनुकूल आहार खाने से ऐसा हो सकता है। हमारी रसोई में कई ऐसे मसाले मौजूद हैं, जो इंसुलिन रेसिस्टेंस को रिवर्स करने में सक्षम हैं। इंसुलिन प्रतिरोध को प्रबंधित करने से ब्लड शुगर लेवल भी सामान्य रह पाता है।जानते हैं किचन के उन मसालों को जो, इंसुलिन रेसिस्टेंस को मैनेज (spices for insulin resistance) कर सकते हैं।
इंसुलिन रेसिस्टेंस तब होता है जब शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति कम प्रतिक्रियाशील हो जाती हैं। इंसुलिन हार्मोन ब्लड शुगर या ग्लूकोज लेवल को नियंत्रित करता है। पैनक्रिआज शरीर की कोशिकाओं से चीनी लेने के लिए इंसुलिन जारी करता है। उन्हें ऊर्जा के लिए इसकी आवश्यकता होती है। जब इंसुलिन रेसिस्टेंस होता है, तो कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति अच्छी प्रतिक्रिया नहीं देती हैं और ग्लूकोज को आसानी से अवशोषित नहीं करती हैं। पैनक्रिआज कोशिकाओं को ग्लूकोज को अवशोषित करने और ब्लड शुगर लेवल को स्वस्थ सीमा के भीतर रखने के लिए अधिक इंसुलिन का उत्पादन करके प्रतिक्रिया करता है।
समय के साथ यह शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन करने में सक्षम नहीं हो पाता है। बहुत कम इंसुलिन ब्लड शुगर लेवल को बढ़ाता है। इससे अतिरिक्त ब्लड शुगर वसा कोशिकाओं में जमा हो जाता है, जिससे वजन बढ़ता है। शरीर के अधिक वजन और हाई ब्लड शुगर लेवल प्रीडायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज के विकसित होने का खतरा बढ़ाता है।
नेचर जर्नल की स्टडी बताती है कि रसोई में मौजूद मसाले या हर्ब में मजबूत एंटी डायबिटिक प्रभाव होता है। मसाला इंसुलिन असंतुलन के सबसे आम लक्षणों में सुधार करता है और ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करता है। भोजन में विशिष्ट मसालों और हर्ब्स को शामिल करने से ब्लड शुगर को कम किया जा सकता है।
इन बीजों में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो इंसुलिन को अधिक प्रभावी बनाने में मदद करती है। मेथी में मौजूद गैलेक्टोमैनन ब्लड में अवशोषित होने से पहले शरीर से शुगर को बाहर निकालने में मदद कर सकता है। इंसुलिन के लेवल को मैनेज करने और ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए इन्हें साबुत या सब्जी-दाल में पकाकर खाया जा सकता है। एक चम्मच मेथी पाउडर गुनगुने पानी के साथ खाली पेट भी लिया जा सकता है।
करक्यूमिन जैसे सक्रिय घटक के कारण हल्दी में शक्तिशाली सूजन-रोधी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। यह ब्लड में मुक्त फैटी एसिड और शुगर को कम करके ग्लूकोज लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है। सब्जी मसाले के रूप में हल्दी का इस्तेमाल किआ जा सकता है। इसके सप्लीमेंट भी उपलब्ध होते हैं।
हार्वर्ड हेल्थ के अध्ययन बताते हैं कि प्लाज्मा मुक्त फैटी एसिड (एफएफए) के लेवल में वृद्धि से इंसुलिन प्रतिरोध होता है। अदरक प्लाज्मा एफएफए के लेवल को कम करके इंसुलिन-रेसिस्टेंस के प्रभाव को काम करता है। यह मसाला इंसुलिन प्रतिरोध वाले लोगों के लिए सबसे बढ़िया है। इसके जिंजरोल जैसे सक्रिय घटक मांसपेशियों की कोशिकाओं पर शुगर रिसेप्टर्स को अधिक उपलब्ध कराते हैं।
लहसुन सल्फहाइड्रील समूह द्वारा इंसुलिन इनएक्टिविटी को रोकता है। यह इंसुलिन-सेंसिटाइज़िंग को बढ़ाकर हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव प्रदान करता है। लहसुन के एंटीऑक्सीडेंट कम्पोनेंट जैसे फिनोल और फ्लेवोनोइड, इंसुलिन रेसिस्टेंस को भी कम करते हैं।
दालचीनी में मजबूत एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इन्फलामेट्री गुण होते हैं। यह इंसुलिन इम्बैलेंस का इलाज करने में भी मदद करता है।
इंसुलिन रेसिस्टेंस के लिए सप्लीमेंट भी लिया जा सकता है। क्रोमियम, मैग्नीशियम, बर्बेरिन, रेस्वेराट्रोल की मौजूदगी वाले सप्लीमेंट इंसुलिन रेसिस्टेंस को मैनेज करने में मदद कर सकते हैं। किसी भी प्रकार का सप्लीमेंट लेने से पहले डॉक्टर से संपर्क अवश्य करें।
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