गर्भधारण करने में दिक्कत आ रही है, तो ये 2 तकनीक हो सकती हैं आपके लिए मददगार

टेक्नोलॉजी ने महिलाओं के लिए कंसीव करना बेहद आसान बना दिया है। कई ऐसे प्रभावी फर्टिलिटी ट्रीटमेंट हैं, जिनकी मदद से महिलाएं अब आसानी से कंसीव कर सकती हैं (IVF and IUI for pregnancy)।
IVF and IUI for pregnancy
अब आधुनिक तकनीक की मदद से महिलाएं कर सकती हैं कंसीव। चित्र : अडॉबीस्टॉक
Updated On: 12 Dec 2024, 11:59 am IST
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आज के समय में इनफर्टिलिटी एक सामान्य समस्या बन चुकी है। ज्यादातर महिलाओं को कंसीव करने में परेशानी आ रही है। वहीं बहुत सी महिलाएं ऐसी भी हैं, जो करियर और जीवन के गोल को अचीव करने के बाद बेबी प्लेन करना चाहती हैं। हालांकि, इसमें कोई बुराई नहीं है, परंतु बढ़ती उम्र के साथ फर्टिलिटी कम होती जाती है, जिसकी वजह से उन्हें बाद में बेबी कंसीव करने में परेशानी आती है। हालांकि, टेक्नोलॉजी ने महिलाओं के लिए कंसीव करना बेहद आसान बना दिया है। कई ऐसे प्रभावी फर्टिलिटी ट्रीटमेंट हैं, जिनकी मदद से महिलाएं अब आसानी से कंसीव कर सकती हैं (IVF and IUI for pregnancy)।

पर अभी भी बहुत सी महिलाएं ऐसी हैं, जिन्हें फर्टिलिटी ट्रीटमेंट से जुड़ी जानकारी नहीं है। जिसकी वजह से वे इनका लाभ नहीं उठा पाती। इसलिए यह बेहद महत्वपूर्ण है, कि सभी महिलाओं को आधुनिक तकनीक से जुड़ी जानकारी होनी चाहिए। डॉ. मितुल गुप्ता, सीनियर कंसल्टेंट ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी, कोकून हॉस्पिटल, जयपुर ने कुछ खास तरह के इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट के बारे में बताया है। यदि आपको भी नेचुरली कंसीव करने में परेशानी हो रही है, तो इस लेख के माध्यम से जानें इन्हें कंसीव करने के अन्य प्रभावी विकल्प (IVF and IUI for pregnancy)।

एक्सपर्ट से जानिए कुछ बेहद प्रभावी फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के बारे में (IVF and IUI for pregnancy)

डॉ. मितुल गुप्ता कहती हैं “आजकल की खराब जीवनशैली और अन्य कारणों क़े चलते कई कपल्स बच्चे को जन्म देने में कई मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। ऐसे में फर्टिलिटी ट्रीटमेंट एक बड़ा सहारा बनकर उभरा है। इस ट्रीटमेंट्स के जरिए बच्चे को जन्म देने की उम्मीदें बढ़ जाती हैं।”

IVF ke bare me kuchh myths prachalit hain
मेनोपॉज के बाद IVF संभव है, और ऐसी कई महिलाएं हैं जिन्होंने इसे सफलतापूर्वक किया है।चित्र: शटरस्टॉक

आईवीएफ (IVF)

सबसे पहले बात करते हैं आईवीएफ (IVF) की, इसे टेस्ट ट्यूब बेबी प्रक्रिया भी कहा जाता है। इसमें महिला के अंडे यानी कि एग और पुरुष के शुक्राणु यानी कि स्पर्म को लैब में मिलाया जाता है और उसके बाद जो भ्रूण तैयार होता है, उसे महिला के गर्भाशय में डाल दिया जाता है या यूं कहें कि इंप्लांट किया जाता है। ये प्रक्रिया उन लोगों के लिए कारगर है, जिन्हें प्राकृतिक रूप से बच्चा कंसीव करने में दिक्कत आ रही है। महिला की उम्र ज्यादा हो या ट्यूब ब्लॉकेज की समस्या होने पर इस प्रक्रिया को अपनाया जाता है (IVF and IUI for pregnancy)।

आईवीएफ के सक्सेस रेट की बात करें तो नेशनल हेल्थ सर्विस के अनुसार 2019 में, 35 वर्ष से कम आयु की महिलाओं के लिए IVF उपचारों का प्रतिशत 32% था, 35 से 37 वर्ष की आयु की महिलाओं के लिए 25%, 38 से 39 वर्ष की आयु की महिलाओं के लिए 19%, 40 से 42 वर्ष की आयु की महिलाओं के लिए 11%, 43 से 44 वर्ष की आयु की महिलाओं के लिए 5% और 44 से अधिक उम्र की महिलाओं के लिए 4% था। भारत में, IVF थे सक्सेस रेट 30-35% है, कुछ बेहतरीन क्लीनिक 35 वर्ष से कम आयु की महिलाओं के लिए 40-45% की सफलता दर की रिपोर्ट करते हैं। ग्लोबल रेट की बात करें तो युवा महिलाओं में औसत IVF सफलता दर लगभग 40% है।

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इस प्रक्रिया को पूरी तरह से मेडिकल टीम की निगरानी में सुरक्षित तरीके से अपनाया जाता है। चित्र : अडॉबीस्टॉक

आईयूआई (IUI)

इसी तरह आईयूआई (IUI) दूसरी प्रमुख प्रक्रिया है, जो थोड़ी सरल मानी जाती है। इसमें पुरुष के स्पर्म को साफ करके सीधे महिला के गर्भाशय में डाला जाता है। ये उन कपल्स के लिए बेहतर है, जिनमें हल्की समस्या हो, जैसे स्पर्म काउंट कम होना या महिला के अंडाशय से संबंधित मामूली दिक्कतें आदि। इस प्रक्रिया को पूरी तरह से मेडिकल टीम की निगरानी में सुरक्षित तरीके से अपनाया जाता है।

आईयूआई के सक्सेस रेट की बात करें तो जैसे-जैसे महिला की उम्र बढ़ती है, उनका एग काउंट कम होता जाता है, साथ ही एग क्वालिटी भी कम हो जाती है। उम्र के हिसाब से IUI के लिए गर्भावस्था दर इस प्रकार है, 20 से 30 वर्ष की आयु: 17.6%, 31 से 35 वर्ष की आयु: 13.3%, 36 से 38 वर्ष की आयु: 13.4%, 39 से 40 वर्ष की आयु: 10.6%, 40 से अधिक आयु: 5.4%।

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यहां जानें फर्टिलिटी के कुछ अन्य आधुनिक तरीके। चित्र : अडॉबिस्टक

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डॉ. मितुल गुप्ता के अनुसार, ओव्यूलेशन इंडक्शन, सरोगेसी, और डोनेशन जैसी अन्य तकनीकें भी अच्छी हैं।

ओव्यूलेशन इंडक्शन में दवाओं की मदद से महिला के अंडाशय को उत्तेजित किया जाता है, ताकि अंडे ठीक से विकसित हो सकें।

सरोगेसी उन महिलाओं के लिए एक विकल्प है, जो गर्भधारण नहीं कर सकतीं। इन प्रक्रियाओं के जरिए कई कपल्स की ज़िंदगी में खुशियां आई हैं।

हालांकि, ये ट्रीटमेंट्स थोड़े खर्चीले और समय लेने वाले हो सकते हैं, लेकिन विशेषज्ञ डॉक्टर की देखरेख में इन्हें सफलता के साथ पूरा किया जा सकता है।

नोट: अगर आपको भी इस विषय से जुड़ी अधिक जानकारी चाहिए, तो आपको किसी फर्टिलिटी विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।

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संबंधित प्रश्न

आईवीएफ का सबसे कठिन हिस्सा क्या है?

ट्रांसफर और प्रेगनेंसी टेस्ट रिजल्ट प्राप्त करने के बीच 10 से 14 दिन की प्रतीक्षा अवधि को अक्सर चक्र का सबसे कठिन हिस्सा बताया जाता है। निगरानी और पुनर्प्राप्ति के दौरान अपने चिकित्सा सहायक कर्मचारियों के साथ रोजाना संपर्क में रहने के बाद, आप स्थित हो जाती हैं और आपको इंतजार करना होता है।

क्या मैं आईवीएफ के बाद स्वाभाविक रूप से प्रेगनेंट हो सकती हूं?

आईवीएफ से गर्भधारण करने के बाद लगभग 5 में से एक महिला स्वाभाविक रूप से गर्भवती हो जाती हैं। यह बच्चे के जन्म के तीन साल के भीतर होता है। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि आईवीएफ साइकिल ओवेरियन स्टिमुलेशन को बढ़ावा देती है, जिससे कि ओवेरियन फंक्शन भी इंप्रूव होता है। गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल परिवर्तन और जन्म देने के बाद तनाव में कमी आना भी मददगार साबित होता है।

आईवीएफ गर्भावस्था प्रक्रिया क्या है?

इस ट्रीटमेंट में महिला के एग और पुरूष के स्पर्म को एक साथ मिलाया जाता है। जब इसके संयोजन से भ्रूण बन जाता है, तब उसे वापस महिला के गर्भ में डाल दिया जाता है, यानी कि इंप्लांट किया जाता है। कहने को यह प्रक्रिया काफी जटिल और महंगी है, लेकिन यह प्रक्रिया उन लोगों के लिए वरदान है, जो कई सालों से कंसीव करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सफल नहीं हो पा रहे।

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लेखक के बारे में
अंजलि कुमारी
अंजलि कुमारी

पत्रकारिता में 3 साल से सक्रिय अंजलि महिलाओं में सेहत संबंधी जागरूकता बढ़ाने के लिए काम कर रही हैं। हेल्थ शॉट्स के लेखों के माध्यम से वे सौन्दर्य, खान पान, मानसिक स्वास्थ्य सहित यौन शिक्षा प्रदान करने की एक छोटी सी कोशिश कर रही हैं।

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