पहले के समय में ओरल सेक्स को टैबू माना जाता था, पर आज के समय में ये नॉर्मल सेक्सुअल एक्टिविटी में शामिल हो चुका है। मेल और फीमेल दोनों इसे खुलकर एंजॉय करते हैं क्युकी ओरल सेक्स से प्लेजर दोगुणा तक बढ़ जाता है। इस दौरान मुंह, होंठ और जीभ से पार्टनर के इंटिमेट एरिया को स्टिम्युलेट किया जाता है। इसे ब्लो जॉब, गोइंग डाउन, लिकिंग, 69 पोजीशन आदि जैसे नामों से जाना जाता है। हालांकि, ओरल सेक्स जितना प्लेजरेबल हो सकता है, उतना ही रिस्की भी होता है। अगर आप अनप्रोटेक्टेड ओरल सेक्स में पार्टिसिपेट कर रही हैं, तो ये और ज्यादा खतरनाक हो सकता है। इसलिए सभी को इसके रिस्क का पता होना चाहिए।
हेल्थ शॉट्स ने इस विषय पर मदरहुड हॉस्पिटल, नोएडा के स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. संदीप चड्ढा से सलाह ली। डॉक्टर ने ओरल सेक्स के खतरों पर बात करते हुए ओरल सेक्स के दौरान कुछ सेफ्टी टिप्स फॉलो करने की सलाह दी है। इन टिप्स के साथ इसके रिस्क को कम किया जा सकता है, तो चलिए जानते हैं इस बारे में अधिक विस्तार से।
ओरल सेक्स में STI यानी की सेक्सुअल ट्रांसमिटेड डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। इस दौरान इंफेक्शन फैलाने वाले हानिकारक बैक्टीरिया के ट्रांसमिट होने का अधिक खतरा होता है।
क्लैमाइडिया: ओरल सेक्स करने और लेने वाले दोनों ही व्यक्ति इस बीमारी से ग्रसित हो सकते हैं।
गोनोरिया: यह बैक्टिरियल एसटीआई आम तौर पर ओरल सेक्स के दौरान पेनिस या वेजाइना से गले तक फैलता है, वहीं गले से इंटिमेट एरिया में ट्रांसफर हो सकता है।
सिफलिस: यह बीमारी केवल तभी फैलती है जब लक्षण मौजूद होते हैं, आमतौर पर तब जब कोई खुला घाव मौजूद हो। सिफलिस गले से इंटिमेट एरिया तक फैल सकती है और इसके विपरीत इंटिमेट एरिया से गले तक।
हरपीज: ओरल हर्पीज (जुकाम के घाव) आमतौर पर हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस टाइप 1 (एचएसवी-1) के कारण होता है और जेनाइटल हर्पीज आमतौर पर हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस टाइप 2 (एचएसवी -2) के कारण होता है। लेकिन ओरल सेक्स करते समय सर्दी-जुकाम से जेनाइटल हर्पीज होना संभव है।
एचपीवी: ओरल सेक्स के दौरान यह वायरस ट्रांसफर हो सकता है, और दोनों को बीमारी से ग्रसित कर सकता है। जिसे मुंह और गले के कैंसर के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक माना जाता है।
एचआईवी: ओरल सेक्स करने से व्यक्ति में एचआईवी का खतरा बना रहता है, लेकिन जोखिम बहुत कम है, लगभग 0.04%।
हेपेटाइटिस ए और बी: हेपेटाइटिस ए रिमिंग के माध्यम से फैल सकता है क्योंकि वायरस संक्रमित लोगों के स्टूल में मौजूद होता है। हालांकि, यह दुर्लभ है, पर हेपेटाइटिस बी ओरल सेक्स के माध्यम से भी फैल सकता है, क्योंकि यह वायरस ब्लड, स्पर्म और अन्य शारीरिक फ्लूइड में भी मौजूद होता है।
आमतौर पर फंगस के ओवरग्रोथ के कारण इस इन्फेक्शन की समस्या होती है। ये फंगस मुंह, वेजाइना और पेनिस कहीं भी पनप सकते हैं। ऐसे में आप जिसे ओरल सेक्स दे रहे हैं, उन्हे यदि जेनाइटल यीस्ट है, तो आपके मुंह में भी यीस्ट इंफेक्शन हो सकता है और ठीक इसी तरह यदि किसी को मुंह में ईस्ट इंफेक्शन है तो ये इंटिमेट एरिया तक ट्रांसफर हो सकता है।
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मेल ओर फीमेल दोनों के इंटिमेट एरिया बेहद संवेदनशील होते हैं। खासकर वेजाइना अधिक संवेदनशील होती है। ऐसे में कई बार ओरल सेक्स के दौरान ओरल हाइजीन मेंटेन न करने पर इंटिमेट एरिया में इन्फेक्शन और इरिटेशन हो सकता है, जिसकी वजह से खुजली का अनुभव होता है। अनसेफ और अनहाइजीनिक ओरल सेक्स वेजाइना में बैक्टीरिया और फंगस को ट्रांसफर कर सकते हैं, जो इन्फेक्शन का कारण बनते हैं। ठीक इसी प्रकार कई बार इंटिमेट एरिया का इंफेक्शन आपके मुंह में ट्रांसफर हो सकता है, जिसकी वजह से माउथ इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।
ओरल सेक्स से अगर आप प्रेग्नेंट नहीं हो सकती हैं, तो इसका मतलब ये नहीं की कंडोम को अवॉइड करें। ओरल सेक्स इन्फेक्शन का कारण बन सकता है, इसलिए कंडोम को प्रायोरिटी दें।
ओरल सेक्स के दौरान आपको डेंटल डैम का उपयोग करना चाहिए। ये एक पतली सामग्री से बनी एक चौकोर शीट है, जो आपके इंटिमेट एरिया और दूसरे व्यक्ति के मुंह के बीच रहती है। यह संक्रमण को फैलने से रोकती है जिससे आप सुरक्षित ओरल सेक्स एन्जॉय कर सकती हैं।
ओरल हाइजीन यानी कि मौखिक स्वच्छता बेहद महत्वपूर्ण है। दांतों की सड़न, मसूड़ों की बीमारी या मसूड़ों से खून आने जैसी समस्या एसटीआई का कारण बन सकते हैं। ओरल सेक्स से पहले मुंह को अच्छी तरह से साफ करना जरूरी है।
ओरल सेक्स के दौरान सुरक्षा के लिए नॉन ल्युब्रिकेटेड लेटेक्स कंडोम का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। यदि आपको या आपके पार्टनर को लेटेक्स से एलर्जी है, तो आपको प्लास्टिक (पॉलीयूरेथेन) कंडोम का चुनाव करना चाहिए।