OCD : तनाव और कम प्रोडक्टिविटी का कारण बन सकता है ओसीडी, जानिए इससे कैसे डील करना है

बहुत से लोगों को ओसीडी संबंधी जानकारी नहीं होती है, जिसकी वजह से ओसीडी का पता लगाने में ही बहुत देर हो जाती है। जब तक यह समस्या एंजायटी में बदल चुकी होती है।
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ओसीडी किसी व्यक्ति के जीवन को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है। चित्र- अडोबी स्टॉक
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Updated On: 2 Nov 2023, 11:54 pm IST
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ओसीडी के बारे में हम सभी ने कभी न कभी जरुर सुना होगा। कुछ लोग इस टर्म से परिचित होंगे तो कुछ को इससे जुड़ी किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं होगी। ओसीडी एक प्रकार की स्थिति है, जो किसी भी व्यक्ति के लिए बेहद परेशानी भारी हो सकती है। वहीं बहुत से लोगों को इससे संबंधी जानकारी नहीं होती है, जिसकी वजह से ओसीडी का पता लगाने में ही बहुत देर हो जाती है। जब तक यह समस्या एंजायटी में बदल चुकी होती है। इसलिए इससे जुड़ी उचित जानकारी होना सभी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

हेल्थ शॉट्स ने ओसीडी संबंधी उचित जानकारी प्राप्त करने के लिए ग्लोबल हॉस्पिटल, मुंबई के सीनियर कंसलटेंट, साइकैटरिस्ट डॉक्टर संतोष बांगर से बात की। डॉक्टर ने ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (How to deal with OCD) से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी है। साथ ही उन्होंने बताया की ये किस तरह किसी व्यक्ति के पर्सनल लाइफ को प्रभावित कर सकती है। तो चलिए जानते है, इस बारे में अधिक विस्तार से।

पहले समझें क्या है ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (OCD)

ओसीडी यानी की ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (How to deal with OCD) एक सामान्य प्रकार का एंजायटी डिसऑर्डर है, जिसमें अवांछित, आवर्ती और अत्यधिक विचार, छवियां, भय (जुनून) और बार-बार कुछ करने की इच्छा महसूस (मजबूरी) होती है। ओसीडी वाला व्यक्ति समझता है यह समझता है कि उनके विचार तर्कहीन हैं, लेकिन वह उन्हें रोकने या उनका विरोध करने में असमर्थ होते हैं। ओसीडी से पीड़ित व्यक्ति अपने दिन का एक लंबा समय इस परेशानी को देते हैं जिससे उनका दैनिक कामकाज धीमा हो सकता है, जिससे उनके व्यक्तिगत, सामाजिक और व्यावसायिक जीवन के विभिन्न पहलू प्रभावित हो सकते हैं।

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नाखून चबाने की लत एक तरह की आब्सेसिव कंपल्सिव डिसआर्डर है। चित्र- शटरस्टॉक।

यहां है ओसीडी के कुछ सामान्य लक्षण (Symptoms of OCD)

ओसीडी में बार-बार महसूस होते हैं ये सामान्य ऑब्सेसिव थॉट

हर वक़्त किसी बीमारी, जर्म, बैक्टीरिया और इन्फेक्शन के संपर्क में आने का डर बना रहना।
किसी दूसरे व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने या खुद को हानि पहुंचाने पर नियंत्रण खोना।
सिमेट्री पर अधिक ध्यान देना। बार-बार यह सोचना की हर चीज अपनी जगह पर बिल्कुल सीधी और ठीक से रखी हो।
रिलिजियस और मोरल इतिहास पर बहुत अधिक फोकस रहना।
शुभ और अशुभ को लेकर बनी हुई सामान्य अवधारणाओं पर विश्वास रखना और इन बातों पर अधिक ध्यान देना।

ओसीडी पीड़ित व्यक्ति के व्यवहार में नजर आ सकती हैं ये चीजें

गैस, दरवाजा, स्विच आदि को बार-बार चेक करना कि कहीं कुछ ऑन तो नहीं रह गया।
बार-बार परिवार के सदस्यों को कॉल करना और और यह सुनिश्चित करना कि वे सुरक्षित हैं या नहीं।
काउंटिंग करना, कुछ शब्दों को बार-बार दोहराना और एंजायटी दूर करने के लिए वेफिजुल की चीजे करते रहना।
बार-बार चीजों को साफ करते रहना या उन्हें धोते रहना।

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अपने पर्सनल टेबल और घर के अन्य कॉर्नर्स पर रखी चीजों को बार-बार एक सही ऑर्डर में अरेंज करते रहना।
रिलिजियस डर की वजह से पूजा पाठ करना या रिचुअल्स को फॉलो करना।

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बार-बार यह सोचना की हर चीज अपनी जगह पर बिल्कुल सीधी और ठीक से रखी हो। चित्र : एडॉबीस्टॉक

जानें किसी के व्यक्तिगत जीवन को किस तरह प्रभावित कर सकती है ओसीडी

कंपल्शन यानी की मजबूरी और ऑब्सेशन यानी की जिद और जुनून किसी व्यक्ति के दिन के कई घंटे बर्बाद कर सकते हैं और पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों में हस्तक्षेप कर सकते हैं। इनका पढ़ाई और जॉब पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

जैसे-जैसे ओसीडी अधिक गंभीर होती जाती है, ‘बचाव’ एक बढ़ती हुई समस्या बन सकती है। व्यक्ति ऐसी चीजों से बचने की कोशिश करता है, जो उसके जुनूनी भय को ट्रिगर कर सकती हैं। ओसीडी लोगों के लिए खाने, पीने, खरीदारी या पढ़ने जैसी रोजमर्रा की गतिविधियों को करना मुश्किल बना देती है। कुछ लोग घर में कैद हो सकते हैं।

ओसीडी अक्सर डिप्रेशन और एंजायटी जैसे अन्य विकारों से जुड़ा होता है, जिसमें सोशल एंजायटी, पैनिक डिसऑर्डर और सिपरेशन एंजायटी शामिल है। ओसीडी से पीड़ित व्यक्ति अक्सर अपने लक्षणों को लेकर बेहद शर्मिंदा होते हैं और उन्हें छिपाने का प्रयास करते रहते हैं।

इसकी पहचान और इलाज से पहले, परिवार पीड़ित के अनुष्ठानों में गहराई से शामिल हो सकते हैं, जिससे परिवार के सदस्यों को परेशानी और डिस्टरबेंस का सामना करना पड़ सकता है।

जानें कैसे मैनेज करना है ओसीडी

1. माइंडफुलनेस से करें स्ट्रेस मैनेजमेंट

ओसीडी में सबसे महत्वपूर्ण है अपने मेंटल स्ट्रेस को मैनेज करना। जब आप स्ट्रेस फ्री रहती हैं, तो आपको कोई भी चीज कम परेशान करती है। ऐसे में अपने थॉट और फिलिंग्स को समझें और उसे मैनेज करने के लिए माइंडफुल टेक्निक्स जैसे कि मेडिटेशन करें या अपनी हॉबी प्रैक्टिस करें।

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2. नियमित रूप से एक्सरसाइज करें

ओसीडी पर नियंत्रण पाने का सबसे अच्छा तरीका एक्सरसाइज है। यह आपको एंजायटी और स्ट्रेस से ओवरकम करने में मदद करता है। एक्सपर्ट के अनुसार यदि किसी को ओसीडी है, तो उन्हें नियमित रूप से 30 मिनट तक एरोबिक एक्सरसाइज करनी चाहिए। इसके अलावा जॉगिंग और बायसाइकलिंग करने से भी मदद मिल सकती है।

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पर्याप्त नींद लेना मेमोरी को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चित्र : एडॉबीस्टॉक

3. नींद को दें प्राथमिकता

एक्सरसाइज की तरह नींद भी एंजायटी का एक एंटीडोट है। ओसीडी से पीड़ित लोगों में सामान्य लोगों की तुलना में इनसोम्निया का खतरा अधिक होता है। ऐसे में हेल्दी स्लिप के लिए सबसे जरूरी है, एक बेडटाइम रूटीन बनाना। इसके साथ ही अपने स्क्रीन टाइम को लिमिट रखें और एक हेल्दी स्लीप एनवायरनमेंट मेंटेन करने से आपको मदद मिलेगी।

4. निकोटीन और अल्कोहल से परहेज करना है जरूरी

यदि आपको ओसीडी है तो इसमें कोई आपकी मदद कर सकता है, तो वह है आप खुद। बहुत से लोग इस स्थिति में खुद को शांत रखने के लिए शराब और निकोटीन के आदी हो जाते हैं। यह स्थिति को संभालने की जगह और ज्यादा खराब कर देता है। ऐसे में अपने एंग्जाइटी लेवल को बैलेंस रखने के लिए और ओसीडी की स्थिति को मैनेज करने के लिए सबसे जरूरी है, शराब सिगरेट जैसी चीजों से पूरी तरह से परहेज करना।

5. फैमिली और फ्रेंड्स के आसपास रहें

ओसीडी के लक्षण में आइसोलेशन भी शामिल है। कई बार लोग खुद को परिवार और दोस्तों से आइसोलेट कर लेते हैं, जो उनके कंडीशन को अधिक खराब कर सकता है। ऐसे में खुद को प्रायोरिटी दें और परिवार और दोस्तों के साथ वक्त बिताएं। उनसे अपने ओसीडी एक्सपीरियंस के बारे में बात करें और सपोर्ट मांगे। यह चीजें आपकी स्थिति को बेहतर बनाने में आपकी मदद करेंगी।

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