स्तनों का बढ़ना और घटना दोनों ही स्थितियां महिलाओं के लिए चिंता का विषय बन जाती है। एक बेहतर फिगर पाने के लिए अक्सर महिलाएं कई प्रकार के टिप्स फॉलो करती हैं। मगर डिलीवरी और ब्रेस्टफीडिंग के बाद शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। कुछ महिलाओं को यह लगता है कि ब्रेस्टफीडिंग के बाद उनका फिगर खराब हो जाएगा और ब्रेस्ट लटकने लगेंगी। अगर आपकी चिंता भी यही है, तो चलिए एक एक्सपर्ट से जानते हैं इन आशंकाओं की सच्चाई (breast after pregnancy) ।
गायनेकोलॉजिस्ट डॉ रितु सेठी कहती हैं, “यह आशंका बिल्कुल आधारहीन है। असल में डिलीवरी के बाद और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान स्तन लटकते नहीं हैं, बल्कि उनमें आकार में बढ़ोतरी होती है। यह पहले से अधिक भरे हुए लगने लगते हैं।”
वे आगे कहती हैं, “ब्रेस्ट का साइज़ शरीर के वज़न, जेनेटिक्स और हार्मोन में आने वाले बदलाव के अनुसार बढ़ता या घटता रहता है। स्तनों के आकार में उम्र भर परिवर्तन देखने को मिल सकता है। जहां प्यूबर्टी में स्तनों के आकार में परिवर्तन दिखता है, वहीं डिलीवरी के बाद ब्रेस्ट बढ़ने लगती है। फिर मेनोपॉज के दौरान स्तन लटकने लगते हैं।
गर्भावस्था के दौरान स्तन का साइज़ बढ़ने लगता है। दरअसल, शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन में वृद्धि होने से मिल्क डकट्स को बढ़ा देता है। डिलीवरी के बाद स्तनों में दूध उतरने से ब्रेस्ट में बदलाव नज़र आने लगता है। वहीं एजिंग प्रोसेस के चलते भी स्तनों में ढीलापन महसूस हो सकता है।
इस बारे में एक्सपर्ट का कहना है कि स्तनपान कराने से सैगी ब्रेस्ट की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है। हांलाकि ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान शुरूआत में महिलाओं को दर्द का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा ब्रेस्ट में पविर्तन में नज़र आने लगता है। मगर ब्रेस्टफीडिंग बच्चे के लिए बेहद फायदेमंद है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार स्तनपान से बच्चों को पहले छह महीनों में ज़रूरी पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। दरअसल, ब्रेस्ट मिल्क के माध्यम से एंटीबॉडी भी पास की जाती हैं जो बच्चों को वायरस से लड़ने में मदद करता है।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के मुताबिक सैगी ब्रेस्ट को रोकने के लिए हेल्दी वेट मेंटेन रखना ज़रूरी है। इसके लिए डाइट में फल, सब्जियां, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन शामिल करें। इससे अतिरिक्त कैलोरीज़ के इनटेक से बचा जा सकता है। साथ ही शरीर को सभी पोषक तत्वों की प्रापित होती है।
इसके निरंतर अभ्यास से शरीर के ऊपरी हिस्से जैसे हाथ, चेस्ट, पीठ और कंधे में मज़बूती बढ़ती है। इससे शरीर के अन्य हिस्सों के साथ स्तनों को भी मज़बूती मिलने लगती है और वो अपनी शेप लेने लगते हैं। इसके अलावा शरीर को थकान से बचाने के लिए मॉडरेट ढंग से एक्सरसाइज़ करें। इससे स्तनों के आकार में बढ़ने वाली शिथिलता रूक जाती है।
नेचुरल ऑयल की मदद से स्तनों की मालिश करने से ब्लड सर्कुलेशन नियमित हो जाता है। इससे टिशूज में बढ़ने वाले ढ़ीलेपन से मुक्ति मिलती है और ब्रेस्ट के आकार से लेकर साइज़ तक परिवर्तन महसूस होने लगता है। मालिश से स्तनों पर होने वाली खुजली की समस्या भी हल हो जाती है।
स्पोर्टिव ब्रा की मदद से स्तनों में बढ़ने वाली सैगीनेस यानि शिथिलता का खतरा कम होने लगता है। दरअसल, ब्रेसट फीडिंग के दौरान महिलाएं स्तनों का ख्याल नहीं रह पाती हैं। फिटिंड ब्रा पहनने से स्तनों के शेप में आने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में ब्रा खरीदने से पहले कप साइज़ का ख्याल अवश्य रखना चाहिए।
एनआईएच के अनुसार सैगिंग ब्रेस्ट की समस्या से निपटने के लिए स्मोकिंग से बचें। इससे स्किन सैगिंग की समस्या दूर होने लगती है। स्मोकिंग अवॉइड करने से कैंसर और अन्य बीमारियों का खतरा कम होने लगता है।
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