किसी भी व्यक्ति के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य में उसकी परवरिश का बहुत बड़ा योगदान होता है। अकसर यह देखा गया है कि संयुक्त परिवार में रहने वाले या रिश्तेदारों और दोस्तों के परिवारों से लगातार मिलने वाले परिवारों के बच्चे भावनात्मक रूप से ज्यादा स्मार्ट होते हैं। जबकि एकल परिवारों या अपने आप में ही गुम रहने वाले परिवारों के बच्चे मुश्किल परिस्थितियों में जल्दी हार मान लेते हैं। इसलिए हमेशा बच्चों को अकादमिक उन्नति के साथ व्यवहारिक और भावनात्मक उन्नति के लिए तैयार करने पर भी बात होती है। यह जरूरी है कि आप बचपन से ही अपने बच्चों को इस तरह के अभ्यास करवाएं, ताकि वे भावनात्मक और मानसिक रूप से ज्यादा मजबूत (Emotional health of children) बन सकें। आपकी मदद के लिए हम यहां एक्सपर्ट के सुझाए टिप्स (Tips to make kids emotionally strong) दे रहे हैं।
बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने में माता-पिता के पालन-पोषण का बहुत असर पड़ता है। मानसिक रूप से मजबूत बच्चा अपनी समस्याओं का समाधान ढूंढने, कठिनाइयों को सहने और खराब परिस्थितियों से निपटने में सक्षम होता है। संयम और खुद को अनुशासन में रखने वाले बच्चे भी मानसिक रूप से मजबूत होते हैं। वे गुस्से को नियंत्रित करते हैं और किसी भी तरह के लालच या प्रलोभन का विरोध करने की भी क्षमता रखते हैं।
मानसिक रूप से मजबूत होने का अर्थ है कि आप अपनी परिस्थितियों के हिसाब से चुनौती, तनाव और दबाव के प्रति किस तरह की प्रतिक्रिया करते हैं। कई बच्चे छोटी-छोटी बातों पर ही तनाव और अवसाद महसूस करने लगते हैं।
एक बच्चे को मानसिक रूप से स्ट्रांग करने के लिए एक सुरक्षित और सहायक वातावरण बनाना बहुत जरूरी है। अपने बच्चे को अपने विचारों और भावनाओं को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने के लिए कहें, और उनके प्रयासों को पूरे दिल से प्रोत्साहित करें।
उन्हें सिखाएं कि विभिन्न प्रकार की भावनाओं का अनुभव करना स्वाभाविक है और इन भावनाओं को रचनात्मक तरीके से व्यक्त करना उनके मानसिक स्वास्थ्स के लिए अच्छा है। एक ऐसा माहोल बनाए जहां उनकी भावनाओं को मान्य और सम्मानित किया जाता है।
जब आपका बच्चा अपनी समस्याओं के बारे में बताए, तो उसे काफी संवेदनशील तरीके से सुनने का प्रयास करें। उन्हें स्थितियों का विश्लेषण करने, समाधानों पर विचार करने और संभावित परिणामों के बारे में सोचने-समझने का महत्व भी सिखाएं। वो किस तरह किसी समस्या का समाधान कर रहें हैं, उस कौशल को और ज्यादा निखारने के प्रयास करें। उन्हें इस तरह से तैयार करें कि वे किसी भी तरह की चुनौती का सामना पूरे आत्मविश्वास के साथ कर सकें।
उन्हें उनके गुणों और कार्यों पर ध्यान देने के महत्व के बारे में बताना बहुत जरूरी है। अकसर बच्चे भौतिक चीजों पर तो ध्यान देते हैं, मगर अपने जीवन के लक्ष्यों के बारे में जागरुक नहीं होते। बच्चे को इसके लिए प्रोत्साहित करें और उनकी सफलता की तारीफ करें।
उन्हें सिखाएं कि पूर्णतावाद आवश्यक नहीं है और गलतियां करना सीखने और ग्रो करने का एक हिस्सा है। इन मूल्यों को स्थापित करके, आप अपने बच्चों में आत्मविश्वास विकसित करने में मदद करते हैं।
बच्चों को उनकी गलतियों को मानने के लिए प्रोत्साहित करना उनकी आगे बढ़ने और ग्रोथ के लिए महत्वपूर्ण है। उन्हें अपनी गलतियों को स्वीकार करना और उनके अनुभवों से सीखना के बारे में बताकर, आप उन्हें निर्णयों के परिणामों को समझने और खुद के काम की जिम्मेदारी लेने के लिए सशक्त बनाते हैं।
उन्हे अपनी गलती के लिए जवाबदेह होना, उन्हें भविष्य में सकारात्मक विकल्प चुनने के लिए सशक्त बनाता है। अपनी गलती को मानकर और उसकी जिम्मेदारी लेकर बच्चे आपके जीवन में एक अच्छा इसांन बन सकते है और उनमें आत्मविश्वास बढ़ सकता है।
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