हर व्यक्ति की आदत और स्वभाव एक दूसरे से अलग होता है, जो उसके व्यक्तित्व को तय करता है। हेल्दी हैबिट्स अपनाने से जीवन में आने वाली मुश्किलात को हल करने में मदद मिलती है और मकाम तक पहुंचना आसान हो जाता है। कहीं न कहीं रंग आदतों और चाहतों को प्रदर्शित करते हैं। रंगों का जीवन में खास महत्व है और तिरंगे के ये तीन रंग हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इन रंगों का अर्थ बेहद गहरा है, जो व्यक्ति के व्यवहार में झलकता है (Tiranga reflect healthy habits)।
इस बारे में बातचीत करते हुए मनोवैज्ञानिक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि जीवन में खुशी, सौम्यता एंव दृढ़ता का संगम तिरंगे के तीन रंगों का परिचायक माना जाता है। जहां केसरिया जीनव में ऊर्जा को भरने में मददगार साबित होता है, तो वहीं सफेद रंग शांति, समरस्स्ता और सुकून का परिचय देता है। हरा रंग जीवन में खिशयों को भर देने वाला माना जाता है। इन तीनों रंगों में जीवन का सार है, जो मानव को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
केसरिया अग्नि के रंग को दर्शाता है। दरअसल, तिरंगे का ये पहला रंग आत्म विश्वास, आत्म शक्ति और दृढ़ता का प्रतीक है। ये कहीं न कही व्यक्ति के अंदर देशभक्ति की भावना को प्रदर्शित करता है। भारतीय ध्वज का सबसे पहले रंग केसरिया स्वतंत्रता सेनानियों की ताकत, साहस और बलिदान का प्रतीक है।
एक्सपर्ट के अनुसार पीले और नारंगी को मिलाकर तैयार किए गए केसरिया रंग से शरीर में एनर्जी बूस्ट होती है। इससे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है, जो जीवन को प्रकाशमय बनाता है। इससे व्यक्ति साहसी और आगे बढ़ने की भावना से भर जाता है।
छोटी छोटी बातों या कार्यों के लिए अन्य लोगों पर निर्भर होना आपको मानसिक तौर पर कमज़ोर बना सकता है। अधिकतर लोग कपड़ों के रंग से लेकर खाना खाने तक हर निर्णय के लिए पार्टनर की सहमति लेने लगते हैं। ये व्यवहार आपको आगे बढ़ने में बाधित कर सकता है। ऐसे में खुद को मेंटली स्ट्रॉंग बनाने और खुद में हिम्मत पैदा करने के लिए अपने डिसीजन्स के लिए दूसरों की राय का इंतजार न करें।
खुद पर विश्वास रखना सीखें और जीवन में एक फोक्स सेट करें, जिस पर आगे चलकर सेल्फ कॉफिडेंस बढ़ने लगता है। अपने आप को अलग अलग टारगेट और टास्क दें, जिससे आप खुद की ग्रोथ का मूल्यांकन स्वंय कर सकते हैं। इस तरह की गतिविधि किसी व्यक्ति को साहसी बना देती हैं। इसके चलते वो जीवन में किसी भी मोड़ पर खुद को अकेला नहीं समझते हैं।
जीवन में किसी भी मंजिल तक पहुंचने के लिए कई संघर्षों और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। किसी भी हालात से डरने की जगह उसका डटकर सामना करने से मंजिल नज़दीक नज़र आने लगती है। वे लोग जो जीवन मकें किसी भी प्रकार के रिस्क से नहीं डरते हैं। वे साहसी कहलाते हैं।
सफेद रंग शांति, स्वच्छता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। इस रंग को देखकर मन में शीतलना और सत्य का अनुभव होता है। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के मध्य भाग में सुशोभित सफेद रंग शुद्धता और इनोसेंस का परिचय देता है। जहां काला रंग एनर्जी को एब्जार्ब करने का काम करता है, तो वहीं सफेद रंग से एनर्जी जनरेट होती है।
जीवन में ठहराव का अर्थ समझाने वाले इस रंग को हर रंग में मिलाकर उसके महत्व को बढ़ाया जा सकता है। सफेद रंग की मदद से व्यवहार में निष्पक्षता, स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता झलकती है। जन्मजात शिशु का मन सफेद रंग के समान शुद्ध होता है और साफ होता है, जिसपर व्यक्ति जीवन के अनुभवों से अलग अलग रंगों को उकेरते हैं। ये मन में क्रिएटिविटी और जागृति को बढ़ाता है।
वो बातें या विचार जो किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते है, उससे दूरी बनाकर रखें। कुछ ऐसे थॉटस जो दिमाग में चिंता और एंग्ज़ाइटी का कारण बनने लगते हैं। उन्हें समय के साथ रिलीज़ करते जाएं।
अन्य लोगों की पसंद और नापसंद के अलावा अपने आप से कनैक्ट होना भी ज़रूरी है। इसके लिए कुछ देर की सेल्फ टॉक और मेडीटेशन अपने आप को सुनने और समझने का आसान तरीका है। इससे व्यवहार में शांति और सुकून बढ़ने लगता है। साथ ही जीवन में संतुष्टि का अनुभव होता है।
जीवन में अगर सुकून चाहती हैं, तो किसी भी कार्य को लास्ट मिनट पर कंप्लीट करने से बचें। कार्यों को सही समय के साथ एचित तरीके से पूरा करने में विश्वास रखें। इससे जीवन में स्थिरता बढ़ने लगती है और आप खुद ब खुद ऑर्गनाइज़ महसूस करने लगते हैं।
हरे रंग का जिक्र आते ही मन में शांति और शीतलता का अनुभव होता है। दरअसल, हरे रंग को हरियाली, फर्टिलिटी और समृ़द्ध से जोड़कर देखा जाता है। तिरंगे के तीन रंगों में से सबसे आखिरी पट्टी में मौजूद हरा रंग प्रकृति और पृथ्वी के मध्य संतुलन को दर्शाता है, जो मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने का काम करता है। अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के अनुसार हरा रंग सोच, रिश्ते और शारीरिक स्वास्थ्य को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
ग्रीन कलर की मदद से शरीर में कार्टिसोल का स्तर कम होता है, जो तनाव को दूर करने और ठीक करने में मदद करता है। अक्सर अस्पतालों में ही हरे रंग के पर्दे का इस्तेमाल किया जाता है। हरे रंग को उत्सव और स्थिरता का प्रतीक भी माना जाता है।
फर्टिलिटी बढ़ाने के लिए दिनों दिन बढ़ रहे तनाव से खुद को दूर रखें और शरीर को हर पल रिलैक्स रखें। इससे शरीर में हार्मोन संतुलित होने लगते हैं। इसके लिए डेली रूटीन में मॉडरेट एक्सरसाइज़, साइकलिंग, स्वीमिंग और योग को शामिल करें। इसके अलावा अपनी पंसदीदा गतिविधियों के लिए समय निकालें।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की एक रिपोर्ट के अनुसार फोलेट से भरपूर आहार को डाइट में सम्मिलित करने से क्लीनिकल प्रेगनेंसी और लाइव बर्थ की दर में बढ़ोतरी देखी गई है। प्रिर्जवेटिव से भरपूर फूड खाने की जगह सिपंल और हल्के खाने को खाएं। अपने खाने से ज़रूरी कैल्शियम, विटामिन, मिनरल और पोटेशियम समेत सभी पोषक तत्वों को शामिल करें।
हाइजीन और फर्टिलिटी एक दूसरे से संबधित है। बैक्टीरियल संक्रमण से बचाव के लिए क्लीनिंग के साथ साथ शरीर को हाइड्रेट रखना भी ज़रूरी है।
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