पीढ़ियों से नवजात शिशुओं की मालिश की जाती रही है। यह पेरेंट्स और बच्चे के बीच संबंध को मजबूत बनाती है। पालन-पोषण के लिए यह प्रक्रिया बेहद जरूरी है। कई अध्ययनों के अनुसार यह शिशुओं की नींद की गुणवत्ता में सुधार, तनाव में कमी, स्वस्थ मस्तिष्क और शारीरिक विकास में मदद करता है। इससे बच्चे की कम्युनिकेशन स्किल में भी सुधार होता है। इसके लिए समय निकालना जरूरी है। मालिश करते समय कुछ तकनीक और बातों को ध्यान में रखना चाहिए।
जर्नल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ रिसर्च के शोध निष्कर्ष के अनुसार, नियमित रूप से लगभग 30 मिनट शिशु की मालिश करने से बच्चे के लगाव, प्यार और विश्वास की भावना को बढ़ाने में मदद मिलती है। पेरेंट्स के साथ प्रारंभिक घनिष्ठ संपर्क बच्चों में सहानुभूति और आत्मविश्वास पैदा कर सकता है। शिशु की मालिश पाचन, प्रतिरक्षा, हार्मोनल प्रणाली, मांसपेशियों और जोड़ों सहित शरीर की सभी प्रणालियों को उत्तेजित करती है।
मालिश गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं जैसे पेट का दर्द और कब्ज, दांत निकलते समय होने वाली परेशानी और बढ़ते दर्द से राहत दिलाने में मदद कर सकती है। इससे सही वजन होने, पीलिया से बचाव और दर्द से राहत भी मिल सकती है। संज्ञानात्मक प्रदर्शन, लैंगवेज स्किल और मोटर डेवलपमेंट में भी सुधार हो सकता है।
मालिश तब करनी चाहिए जब बच्चा शांत लेकिन सतर्क अवस्था में हो। दूध पिलाने के तुरंत बाद या जब वह नींद में हो, मालिश नहीं करें। पैरों के तलवों को एक साथ मिलाकर फर्श पर बैठ जाएं। पैरों के ऊपर और घुटनों के बीच कंबल डाल लें। बच्चे को कंबल पर लिटाएं और उसका सिर पैरों पर रखें। बच्चे के सिर से पैर तक हल्के से हैलो स्ट्रोक से शुरुआत करें। शिशु के रोने, चिड़चिड़ा होने पर मालिश नहीं करें। यदि वे अच्छी प्रतिक्रिया देते हैं, तो उनके शरीर के एक-एक हिस्से की धीरे-धीरे मालिश शुरू करें।
जर्नल ऑफ़ एनवायर्नमेंटल एंड पब्लिक हेल्थ रिसर्च के अनुसार, एक कंबल या तौलिया और एक बाउल में मालिश का तेल रखें। किसी भी तेल का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से पूछ लें । ज्यादातर ऑलिव आयल, कोकोनट आयल, आलमंड आयल या सरसों तेल से भी मालिश की जाती है। बच्चे की स्किन पर तेल की एक छोटी बिंदी लगाकर एलर्जी की जांच कर लें।
जर्नल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ रिसर्च के अनुसार, हाथ जोड़ कर छोटी उंगली का किनारा बच्चे के पेट पर चप्पू की तरह चलायें। रिब से शुरू करते हुए एक हाथ से नीचे की ओर फिर दूसरे हाथ से चप्पू या पहिया जैसी गति में स्ट्रोक करें। धीरे-धीरे उंगलियों से गोलाकार और एंटी क्लॉक वाइज पेट की मालिश करें। उंगलियों को नाभि के चारों ओर एंटी क्लॉक वाइज घुमाएं। बच्चे के घुटनों और पैरों को एक साथ पकड़ें और धीरे से उनके घुटनों को पेट की ओर दबाएं। बच्चे के हिप्स को कुछ बार दाईं ओर घुमाएं। यह अक्सर गैस बाहर निकालने में मदद करता है।
बच्चे के सिर को दोनों हाथों में पकड़कर उंगलियों से स्कैल्प की हलके हाथों से मालिश करें, जैसे कि आप शैंपू कर रही हों। बच्चे के सिर के शीर्ष पर स्थित मुलायम फॉन्टनेल को नहीं दबाएं। अंगूठे और बीच की उंगली से कानों की मालिश करें। हाथों को ठोड़ी पर एक साथ लाते हुए बच्चे के चेहरे पर दिल का आकार बनाएं। अंगूठे को अपने बच्चे की भौंहों के बीच रखें और बाहर की ओर सहलाएं। अंगूठे से बच्चे की बंद पलकों को धीरे से सहलाएं। नाक के पुल से गालों के ऊपर तक स्ट्रोक करें।
दोनों हाथों को बच्चे की छाती पर रखें और धीरे-धीरे हाथ उपर की और ले जाते हुए कंधों तक बाहर की ओर स्ट्रोक करें। दोनों हाथों को कंधों तक ऊपर लाते हुए फिर नीचे और पीछे लाएं।
एक हाथ से बच्चे की कलाई पकड़ें। ऊपरी आर्म को हल्के से थपथपाकर आराम दें।
दूसरे हाथ को ऊपरी बांह के चारों ओर सी-आकार में पकड़ें और कंधे से कलाई तक स्ट्रोक करें।
अंगूठे को घुमाते हुए हथेली की भी मालिश करें।
कलाई से लेकर उंगलियों तक हाथ के ऊपर से नीचे की ओर स्ट्रोक करें।
बच्चे को पेट के बल अपने फैले हुए पैरों पर लिटाएं। उनके हाथ उनके सामने रखें, बगल में नहीं। दोनों हाथों को बच्चे की पीठ पर रखते हुए प्रत्येक हाथ को गर्दन के आधार से लेकर नितंबों तक आगे-पीछे घुमाएं। बच्चे के गर्दन से हिप्स तक सहलाएं। उंगलियों का उपयोग करके बच्चे की रीढ़ की हड्डी के एक तरफ नीचे और दूसरी तरफ ऊपर छोटे घेरे में मालिश करें। कंधों की छोटे-छोटे गोलाकार गति में मालिश करें।
बच्चे के एक पैर को उठाएं और ऊपरी जांघ को हल्के से थपथपाकर आराम दें।
एक हाथ से पैर को पकड़ें और दूसरे हाथ को सी-आकार में बच्चे की जांघ से नीचे पैर तक स्ट्रोक करें। पैर के सभी हिस्से को सहलाते हुए गोल घुमाकर मालिश करें। हाथ और पैर की उंगली को हलके से खींचकर धीरे से दबाएं।
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