माता पिता का आचरण बच्चे के स्वभाव का दर्पण होता है। आप जैसा व्यवहार बच्चों के साथ करेंगे, वो वैसा ही आचरण करने लगेंगे। कई बार पेरेंटस का गलत व्यवहार बच्चों को विद्रोही बना देता है। इससे बच्चे मनमाना रवैया अपनाने लगते हैं और पेरेंटस के साथ बात बात पर उलझने लगते हैं। इससे घर की शांति भी भंग होती है और बच्चे भी माता पिता से कटे कटे रहते हैं। अपनी ज़रूरतों से लेकर चाहतों तक कुछ भी परेंटस से साझा नहीं कर पाते हैं। ऐसे में माता पिता को आगे बढ़कर बच्चे का समझना और सही गलत का फर्क समझाना ज़रूरी है। जानते हैं वो 7 टिप्स जिनकी मदद से आप बच्चों के साथ होने वाली कहासुनी को हल कर सकते हैं (Tips to handle disputes with your child )।
राजकीय मेडिकल कालेज हलद्वानी में मनोवैज्ञानिक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि बच्चों से होने वाले डिस्प्यूटस को कम करने के लिए उन्हें सही और गलत के बीच पहचान समझाएं। उनके किए गए छोटे छोटे प्रयासों के लिए भी उन्हें सराहें और प्रशंसा करें। बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम स्पैण्ड करें।
ख्याल रखें कि शाम का खाना परिवार में बैठकर खाएं। इससे आप बच्चे के दिनभर के क्रियाकलापों को जान पाते हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक बच्चे और पेरेंटस के मध्य एज गैप होने वाले डिस्प्यूटस का मुख्य कारण साबित होता है। इससे वे एक दूसरे की मेंटल स्टेट को भली भांति समझ नहीं पाते हैं। ऐसे में एक दूसरे के प्रति अंडरस्टैण्डिंग बढ़ाने के लिए क्वालिटी टाइम बिताना बहुत ज़रूरी है।
कई बार पेरेंटस में बच्चों को सुनने और सुझने की क्षमता नहीं होती है। जो बच्चों में स्ट्रेस का कारण साबित होती है। अगर बच्चे के एग्ज़ाम में नंबर कम आए है, तो उस समस्या के रूट कॉज को तलाशने का प्रयास करें। इस बात को समझें कि वो कौन से कमी है, जो बच्चा इस प्रकार से क्लास में परफार्म कर रहा है। इसके अलावा अगर बच्चे से कोई गलती हुई हैं, तो उसे डांटने से पहले उस समस्या का कारण तलाशें। इससे बच्चे और पेरेंटस के मध्य बढ़ने वाली दूरिया खुद ब खुद कम होने लगती हैं।
अगर बच्चा अपने किसी काम में आपकी मदद चाहती है, तो उसके किए गए कार्य में कमी निकालने की जगह उसकी मदद करें। उसे समझाएं कि वो किस प्रकार से उसे और बेहतर बना सकता है। बच्चे की भावनाओं को समझने से बच्चे और पेरेंटस में मज़बूत बॉन्ड बनने लगता है। इस बात को आपको समझना होगा कि छोटे बच्चों से परफेक्शन की उम्मीद लगाना पूरी तरह से गलत हैं। बच्चे 10 बार चीजों को बिगाड़ने के बाद ग्यारहवीं बार उसे ठीक से करने लगते हैं। वो पेरेंटस की ड्यूटी है कि हर समस्या या गलती को आप संवारे और बच्चे को हर बार गिरने के बाद उठने का हौंसला भी दें।
सभी पेरेंटस अपने बच्चे के टैलेंट को बखूबी जानते हैं। माना बच्चों से काम करने में गलतियां होती हैं। मगर बतौर पेरेंटस बच्चे की खामियों को गिनपे की बजाय एन गलतियों में भी कोई ऐसी खूबी तलाशें और बच्चे को एप्रीशिएट करें। इससे बच्चे का मनोबल बढ़ेगा और आपसी लढ़ाई समझौते में तब्दील होने लगेगी।
बच्चे से गलती होने पर अस्कर माता पिता बच्चों को डांटना शुरू कर देते हैं। कुछ तो बच्चों को मारने से भी नहीं कतराते हैं। इससे पेरेंटस और बच्चों के मध्य एक दूरी बढ़ने लगती है। इससे बच्चे माता पिता से कोई भी बात खुलकर नहीं कह पाते हैं। ऐसे में बच्चों को डांटकर उस गलती को आप सही तो नहीं कर सकते हैं। मगर बच्चे को गलती का एहसास करवाना ज़रूरी है। इसके लिए बच्चों के आस पास ऐसे उदाहरण क्रिएट करें कि जिससे बच्चा अपनी गलती को न केवल रियलाइज़ करें बल्कि उससे सीख भी ले।
अक्सर पेरेंटस घर आने वाले महमानों के सामने बच्चों की बुराई का पिटारा खोल लेते हैं। ऐसे में बच्चे आपसे हर वक्त खफा रहने लगते हैं। उन्हें अपने नज़दीक लाने और सभी मसिअंडरस्टैण्डिंग को दूर करने के लिए उन्हें समझें, जानें और दूसरे लोगों के सामने बच्चे की क्वालिटीज़ का बखान करें। दरअसल, बच्चे की अच्छाई का श्रेय अगर माता पिता को जाता है, तो बुराई का भी माता पिता को ही जाएगा। ऐसे में बच्चे के बारे में कोई भी नकारात्मक बात करने से बचें और बच्चों का विश्वास जीतने का प्रयास करें।
उन्हें हर दम छोटा समझकर साइड लाइन करने की बजाय उन्हें अपने फैसलों में शामिल करें। उनकी सलाह लें और उनके अनुसार अपने कार्यों को करें। दरअसल, बच्चे बेहद क्रिएटिव होते हैं और वे हर समय कोई नए आइडिया के साथ आपके सामने पेश होते हैं। उनकी राय को अपने फैसलों में शामिल करने से वे खुद को आत्मनिर्भर और एक्टिव महसूस करेंगे। इसके अलावा उन्हें आपके करीब होने का एहसास होने लगेगा। जो किसी भी रिश्ते को मज़बूत बनाने के लिए ज़रूरी है।
पेरेंटस का तुलनात्मक व्यवहार बच्चे की मेंटल हेल्थ को डिस्टर्ब कर सकता है। ऐसे में आप अपने बच्चों को औरों से कंपेयर न करें। इससे बच्चे में हीनभावना जम्न लेने लगती है और वो खुद को दूसरों से कम आंकता है। उसे आगे बढ़ने के लिए मोटिवेट करें और गलतियों के लिए साथ बैठाकर समझाएं और आगे बढ़ने के लिए प्रेरिते भी करें।
अपनी रुचि के विषय चुनें और फ़ीड कस्टमाइज़ करें
कस्टमाइज़ करेंये भी पढ़ें-