क्या आपको बदन दर्द, सिर दर्द होने लगा है? क्या आपका शरीर गर्म लग रहा है? यह जान लें कि सिर्फ आप ही ऐसा अनुभव नहीं कर रही हैं। भारत में बुखार के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इससे न सिर्फ स्वास्थ्य विशेषज्ञ, बल्कि आम आदमी भी परेशान हो रहा है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन भी भारत में बुखार के मामलों में वृद्धि के प्रति चेतावनी दे चुका है। हाल में विश्व में कोविड-19 महामारी की आशंका के बीच यह चिंताजनक स्थिति है। हालांकि कई अन्य वायरस भी बुखार की वजह बन सकते (rising fever cases in India) हैं।
कोविड-19 के साथ-साथ इन्फ्लूएंजा वायरस ((H3N2) को भी इसके लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। यह (H3N2) इन्फ्लूएंजा ए वायरस का एक सबटाइप है, जो बुखार के लिए जिम्मेदार है। यह तेजी से ट्रांसफॉर्म करता है। इसलिए इसके खिलाफ प्रभावी टीके विकसित करना मुश्किल है। जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है, तो वायरस रेस्पिरेट्री ड्रॉपलेट के माध्यम से फैलता है।
इसके अलावा, डेंगू और चिकनगुनिया जैसे अन्य वायरल संक्रमण भी भारत में बुखार के बढ़ते मामलों में योगदान कर सकते हैं। ये बीमारियां मच्छरों से फैलती हैं। यह मानसून में चरम पर होती हैं जब मच्छरों का प्रजनन बड़े पैमाने पर होता है। स्वच्छता और साफ़-सफ़ाई पर ध्यान नहीं देना, अपर्याप्त सेनिटेशन, दूषित जल स्रोत और व्यक्तिगत स्वच्छता के प्रति जागरूकता की कमी भी बुखार पैदा करने वाले संक्रामक रोगों के प्रसार में योगदान कर सकते हैं।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, ठंड लगना, कांपना, मांसपेशियों में दर्द, थकान, सिरदर्द, पसीना आना, भूख कम लगना, गला खराब होना, नाक बहना भी इसके कारण हो सकता है। बुखार के साथ साथ लिम्फ नोड्स में सूजन भी हो सकती है। बुखार अधिक होने पर डॉक्टर टाइफाइड टेस्ट, मलेरिया टेस्ट, चिकनगुनिया टेस्ट, H1N1 टेस्ट, H3N2 टेस्ट करवाना जरूरी है। कुछ मामलों में गले का स्वैब या नाक का स्वैब लिया जा सकता है।
1 वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, बुखार के विभिन्न कारणों के लिए अलग-अलग उपचार की जरूरत पड़ती है। उचित देखभाल और इलाज के लिए डॉक्टर की मदद लेना और जरूरी टेस्ट कराना आवश्यक है।
2 इलाज के तहत न केवल हाई फीवर को कम किया जाता है, बल्कि कमियों पर भी ध्यान दिया जाता है। बुखार की गंभीरता और लक्षण के आधार पर उपचार अलग-अलग हो सकते हैं।
3 एसिटामिनोफेन या इबुप्रोफेन जैसी ओवर-द-काउंटर दवाओं का उपयोग बुखार को कम करने और असुविधा से राहत देने के लिए किया जा सकता है।
4 हमेशा हेल्थ एक्सपर्ट के संपर्क में रहना जरूरी है। डॉक्टर द्वारा बताई एंटीबायोटिक दवाओं का कोर्स पूरा करना जरूरी है, भले ही उन्हें खत्म करने से पहले बेहतर महसूस करना शुरू कर दें।
5 इंडियन जर्नल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च के अनुसार, फीवर आने पर सबसे जरूरी है पर्याप्त आराम और हाइड्रेशन। डिहाइड्रेशन को रोकने के लिए पानी, हर्बल टी या बहुत सारे फ्लूइड पीना जरूरी है।
6 गुनगुने पानी से स्पंज करने पर भी शरीर का तापमान धीरे-धीरे कम करने में मदद मिलती है। ठंडे पानी या अल्कोहल-आधारित पानी का उपयोग करने से बचें, क्योंकि ये कंपकंपी पैदा कर सकते हैं। ये शरीर के तापमान को और बढ़ा सकते हैं।
7 यदि आपका बुखार तीन दिनों से अधिक समय तक बना रहता है। ओवर-द-काउंटर दवाओं से यह कम नहीं होता है, तो हेल्थकेयर एक्सपर्ट से सलाह लेना जरूरी है। यह किसी अन्य संक्रमण या बीमारी का संकेत हो सकता है।इसके लिए मेडिकल केयर जरूरी है।
बुखार से बचाव के उपाय सभी को करने चाहिए। अच्छी हाइजीन बनाए रखें। हाथों को नियमित रूप से साबुन और पानी से धोकर बुखार का कारण बनने वाली संक्रामक बीमारियों को फैलने से रोकें। बुखार पैदा करने वाले कई वायरल और बैक्टीरियल संक्रमणों को रोकने में टीकाकरण महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
सुनिश्चित करें कि आपने भी जरूरी टीकाकरण कराया है। स्वच्छ और ताज़े भोजन का सेवन करें। साथ ही बीमार व्यक्तियों के निकट संपर्क से बचें।
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