छोटे बच्चों को उनकी मां से ज्यादा कोई और नहीं समझ सकता। साथ ही बच्चों की देखभाल भी सबसे अच्छे ढंग से मां ही कर सकती है। जैसे परंपराएं पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती हैं और आगे बढ़ती है, ठीक उसी तरह बच्चे की देखभाल का तरीका भी मां से बेटी को मिलता है। अपने बच्चे की देखभाल करना (Baby care), रोजाना मालिश (Baby body massage) करना और नहलाना बच्चे (Baby Bath) से संवाद करने का एक बेहतर तरीका होता है, जो शब्दों की आवश्यकता को खत्म कर देता है।
सदियों से मनुष्य अपनी सभी जरूरतों के लिए प्रकृति पर निर्भर रहा है। प्रकृति की कई चीज़ों से ही आयुर्वेद प्रणाली का जन्म हुआ है। आयुर्वेद का सबसे बड़ा फायदा यह है कि कोई भी अपने आप ही ऐसी सामग्री चुन सकता है जिसका कोई विषाक्त प्रभाव न हो और जिसमें बेहतर, हीलिंग और सुरक्षात्मक गुण हों।
छोटे बच्चों की स्किन बहुत ही सेंसिटिव और सॉफ्ट होती है। इसलिए आजकल बच्चों की स्किन अच्छी बनाए रखने के लिए बेबी प्रोडक्ट्स का उपयोग किया जाता है। लेकिन जब बच्चों के लिए किसी भी तरह के विशेष बेबी प्रोडक्ट्स नहीं थे, तब उनकी सेहत और त्वचा को अच्छा बनाए रखने के लिए आयुर्वेद का ही प्रयोग किया जाता था।
बच्चों की स्किन बहुत सॉफ्ट होती है और उसमें बदलते मौसम के कारण कई तरह की परेशानियां देखने को मिलती है। बदलते मौसम के कारण बच्चे की स्किन फटी, रूखी और लाल हो सकती है। बच्चों की इसी समस्या को काफी हद तक कम करने के लिए ‘बेबी बाथ’ काफी जरूरी है।
बेबी बाथ से पहले हमें ये ध्यान रखना होगा कि इसका सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा मालिश होता है। बच्चों के शरीर को मजबूत बनाने के साथ-साथ मालिश स्वस्थ भावनात्मक विकास के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है। अध्ययन बताते हैं कि मालिश भावनात्मक बंधन को मजबूत करती है और बच्चे को सुरक्षात्मक व मानसिक रूप से मजबूत बनाती है।
बच्चों की आयुर्वेदिक ढंग से मालिश (Baby massage) करने के लिए हमें मौसम के अनुसार तेल चुनना जरूरी है। जैतून, नारियल और सूरजमुखी के तेल गर्मियों में बच्चों के लिए अच्छे होते हैं। तिल का तेल (Sesame seeds oil) आयुर्वेदिक मालिश के लिए बहुत अच्छा है, क्योंकि इसे संतुलित तेल कहा जाता है। साथ ही तेल चुनते समय हमें यह भी याद रखना चाहिए कि छोटे बच्चे की मालिश के लिए अत्यधिक सुगंध वाला तेल प्रयोग नहीं करना चाहिए।
बच्चे को नहलाने और मालिश करने से पहले बहुत सावधानी की आवश्यकताएं होती है। चूंकि बच्चों की स्किन काफी सेंसिटिव होती है इसलिए सबसे पहले अंगूठियां और ऐसी अन्य चीजें निकाल दें, जिससे बच्चे को किसी भी तरह की कोई चोट लगने का खतरा हो। साथ ही अपने नाखून को भी छोटे रखें।
तेल की बात करें तो तेल हल्का गरम होना चाहिए। पर्याप्त मात्रा में तेल लगाने से बच्चे की स्किन को नुकसान नहीं होता है। धीरे-धीरे मलते हुए मालिश करें। मालिश करते समय बच्चे के हाथ और पैर तेजी से न खींचें। वहीं, अगर बच्चे को बुखार या बीमारी हो तो उसके मालिश नहीं करनी चाहिए।
मालिश करने के बाद बच्चे को 10-15 मिनट बाद हल्के गुनगुने पानी से ही नहलाना चाहिए। बच्चे के लिए हल्के साबुन का इस्तेमाल करें, लेकिन ध्यान रखें कि यह आंखों में न जाए।
आजकल, बेबी केयर के लिए “नो टियर” शैंपू बाजार में उपलब्ध हैं। नहलाने के बाद, बच्चे के शरीर को लपेटने के लिए एक साफ सूती तौलिये का इस्तेमाल करें और थपथपाकर सुखाएं। बहुत ज़ोर से न रगड़ें।
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कस्टमाइज़ करेंछोटे बच्चों को रैशेज होने का खतरा हमेशा बना रहता है, खासतौर पर डायपर पहनने वाले बच्चों को इससे काफी ज्यादा खतरा होता है। ऐसा होने पर कई लोग बेबी पाउडर का उपयोग करते हैं। लेकिन बहुत अधिक बेबी पाउडर का उपयोग करने पर ये पाउडर बच्चे की त्वचा की दरारों और परतों में जम जाता है।
इसलिए ऐसे में सबसे अच्छा विकल्प आयुर्वेदिक सामग्री प्रयोग करना ही है। वे कोमल त्वचा के लिए अच्छे रहते हैं और प्राकृतिक कोमलता बनाए रखने में मदद करते हैं।
बच्चों की स्किन काफी सॉफ्ट होती है, जिसके कारण उनकी स्कैल्प पर पपड़ी जम जाती है। ऐसा होने पर रूई से गर्म तेल लगाकर इन्हें नरम करना चाहिए और फिर बालों और सिर को बेबी शैम्पू से धो लें, जिससे आंखों में जलन न हो। बच्चे के सिर को धोते समय इस बात का ध्यान रखें कि आगे से पीछे की ओर पानी डालें, ताकि पानी चेहरे पर न गिरे।
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