पिछले 40 वर्षों से भी अधिक समय से विश्व भर के लोग ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) जैसे भयानक वायरस का सामना कर रहे हैं। इसके कारण होने वाला एड्स (Acquired Immune Deficiency Syndrome) इम्यून सिस्टम के बेहद कमजोर होने (AIDS) का कारण बनता है। यदि उपचार न किया जाए, तो यह मृत्यु का कारण बन जाता है। एड्स जैसी लाइलाज बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल वर्ल्ड एड्स डे (World Aids Day) मनाया जाता है। एड्स अवेयरनेस (AIDS Awareness) के लिए कम्युनिटी अधिक कारगर हो सकती है।
वर्ष 1988 से हर साल 1 दिसंबर को वर्ल्ड एड्स डे मनाया जाने लगा। यह एक अंतरराष्ट्रीय दिवस है, जो एचआईवी संक्रमण (HIV Infection) के प्रसार के कारण होने वाली एड्स महामारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए आयोजित किया जाता है। यह दिवस बीमारी से मरने वालों के प्रति शोक व्यक्त करने के लिए भी समर्पित है। हर साल इस ख़ास दिन के लिए थीम निर्धारित किया जाता है। इस वर्ष (World Aids Day 2023) भी एक ख़ास थीम (World Aids Day 2023 Theme) निर्धारित है।
वर्ल्ड एड्स डे 2023 की थीम (World Aids Day 2023 Theme) है – समुदायों को नेतृत्व करने दें (let communities lead)। यह सच है कि यदि एड्स को ख़त्म करना है, तो समुदायों यानी कम्युनिटी की मदद लेनी है। समुदाय की मदद से ही एड्स से पीड़ित लोगों के जरूरी उपचार, सेवाओं और जागरूकता के लिए काम किया जा सकता है। एड्स से पीड़ित लोगों के प्रति सद्भावना और एकजुटता प्रकट करने के लिए रेड रिबन (Red Ribbon for AIDS) लगाया जाता है। वर्ल्ड एड्स डे का स्लोगन भी वैश्विक एकजुटता और साझा जिम्मेदारी (Global solidarity, shared responsibility) है ।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में 39 लाख लोग एचआईवी के साथ जी रहे थे। सरकार की एचआईवी अनुमान रिपोर्ट (2019) के अनुसार, भारत में 2019 में लगभग 23 लाख से भी अधिक लोगों के एचआईवी/एड्स से पीड़ित होने का अनुमान है। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन के अनुसार, एड्स महामारी को समाप्त करने के लिए एचआईवी के प्रति सामुदायिक कार्य सबसे अधिक प्रभावी (AIDS Awareness) होंगे।
एड्स को समाप्त करने के लिए 2016 के संयुक्त राष्ट्र राजनीतिक घोषणा पत्र में भी सदस्यों ने समुदायों की महत्वपूर्ण भूमिका की पुष्टि की। इसके अलावा, यह माना गया कि फास्ट-ट्रैक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एचआईवी के प्रति सामुदायिक प्रतिक्रियाओं को बढ़ाया जाना चाहिए। 2030 तक कम से कम 30% सेवाओं को समुदाय के नेतृत्व में करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए।
इंडियन जर्नल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (Indian Journal of Medical Research) के अनुसार, सामुदायिक कार्रवाई परिणामों में तब्दील होती है। इसकी मदद से बेहतर स्वास्थ्य परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं। कम्युनिटी के मदद से उन लोगों तक पहुंचा जा सकता है, जहां तक उपचार और सेवा पहुंचने में कठिनाई होती है। इसके माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा सकता है। सामाजिक दृष्टिकोण और मानदंडों (AIDS Awareness) को बदला जा सकता है। सक्षम वातावरण बनाया जा सकता है, जिससे पीड़ितों के प्रति भेदभाव खत्म किया जा सके।
सोशल साइंस एंड मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित शोध निष्कर्ष के अनुसार, एचआईवी से संबंधित स्वास्थ्य सेवाओं, रोकथाम, यौन और प्रजनन स्वास्थ्य, मानवाधिकार सेवाओं में प्रत्यक्ष भागीदारी कम्युनिटी की मदद (AIDS Awareness) से हो सकती है।
इससे समुदाय-आधारित अनुसंधान में भी भागीदारी हो सकती है। यूएन की संस्था यूएनएड्स एचआईवी से पीड़ित लोगों की व्यापक भागीदारी बनाने के लिए कार्य करता है। यह सच है कि एड्स महामारी को समाप्त करने के लिए एचआईवी के प्रति सामुदायिक प्रतिक्रिया (AIDS Awareness) जरूरी है।
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