खराब लाइफस्टाइल का सबसे बुरा प्रभाव हॉर्मोन का उत्पादन करने वाले एंडोक्राइन ग्लैंड पर पड़ता है। इसके कारण कई अंग ठीक से काम करना बंद कर देते हैं। इसका प्रभाव पैनक्रीआज पर भी पड़ता है। इसका प्रभाव इंसुलिन पर भी पड़ता है। इंसुलिन ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मुख्य भूमिका निभाता है। कुछ लोगों में इंसुलिन रेसिस्टेंस यानी इंसुलिन प्रतिरोध के रूप में सामने आता है। इंसुलिन रेसिस्टेंस के कुछ लक्षण शरीर में दिखने लगते हैं। इन संकेतों को जानने से पहले इंसुलिन रेसिस्टेंस (insulin resistance) के बारे में जानते हैं।
इंसुलिन रेसिस्टेंस तब होता है, जब मांसपेशियों, फैट और लिवर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति अच्छी प्रतिक्रिया नहीं देती हैं। ऊर्जा के लिए ब्लड से ग्लूकोज का उपयोग नहीं कर पाती हैं। इसकी भरपाई के लिए पैन्क्रेआज अधिक इंसुलिन बनाने लगता है। इसके कारण समय के साथ ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है। इंसुलिन रेसिस्टेंस सिंड्रोम के कारण मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल और टाइप 2 मधुमेह जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसे मेटाबॉलिक सिंड्रोम भी कहा जाता है। इंसुलिन प्रतिरोध के कारण गर्दन, बगल, पेट की चर्बी और स्किन टैग के आसपास पिगमेंटेशन हो सकती है।
हॉर्मोन एंड गट हेल्थ कोच मनप्रीत कालरा बताती हैं कि आपके शरीर में कुछ बदलाव दिखने लगे, तो ये इंसुलिन रेसिस्टेंस के लक्षण हो सकते हैं।
मनप्रीत कालरा के अनुसार, इंसुलिन रेसिस्टेंस का सबसे पहला लक्षण पेट पर बढ़ी हुई चर्बी के रूप में सामने आता है। पेट के अलावा कमर पर भी फैट जमने लगती है। बाद में यही मोटापा टाइप 2 डायबिटीज का कारण बनता है।
इस काले धब्बे को एकैन्थोसिस नाइग्रिकन्स कहा जाता है। यह आमतौर पर एक संकेत है कि शरीर एक्स्ट्रा इंसुलिन बना रहा है, जिसका वह अच्छी तरह से उपयोग नहीं कर सकता है। इंसुलिन ब्लड अप से स्किन काली पड़ने लगती है। इसे इंसुलिन प्रतिरोध कहा जाता है।
प्यूबिक एरिया में भी काले धब्बे बनने लगते हैं ।
इंसुलिन रेसिस्टेंस का संकेत स्किन टैग के रूप में भी मिल सकता है। वैसे मोटे लोगों पर भी स्किन टैग बनने लगते हैं। इस पर अभी और शोध हो रहे हैं।
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कस्टमाइज़ करेंमनप्रीत कालरा बताती हैं कि शरीर की इंसुलिन सेंसिटिविटी को कंट्रोल करने के लिए पोषक तत्वों से भरपूर आहार सबसे अधिक मदद करते हैं। इंसुलिन रेसिस्टेंस को नियंत्रित करने के लिए व्यक्ति को 5 माइक्रोन्यूट्रीएंट लेना चाहिए।
विटामिन डी इंसुलिन रिसेप्टर ( INSULIN RECEPTOR) को रेगुलेट करते हैं । इससे इंसुलिन रेसिस्टेंस कम होता है। इसके लिए 10-15 मिनट सूर्य की रोशनी में बैठना चाहिए। यह समय 9-11 के बीच होना चाहिये।
यह एंडोथीलियल फंक्शन को इम्प्रूव कर ब्लड शुगर लेवल को रेगुलेट (insulin resistance) करता है। इसके लिए दही और पनीर को नियमित रूप से आहार में शामिल करना चाहिए।
यह ग्लूकोज मेटाबोलिज्म को इम्प्रूव करता है। इंसुलिन लेवल को स्थिर करता है। हरी पत्तीदार सब्जियां, काजू और केला इसके मुख्य स्रोत हैं।
यह ओक्सिडेटिव स्ट्रेस और इन्फ्लेमेशन को कम कर इंसुलिन सेंसिटिविटी को इम्प्रूव (insulin resistance) करता है। सूर्यमुखी के बीज, बादाम और मूंगफली इसके स्रोत हैं।
यह इंसुलिन एक्शन को रेगुलेट कर ग्लूकोज मेटाबोलिज्म को इम्प्रूव करता है। ग्रीन बीन्स और ब्रोकली इसके मुख्य स्रोत हैं।
आप कैसा महसूस करते हैं यह देखकर आप यह नहीं बता सकते कि आपको इंसुलिन प्रतिरोध (insulin resistance) है। इसके लिए आपको ब्लड टेस्ट करवाना होगा, जो ब्लड शुगर लेवल की जांच करता है।
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