अपने अक्सर लोगों को कहते सुना होगा कि मुझे थायरॉइड की समस्या है। वहीं आपमें से कई लोग इस समस्या से झुंझ रहे होंगे। इस स्थिति में ज्यादातर लोगों को वेट गेन का सामना करना पड़ता है। थायरॉइड एक ग्लैंड है जो आपके गले मे स्थापित होता है। इसका आकार तितली से मिलता जुलता होता है। थायरॉइड में कई प्रकार के शारीरिक लक्षण देखने को मिलते हैं। इस दौरान स्किन और बाल ड्राई होने लगते हैं। साथ ही साथ यह आपकी मेंटल हेल्थ को भी गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।
परेशानी से बचने के लिए हम सभी को समय रहते इसपर नियंत्रण पाने के लिए उपाय शुरू कर देना चाहिए। डॉक्टर से मिलें और इस बारे में सलाह लें। हालांकि, दवाइयों के साथ साथ हम सभी प्राकृतिक उपचार (How to manage thyroid naturally) के माध्यम से थायरॉइड पट नियंत्रण पा सकते हैं।
भारतीय योगा गुरु, योगा इंस्टीट्यूट की डायरेक्टर और टीवी की जानी-मानी हस्ती डॉक्टर हंसाजी योगेंद्र ने थायरॉइड को कंट्रोल करने के लिए कुछ प्रभावी प्राकृतिक उपचार सुझाये हैं। तो चलिए जानते हैं इसे किस तरह कंट्रोल किया जा सकता है (How to control thyroid naturally)।
1. हाइपरथायरायडिज्म: इस स्थिति में आपका मेटाबलिज़्म दर बढ़ जाता है, जिसका अर्थ है कि अत्यधिक मात्रा में थायराइड हार्मोन का उत्पादन होता है, तो शरीर ऊर्जा का बहुत तेजी से उपयोग करना शुरू कर देती है, जिसे हाइपरथायरायडिज्म के रूप में जाना जाता है। बहुत तेजी से ऊर्जा का उपयोग करने से दिल की धड़कन तेज हो सकती है, वजन कम हो सकता है और व्यक्ति अधिक चिंतित रहना शुरू कर देता है।
2. हाइपोथायरायडिज्म: जब थायराइड ग्लैंड द्वारा बहुत कम थायराइड हार्मोन (टी3, टी4) का उत्पादन किया जाता है, इस स्थिति को हाइपोथायरायडिज्म के रूप में जाना जाता है। इससे आपको थकावट महसूस होती है, वजन बढ़ता है, यहां तक कि आप ठंड के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं।
थयरॉइड की स्थिति में एक्सपर्ट गोइट्रोजन युक्त खाद्य पदार्थों से पूरी तरह से परहेज रखने की सलाह देती हैं। सोया प्रोडक्ट्स जैसे की टोफू में गोइट्रोजन पाया जाता है। इसके अलावा पत्ता गोभी, गोभी, ब्रॉकली, स्वीट पोटैटो, पीच, स्ट्रॉबेरी और पीनट में भी गोइट्रोजन मौजूद होता है। ह्य्पोथयरॉइड से पीड़ित सभी व्यक्ति को इन खाद्य पदार्थों से पूरी तरह से परहेज रखने की आवश्यकता होती है।
आयोडीन की कमी ह्य्पोथायरॉइडिज्म का एक प्रमुख्य कारण है। इस स्थति में शरीर में आयोडीन की मात्रा को बनाये रखने के लिए नियमित डाइट में डेयरी प्रोडक्ट्स को शामिल करें। साथ ही सेलेनियम युक्त फूड्स जैसे की सनफ्लॉवर सीड्स, ब्राउन राईस और योगर्ट का नियमित सेवन आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
नियमित रूप से योग का अभ्यास THS (Thyroid Stimulating Hormone) रिलीज करने में मदद करता है। THS पिट्यूटरी ग्लैंड द्वारा रिलीज किया जाता है। ऐसे कुछ खास योगासन हैं जो थयरॉइड ग्लैंड में सर्कुलेशन को बढ़ावा देने के साथ पिट्यूटरी ग्लैंड को भी एक्टिवेट कर देते हैं। भुजांगासन, उष्ट्रासन, चक्रासन, धनुर्वक्रासन यह सभी थयरॉइड की समस्या में प्रभावी रूप से कार्य करते हैं।
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यह थायराइड के लिए सबसे आसान घरेलू उपचारों में से एक है क्योंकि यह सभी घरों में आसानी से उपलब्ध होता है। अदरक पोटेशियम और मैग्नीशियम जैसे आवश्यक खनिजों से समृद्ध है और सूजन यानि की इन्फ्लेमेशन से निपटने में मदद करता है। सूजन थायरॉयड समस्याओं के प्राथमिक कारणों में से एक है। अदरक की चाय सबसे आसान और प्रभावी तरीका हो सकती है।
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कस्टमाइज़ करेंइसका उपयोग आवश्यक तेल के रूप में भी किया जा सकता है। यदि अदरक को किसी अन्य तेल (उदाहरण के लिए नारियल तेल) के साथ मिलाया जाए तो इसे शरीर पर लगाया जा सकता है। अदरक के तेल का उपयोग एसेंस्टियल ऑयल डिफ्यूज़र के माध्यम से भी किया जा सकता है।
शरीर में कुछ महत्वपूर्ण विटामिन्स की पर्याप्त मात्रा होने से आपके थायरॉइड स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। विटामिन बी इन्ही में से एक है। थायराइड हार्मोन की कमी आपके शरीर के विटामिन बी-12 के स्तर को प्रभावित कर सकती है। विटामिन बी-12 सप्लीमेंट और इनसे युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से हाइपोथायरायडिज्म से होने वाली कुछ क्षति को ठीक करने में मदद मिल सकती है।
विटामिन बी-12 थयरॉइड के कारण होने वाले थकान से निपटने में मदद कर सकता है। यह बीमारी आपके विटामिन बी-1 के स्तर को भी प्रभावित करती है। ऐसे में मटर, बीन्स, एस्परैगस, तिल के बीज, टूना, पनीर, दूध, अंडे आदि जैसे खाद्य पदार्थों को डाइट में शामिल कर विटामिन बी की मात्रा को बनाये रख सकती हैं।
कुछ जड़ी-बूटियों का सेवन थायरॉइड फ़ंक्शन का समर्थन करती हैं। अश्वगंधा थायराइड के लिए शीर्ष प्राकृतिक आयुर्वेदिक घरेलू उपचारों में से एक है। अश्वगंधा जड़ का अर्क सीरम थायराइड हार्मोन (टी3 और टी4) के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है। हाइपोथायरायडिज्म पर हर्बल दवा (अश्वगंधा) के प्रभाव से टीएसएच स्तर में कमी आई जबकि उनके टी 3 और टी 4 स्तर में वृद्धि हुई। परिणामस्वरूप, अश्वगंधा जैसे प्राकृतिक उपचार प्राथमिक हाइपोथायरायडिज्म के लक्षणों पर नियंत्रण पाने में मददगार हो सकते हैं।
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