बदलता मौसम अपने साथ कई खुशियां, कई चुनौतियों और कई तरह की समस्याओं को भी अपने साथ लाता है। फिर चाहे गर्मी के बाद बारिश का मौसम आए, बारिश के बाद ठंड का या ठंड के बाद गर्मी का। इन सभी ‘मौसम एक्सचेंज’ में एक चीज़ जो स्थिर रहती है, वो होती हैं इसके कारण होने वाली तमाम छोटी-बड़ी बीमारियां। बदलते मौसम में सर्दी, खांसी, ज़ुकाम और बुखार यह वे तमाम समस्याएं हैं, जो अक्सर देखने को मिल जाती है और जिसके कारण लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
इसी मौसम के बदलाव में होने वाले फ्लू और फीवर (flu and fever) को गंभीरता से लेना जरूरी है। ऐसे समय में ही इन बीमारियों का खतरा अधिक क्यों होता है, इस सवाल का जवाब लेने के लिए हेल्थ शॉट्स ने ग्रेटर नोएडा स्थित शारदा हॉस्पिटल के कंसल्टेंट फिजिशियन डॉ. श्रेय श्रीवास्तव से बात की
इस बारे में डॉ श्रेय श्रीवास्तव बताते हैं कि बदलते मौसम के कारण फ्लू और अन्य बीमारियां फैलाने वाले मक्खी और मच्छरों की तादाद बढ़ने लगती हैं। जिसके कारण इनके खतरों में भी बढ़ोतरी होती है।
डॉ. श्रीवास्तव कहते हैं कि ,बदलते मौसम के साथ ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण भी फ्लू के लिए जिम्मेदार होते हैं। इसके साथ ही तापमान और ह्यूमिडिटी में भी तेजी से बदलाव होने से संक्रमण के प्रति प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया कमजोर हो जाती है, जिसके कारण यह वायरस और बैक्टीरिया से लड़ने में कम प्रभावी हो जाते है और फ्लू होने की संभावनाएं काफी अधिक बढ़ जाती है।
डॉ. श्रीवास्तव बताते हैं कि बदलते मौसम में होने वाली इन बीमारियों के आम लक्षण बुखार आना, छींक आना, नाक एवं आंखों से पानी आना, नाक बहना, स्किन पर लाल निशान (चक्क्ते) और पेट खराब होने जैसी समस्याएं दिखाई पड़ती हैं। साथ ही अगर व्यक्ति की गले में खराश, थकान, सिरदर्द और कंजेशन जैसी स्थितियां भी दिखने लगे तो उस समय व्यक्ति को तुरंत सतर्क हो जाने की आवश्यकता है।
फ्लू और फीवर जैसे लक्षण दिखने के तुरंत बाद आपको सतर्क हों जाने की आवश्यकता है। साथ ही इसके बचाव के लिए आप संयमित मात्रा में प्राकृतिक और आयुर्वेदिक चीज़ों जैसे अदरक, अश्वगंधा और गिलोय का प्रयोग कर सकते हैं, जिससे आपकी इम्यूनिटी बूस्ट होती है और आपको इन तमाम रोगों से लड़ने की शक्ति मिलती है। इसके साथ ही फ्लू जैसे लक्षण दिखने के साथ आप बचाव के कुछ अन्य तरीके भी अपना सकते हैं।
हाइड्रेटेड रहने से आप अपने फ्लू और फीवर जैसी स्थिति में अपना बचाव कर सकते है। क्योंकि जब आपको बुखार होता है, तो बीमारी पैदा करने वाले वायरस या बैक्टीरिया को मारने के प्रयास में आपके शरीर का तापमान बढ़ जाता है। ऐसे में शरीर के तापमान में वृद्धि होती है, जिससे डीहाइड्रेशन का खतरा बढ़ सकता है।
फ्लू के मौसम और बदलते मौसम के दौरान, भीड़-भाड़ वाली इनडोर जगहों पर अपने संपर्क को सीमित करने पर विचार करें, जहां वायरस अधिक आसानी से फैल सकते हैं, कोशिश करें ऐसी जगह पर मास्क पहने।
फ्लू और बुखार होने पर गुनगुना पानी पीने से राहत मिलती है और रिकवरी प्रक्रिया में भी मदद मिलती है। फ्लू के दौरन व्यक्ति को खांसी, जुकाम जैसी समस्या भी होती है, जिसका कारण म्यूकस होता है। ऐसे में गुनगुना पानी पीने से आपके शरीर के लिए अतिरिक्त कफ को बाहर निकालना आसान हो जाता है। इससे कंजेशन और खांसी से राहत मिल सकती है।
डॉ. श्रेय श्रीवास्तव बताते हैं कि प्रेग्नेंसी के समय यदि किसी महिला को फ्लू जैसे लक्षण दिखाई दें तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए। साथ ही गर्भवती महिलाओं को मेडिकल स्टोर या फार्मेसी से ‘ऑन दा काउंटर’ दवाएं लेने से परहेज़ करना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से प्रेग्नेंसी में तमाम जटिलताएं देखने को मिल सकती हैं।
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