ज्यादातर लोग नियमित खानपान में रिफाइंड शुगर का इस्तेमाल करते हैं, परंतु यह आपकी सेहत के लिए कितना खतरनाक हो सकता है, इस बात से कहीं न कहीं आप आज भी अनजान हैं। कुछ लोग यह सोचते हैं, की डाइट में रिफाइंड शुगर की मात्रा को कम करने से यह सेहत को हानि नहीं पहुंचती, यह एक बहुत बड़ा मिथ है। शुगर की छोटी सी मात्र भी सेहत के लिए बेहद हानिकारक हो सकती है। इसलिए आज हम बात करेंगे शुगर डिटॉक्स (sugar detox) के बारे में।
भारतीय योगा गुरु, योगा इंस्टीट्यूट की डायरेक्टर और टीवी की जानी-मानी हस्ती डॉक्टर हंसाजी योगेंद्र ने 14 दिनों तक लगातार रिफाइंड शुगर से परहेज करने का चैलेंज दिया है। एक्सपर्ट ने बताया कि किस तरह आप शुगर कट ऑफ कर अपनी सेहत को बनाए रख सकती हैं। तो चलिए जानते हैं शुगर डिटॉक्स के फायदे।
शुगर हमारे शरीर को ऊर्जा देने के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व के रूप में काम करता है। वहीं यह हमारे बैलेंस डाइट का भी एक अहम हिस्सा है। परंतु एनर्जी के नाम पर एडेड शुगर युक्त खाद्य पदार्थ और रिफाइंड शुगर लेना बहुत बड़ी बेवकूफी साबित हो सकती है। असल में हमारे शरीर को नेचुरल और प्राकृतिक शुगर की आवश्यकता होती है। हालांकि, प्राकृतिक शुगर को भी मॉडरेशन में लेना जरूरी है।
आवश्यकता से अधिक शुगर लेने से तमाम स्वास्थ्य जोखिमों का खतरा बढ़ जाता है। वहीं हम सभी अक्सर फास्टिंग किया करते हैं, ताकि बॉडी डिटॉक्स हो सके। तो क्यों न इस बार शुगर डिटॉक्स (sugar detox) किया जाए। 14 दिनों के लिए शुगर से पूरी तरह से परहेज रखने की कोशिश करें और फिर अपनी सेहत की स्थिति मापें।
जब हम प्राकृतिक और सीमित मात्रा में शुगर इंटक करते हैं, तो शरीर शुगर को ग्लूकोस में कन्वर्ट कर देता है, जिसे बॉडी एनर्जी पैदा करने के लिए इस्तेमाल करता है। वहीं जब आप आवश्यकता से अधिक शुगर लेती हैं, या अत्यधिक एडेड शुगर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करती हैं, तो बॉडी में एक्स्ट्रा फैट स्टोर हो जाता है। ये एक्सिस फैट एडिपोज टिशु में जमा हो जाते हैं, जिसकी वजह से वेट गेन की संभावना बढ़ जाती है और शरीर में फैट परसेंटेज भी बढ़ता है। इसलिए एक सीमित मात्रा में ही प्राकृतिक शुगर लेना चाहिए जिससे कि बॉडी वेट न बढ़े।
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जब आप अधिक मात्रा में रिफाइंड शुगर या शुगर युक्त अन्य खाद्य पदार्थों का सेवन करती हैं, तो ऐसे में शरीर पानी को रोक कर शुगर को डाइल्यूट करने की कोशिश करता है, इससे वॉटर रिटेंशन की समस्या हो सकती है। वहीं यह स्थिति ब्लोटिंग के साथ ही वेट गेन का भी कारण बन सकती है। इसके अलावा वॉटर रिटेंशन की वजह से एडिमा यानी की पैरों में सूजन, आंखों के निचले पर हिस्से में सूजन और चलने में दिक्कत आने जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
जब हम सीमित मात्रा में नेचुरल शुगर लेते हैं और रिफाइंड शुगर से परहेज करते हैं, तो बॉडी में जमा पानी बाहर निकलना शुरू हो जाता है। इसके साथ ही ब्लोटिंग की स्थिति में सुधार देखने को मिलती है। इतना ही नहीं ये ओवरऑल वेट को भी कम करता है।
शुगर डिटॉक्स के बाद आपको एक सबसे पॉजिटिव चीज यह देखने को मिलेगी कि आपकी शुगर क्रेविंग बिल्कुल सीमित हो चुकी होगी। साथ ही आपकी ये प्रैक्टिस आपको मेंटली स्ट्रिंग बनाती है। योग में इसे तपः कहते हैं। तपः आपको अधिक डिसिप्लिन रहने में मदद करता है। वहीं इससे आपकी अंडरस्टैंडिंग बेहतर होती है और फ़ोकस भी बढ़ता है।
शुगर शरीर में इन्फ्लेमेशन को ट्रिगर करता है और क्रोनिक हेल्थ कंडीशन्स के साथ ही दर्द को बढ़ावा देता है। ऐसे में शुगर डिटॉक्स के माध्यम से आप बॉडी में इन्फ्लेमेशन को कम कर सकती हैं। जिससे कि दर्द से राहत मिलती है।
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