माता-पिता आम तौर पर इस बारे में सलाह लेते हैं कि ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिस्ऑडर वाले बच्चे के साथ क्या नहीं करना चाहिए। ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे का होना पूरे परिवार एक अलग तरह की चुनौती बन सकते है और एक्सपर्ट की सलाह लेने से आप इस चुनौती को आसान बना सकती है। ऑटिज्म से शिकार बच्चे सोशल लाइफ में खुल कर नही जी पाते है इसलिए उनके साथ बहुत ही संवेदनशील तरह से बरताव करने की जरूरत होती है।
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) एक कठिन न्यूरोडेवलपमेंटल स्थिति है जो सामाजिक संपर्क, संचार, व्यवहार को प्रभावित करती है। लेकिन इसके लक्षण और गंभीरता काफी विस्तृत है, यही कारण है कि इसे “स्पेक्ट्रम” डिस्ऑडर कहा जाता है। एएसडी वाले लोगों में विभिन्न प्रकार की ताकतें और चुनौतियां हो सकती हैं, और उनके अनुभव भी काफी भिन्न हो सकते हैं।
इस बारे में अधिक जानकारी के लिए हमने बात की सीनियर क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. आशुतोष श्रीवास्तव से, डॉ. आशुतोष श्रीवास्तव बताते है कि जब किसी बच्चे में ऑटिज़्म की पहचान की जाती है, तो माता-पिता और देखभाल करने वालों के लिए समझ और समर्थन होना बहुत जरूरी है।
डॉ. आशुतोष श्रीवास्तव बताते है कि माता पिता के लिए अपना बच्चा सबसे अच्छा होता है। इसलिए ऑटिज्म का पता लगने पर माता-पिता के लिए कई तरह की भावनाओं का अनुभव करना आम बात है। हालाँकि, यह महत्वपूर्ण है कि आप स्वयं को दोष न दें या स्वयं को दोष देने में व्यस्त न हों। ऑटिज्म एक न्यूरोडेवलपमेंटल स्थिति है जो पालन-पोषण या पर्यावरणीय कारकों के कारण नहीं होती है।
डॉ. आशुतोष श्रीवास्तव के अनुसार ऑटिज्म से पीड़ित प्रत्येक बच्चा अलग और अद्भुत होता है, और उनकी प्रगति और क्षमताएं अलग-अलग होंगी। अपने बच्चे के विकास की तुलना भाई-बहनों सहित अन्य बच्चों से करने से बचें। उनकी व्यक्तिगत शक्तियों और जरूरतों पर ध्यान दें। ताकि उन्हें लेफ्टआउट फिल न हो।
यदि आपका बच्चा ऑटिज्म का शिकार है तो उसे अनदेखा न करें हो सकता है उसे चीजें देर से समझ आएं न वो चीजों को दोहराए पर आपके संयम रखना है। हालांकि चुनौती वाले क्षेत्रों पर काम करना आवश्यक है, लेकिन अपने बच्चे की विशेष रुचियों या प्रतिभाओं की उपेक्षा न करें। ये रुचियां उनके लिए प्रेरणा और दूसरो से जुड़ने का एक जरिया बन सकती है।
ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे को सोशल सर्कल बनना थोड़ा मुश्किल होता है। इसलिए उसमें उसे थोड़ा समय लग सकता है। इसलिए उसे सामाजिक संपर्क करने के लिए प्रोत्साहित करें। ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे को सामाजिक अवसरों से अलग करना उनके सामाजिक विकास में बाधा बन सकता है। ऐसे वातावरण और गतिविधियों की तलाश करें जहां वे अपने साथियों के साथ बातचीत कर सकें।
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