आंतरिक ऊर्जा यानी मस्क्युलिन एनर्जी जीवन को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मस्क्युलिन एनर्जी स्त्री और पुरुष दोनों में मौजूद होता है। यह हमारे व्यक्तिगत संबंधों से लेकर करियर पाथ तक सब कुछ प्रभावित करता है। यह क्रोध से मुक्ति दिलाता है और रिलैक्स करता है। मस्क्युलिन एनर्जी जीवन में संतुलन लाता है। यह एनर्जी मुखरता, ताकत, निर्णय लेने और आगे बढ़ने की क्षमता को बढ़ाता है। यदि यह ऊर्जा ब्लॉक हो जाती है, तो जीवन के सभी क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं। लक्ष्य पाने और आगे बढ़ने के लिए ब्लॉक हुई मस्क्युलिन एनर्जी (masculine energy) पर काम करना जरूरी है।
ब्लॉक हुई मस्क्युलिन एनर्जी के कारण शरीर इन्फ़्लेक्सिबिल हो जाता है। साथ ही, शरीर में स्टिफनेस आ जाती है। इसके कारण माइंड में फियर ऑफ़ जजमेंट, फियर ऑफ़ अनसरटेनिटी, हॉर्मोनल इम्बैलेंस, एंग्जायटी जैसे नेगेटिव भाव आ सकते हैं। इमोशन को एक्सप्रेस करने में दिक्क्त भी हो सकती है।
योग प्रशिक्षक डॉ. स्मृति अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में बताती हैं, ‘बहुत अधिक प्रतियोगिता वाला वातावरण, वर्तमान परिस्थिति में संतुष्ट हुए बिना अधिक से अधिक पैसे कमाने की चाहत, तनाव, ट्रामा, निष्क्रिय जीवनशैली, बहुत अधिक दौड़भाग, लालच, घर, परिवार और समाज का दवाब मस्क्युलिन एनर्जी में असंतुलन का कारण बनता है’
दिनचर्या तभी संतुलित हो सकती है जब आप नियत समय पर सोएं और नियत समय पर जागें। इसके कारण सभी काम समय पर होता है। दिनचर्या को संतुलित करने के लिए सप्ताह में कम से कम 150 मिनट की मध्यम एरोबिक गतिविधि करें। सप्ताह में कम से कम 75 मिनट की इंटेंस एरोबिक गतिविधि अपनायें। मीडियम और इंटेंस गतिविधि का समान संयोजन भी मिल सकता है। सप्ताह के ज्यादातर दिनों में योग या एक्सरसाइज करने का लक्ष्य रखें।
योग प्रशिक्षक डॉ. स्मृति बताती हैं, ‘मस्क्युलिन एनर्जी को बैलेंस करने के लिए धीमी गति के साथ चंद्र नमस्कार करें।
चंद्रमा शांति और ऊर्जा का प्रतीक है। इसलिए चंद्र नमस्कार से शरीर की आंतरिक ऊर्जा संतुलित होती है। चंद्र नमस्कार को 4 चरणों में किया जा सकता है।
यह प्रणामासन यानी प्रार्थना मुद्रा, हस्तउत्तान आसन यानी हाथ उठा कर की जाने वाली मुद्रा, पादहस्तासन यानी हाथ से पैर तक की जाने वाली मुद्रा और अश्व संचलानासन यानी घुड़सवार मुद्रा के अलग-अलग चरणों में यह किया जा सकता है। चंद्र नमस्कार के 3 चक्र पूरे करें।
यह मुद्रा शरीर को शुद्ध करने और मन को शांत करने के लिए किया जाता है। यह 10 मिनट तक किया जा सकता है। अपनी सांसों पर ध्यान दें। गहरी सांस लेने से शुरुआत करें। उसके बाद धीमे-धीमे सांस छोड़ें। विष्णु पोज में रहें। बायीं नाक से सांस लें। दाहिनी नाक से सांस छोड़ें। दाहिनी नाक से सांस लें। बायीं नाक से सांस छोड़ें।
सबसे पहले किसी शांत जगह पर बैठ जाएं। आंखे बंद कर लें।
अपनी बीच वाली उंगली को दोनों कान पर रखें।
मुंह बंद रखें। नाक से सांस लें और नाक से ही सांस छोड़ें। सांस छोड़ने के दौरान ओम का उच्चारण भी किया जा सकता है।
इस प्रकिया को 5 से 7 बार दोहराएं।
यदि संभव हो तो ओम का जाप करें। आप 21 बार ओम का जाप कर सकती हैं। साथ ही, आप वह करें, जो आपको सबसे ज्यादा पसंद है। यह फिल्म देखना, किताब पढ़ना,अपनी पसंद का खाना भी खा सकती हैं। इससे न केवल मन और शरीर की स्टिफनेस दूर होगी, बल्कि रिलैक्स (masculine energy) भी महसूस करेंगी।
यह भी पढ़ें :- Shoulder Pain : फिजिकल और मेंटल स्ट्रेस भी बन सकता है कंधे में दर्द का कारण, जानिए इससे कैसे राहत पानी है