शरीर के अन्य अंगों की देखभाल के साथ पैर के नाखूनों की देखभाल भी आवश्यक है। दरअसल, पैर को उचित देखभाल न मिलने से टोनेल इंफे्क्शन का खतरा बना रहता है। लंबे वक्त तक पैर के नाखून को न काटने से न केवल उसके रंग में बदलाव आने लगता है बल्कि वो खुद ही टूटने भी लगता है। मौसम में आने वाले बदलाव के साथ इंफेक्शन की समस्या बढ़ने लगती है। इसके अलावा गंदे पानी में पैर डालने, जिम में लगातार वर्कआउट से पैरों में स्वैटिंग और पार्क में बिना जूते पहनने घूमने से ये समस्या बढ़ने लगती है। जानते हैं टोनेल फंगल इंफे्क्शन क्या है और इससे कैसे डील करें (Home remedies to get rid of toenail fungus)।
इस बारे में बातचीत करते हुए कंसल्टेंट इंटरनल मेडिसिन, डॉ वैशाली लोखंडे बताती हैं कि टोनेल फंगस को ऑनिकोमाइकोसिस भी कहा जाता है। ये एक ऐसा फंगल इंफेक्शन है जो पैर के नाखूनों को अपनी चपेट में ले लेता है। इसकी शुरूआत नाखून के किनारों से होती है और फिर पूरे नाखून को अपनी चपेट में ले लेता है। इसमें नाखून धीरे धीरे पीला पड़ने लगता है और फिर टूट जाता है। इसके अलावा नाखेन से दुर्गंध की समस्या भी बढ़ने लगती है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार टोनेल फंगल संक्रमण से संक्रमित केवल 50 प्रतिशत लोग ही अपने इलाज के लिए त्वचा विशेषज्ञों के पास जाते है। इसके अलावा अन्य लोग अपने अनुसार इलाज करते हैं या फिर इंफे्क्शन को अवॉइड करने लगते हैं, जिससे परेशानी बढ़ने लगती है।
नेशनल सेंटर फॉर कॉम्प्लीमेंटरी एंड इंटीग्रेटिव हेल्थ के अनुसार टी ट्री ऑयल में एंटी फंगल और एंटीसेप्टिक प्रापर्टीज़ पाई जाती हैं। इसके चलते अंगूठें पर होने वाले फंगल संक्रमण से राहत पाने के लिए कॉटन बॉल को तेल में भिगोकर अंगूठे पर लगाएं और ओवरनाइट लगा रहने दें। इससे समस्या से जल्दी राहत मिलने लगती है। दिन में दो बार इसका प्रयोग करने से संक्रमण में सुधार होने लगता है।
साइंस डायरेक्ट की एक थ्योरी के अनुसार ओरिगेनो में थाएमॉल पाया जाता है। इसमें पाई जाने वाली एंटीफंगल प्रापर्टीज़ के चलते टोनेल पर होने वाली एलर्जी और खुजली से राहत मिलने लगती है। इसे दिन में दो से तीन बार पैरों पर अपलाई कर सकते हैं। इससे बढ़ने वाले संक्रमण को रोकना आसान हो जाता है। इसके प्रयोग से नाखून के किनारे मुलायम होने लगते हैं और संक्रमण बढ़ने से रूक जाता है।
पैरों में बढ़ने वाले संक्रमण को रोकने के लिए सेब का सिरका भी कारगर साबित होता है। बीएमसी बायोलॉजी की एक रिपोर्ट के अनुसार सिरके में एसिटिक एसिड पाया जाता है, जिससे एंटीफंगल प्रापर्टीज से मुक्ति मिल जाती है। सिरके को पानी में मिलाकर उसमें पैरों को 10 से 15 तक भिगोकर रखने से नाखून में होने वाली परेशानी से मुक्ति मिलने लगती है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार प्रोबायोटिक्स की मदद से फंगल इंफे्क्शन को कम किया जा सकता है। आहार में प्रोबायोटिक्स को जोड़ने से संक्रमण पूर्ण रूप से पनपता नहीं है और शरीर में गुड बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है। शरीर के इम्यून सिस्टम को मज़बूती प्रदान करने के लिए प्रोबायोटिक सप्लीमेंट और प्रोबायोटिक के गुणों से भरपूर खाद्य पदार्थों को आहार का हिस्सा बना सकते हैं।
एंटीबैक्टीरियन प्रोपर्टीज से भरपूर अदरक को क्रश करके उसका रस एक चम्मच में एकत्रित करें। अब उसमें शहद मिलाकर नाखून में बढ़ले वाले संक्रमण पर अप्लाई करें। अदरक में पाई जाने वाली एंटीमाइक्रोबियल प्रापर्टीज संक्रमण को कम करने में मदद करने लगती हैं।
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