कोविड-19 (Covid-19) महामारी के कारण बहुत सी अन्य बीमारियों से बचाव की ओर हम ध्यान नहीं दे पाएं हैं। इन्हीं में से एक हैं खसरा (Measles)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चिंता जताई है कि वर्ष 2021 में विश्व को खसरे से जूझना पड़ सकता है। हालांकि यह संक्रामक बीमारी है, पर इससे बचाव के उपाय संभव हैं। अगर आप भी आने वाले खतरे से अपने परिवार को बचाना चाहती हैं तो इसे ध्यान से पढ़ें।
लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित एक शोध के अनुसार आगामी वर्ष 2021 में दुनिया भर की एक बड़ी आबादी को खसरा हो सकता है। ऐसा होने का कारण इस साल कोरोना वायरस के चलते बच्चों का सही टीकाकरण नहीं हो पाना है। जिससे इस साल ज्यादातर बच्चे खसरे के टीके से वंचित रह गए हैं।
ऐसे में खसरा पूरे विश्व के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। लेकिन इसके बारे में सही जानकारी लेकर हम अपने परिवार को इस बीमारी से बचा सकते हैं। जानें क्या है खसरा, इसके लक्षण और बचाव के उपाय-
खासरा एक वायरस से होने वाला घातक रोग है। इसके कारण बच्चों में विकलांगता या मृत्यु का भी जोखिम हो सकता है। यह एक बहुत ही संक्रामक रोग है, जो संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से फैलता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, खसरा खांसी या छींक के साथ निकलने वाली बूंदों के हवा में फैलने व दूसरे व्यक्ति के इसके संपर्क में आने से फैलता है। यह वायरस छोटे बच्चों और कुपोषण के शिकार बच्चों के लिए बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है।
खसरे के शुरुआती लक्षण 10 से 12 दिनों के बाद दिखाई देते हैं। इस बीमारी के लक्षणों में तेज बुखार, नाक बहना, आंखें लाल होना, मुंह के अंदर छोटे सफेद धब्बे आना शामिल हैं।
कुछ बच्चों में दाने निकलने से एक या दो दिन पहले मुंह में छोटे-छोटे सफेद-सफेद धब्बे विकसित हो जाते हैं। हालांकि यह जरूरी नहीं कि सभी को दाने निकलने से पहले ऐसे धब्बे हों।
संक्रमित होने के 2 से 3 बाद शरीर पर दाने दिखाई देने लगते हैं। खसरे के ये दाने फ्लैट, लाल-भूरे रंग के धब्बे की तरह होते हैं। यह शरीर के बाकी हिस्सों में फैलने के बजाए सिर और गर्दन पर पहले फैलते हैं। साथ ही इनमें खुजली भी महसूस हो सकती है।
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खसरा सबसे ज्यादा बच्चों को अपनी चपेट में लेता है। यह उन बच्चों में गंभीर रूप ले लेता है, जिनमें पोषण की कमी होती है। जिनकी इम्युनिटी कमजोर होती है। साथ ही एचआईवी व एड्स के रोगियों के लिए भी यह बीमारी बहुत ही घातक साबित हो सकती है। बुजर्ग लोगों को इस बीमारी के चलते काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। उनके लिए भी बीमारी से उबरने में काफी मुश्किल हो सकती है।
गर्भावस्था के दौरान खसरे का मां और बच्चा दोनों पर ही बुरा असर पड़ सकता है। इससे महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। जैसे-
यह गर्भपात का कारण बन सकता है। इससे जन्म के समय बच्चे का वजन कम हो सकता है।इसके अलावा यदि मां को डिलीवरी के समय पर संक्रमण हो जाता है, तो इससे मां से बच्चे में भी खसरा फैल सकता है। इसे जन्मजात खसरा कहते हैं।
डॉक्टर आपकी स्किन पर मौजूद दाने या चकत्ते की जांच करते हैं। साथ ही वह मुंह, खांसी और गले में खराश के रूप में मौजूद सफेद धब्बे जैसे रोग के लक्षणों की भी जांच करते हैं। जिसके बाद वह इन मामलों के बारे में पता लगा पाने में सक्षम होते हैं। इसके बारे में और अधिक जानने के और रोग की पुष्टि करने के लिए रक्त की जांच भी की जाती है।
खसरे की कोई दवाई नहीं है, जिस वजह से इससे बचने का सबसे प्रभावी तरीका टीकाकरण है। इसे बच्चे या बड़े दोनों को लगवाने की सलाह दी जाती है। इसके लिए दो टीके लगाए जाते हैं -1 एमएमआर वैक्सीन और एमएमआरवी वैक्सीन।
बच्चे के 12 महीने में उसका पहला टीकाकरण किया जा सकता है। साथ ही 3 और 6 वर्ष की आयु के बीच उन्हें दूसरी खुराक दी जा सकती है। वयस्कों और बच्चों दोनों को कभी भी टीका लगाया जा सकता है, अगर उनका वैक्सीनेशन किसी भी वजह से पूरा नहीं हो पाया है।
मानव सामान्य इम्युनोग्लोबुलिन एक एंटीबॉडी का मिश्रण है, जो खसरे से थोड़े समय के लिए लेकिन तुरंत सुरक्षा दे सकता है।
कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के चलते इस समय खसरे को लेकर एहतियात बरतने की जरूरत है। क्योंकि खसरा भी एक प्रकार का वायरस है। ऐसे में हमें पहले से मौजूद वायरस के साथ आने वाले वायरस के खतरे से बचने की जरूरत है।
कोरोना वायरस हो या खसरा दोनों ही वायरस से अपना बचाव करने के लिए अपने खानपान का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। क्योंकि इस तरह के वायरस से बचने के लिए आपके शरीर की इम्युनिटी का मजबूत होना बहुत जरूरी है। इन वाययरस की चपेट में ज्यादातर वही लोग या बच्चे आते हैं जिनमें पोषण की कमी है और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है।
घर से बाहर ज्यादा न निकलें। कोशिश करें कि जब भी घर से बाह निकलें अपने फेस को मास्क से कवर रखें। क्योंकि ये वायरस किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से आपको भी हो सकता है। ऐसे में भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से परहेज करना चाहिए। बच्चों को विशेष रूप से संक्रमित व्यक्ति से दूर रखना चाहिए।
ये दोनों ही वायरस संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आने से फैलते हैं। ऐसे में आपस में दूरी बनाए रखना बहुत जरूरी है। कोशिश करें कि घर से बाहर न जाएं और अगर किसी कारण जाएं भी तो पहले अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोएं। अपने हाथों को धोए बिना उन्हें अपनी नाक या मुंह पर न लगाएं।
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